अमेरिकी भूतपूर्व राष्ट्रपति बुश पर जूता एक बार फिर मेहरबान हुआ , अबकी बार उनका सवागत कनाडा के एक जलसे को वो संबोधित कर रहे थे वहां पर कुछ युवकों ने जूतों से उनका ज़ोरदार स्वागत किया जिससे पुरे सभा में खलबली मच गई कुछ लोगों को गिरिफ्तार किया गया है उनसे पूछ गूच चल रही है , आख़िर बुश ही क्यों इस के शिकार हो रहे है जहा भी जाते है लोग उनके स्वागत के लिए फूल माला तो दूर जूते ही लिए तय्यार खड़े रहते हैं ,
बात बिल्कुल जगजाहिर है की उनके तानाशाही शाशन से कोई भी देश की जनता खुश नही थी , सभी को मालूम था वो जो कर रहे है वो देश के हित के नही बलकी इंसानियत को बरबाद कर रहे है ऐसा करके उनके दिल को सुकून पहुँचा हो लेकिन किसी भी देश की जनता को यह नागवार गुजरी , वो यह बिल्कुल भूल गए थे की जबतक उनकी गद्दी कायम रहेगी तब तक वो तानाशाह को जींदः रख payenge लेकिन कब तक उनकी गद्दी रहती akhirkaar tanachahi शाशन का अंत होना था और huwaa , जो जनता कब से उनके लिए नफरत लेकर baithi थी जूतों से स्वागत iraq से शुरू हुवा और कांदा तक ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा है ,
इसीलिए महोदय बुश जी की अक्ल में काश यह बात आगई होती वो जो कर रहे हैं वोह इंसानियत के खिलाफ है तो यह दिन जो वो देख रहे है ऐसा औसर कभी नही आता हर जगह उनको आदर और सम्मान मिलता , इंसान किस चीज़ का भूखा होता है पैसे का नही सिर्फ़ और सिर्फ़ प्यार का वो यह बिल्कुल भूल गए थे , इसीलिए सच कहा गया है जैसी इंसान की करनी होती है वैसा वो भरता है जो वो दिन आज अपनी आँखों से देख रहे होंगे और एहसास भी कर रहे होंगे कसश अगर मैंने कुछ ऐसा नही किया होता तो सभी देश की जनता मुझे सम्मान जूतों के बजाई प्यार से दिल से फूलों से उनका स्वागत होता.........कहिर जो आपने किया है उसका फल तो आपको मिलना था ही .....
इसलिए लोगों प्यार से दिलों को जीता जा सकता है नफरत और चल कपट और मार धाड़ से नही दिलो को जीतने कीमंत्र को जानो और नफरत की आग को अपने दिलों से निकल बहार करो तभी हमें सम्मान आदर मिलेगी और ज़िन्दगी सारे पल खुशगवार होकर गुजरेगी..... अगर किसी को मेरे लेख से तकलीफ पहुँची होगी कृपया करके माफ़ कीजियेगा .................... शुक्रिया.
बात बिल्कुल जगजाहिर है की उनके तानाशाही शाशन से कोई भी देश की जनता खुश नही थी , सभी को मालूम था वो जो कर रहे है वो देश के हित के नही बलकी इंसानियत को बरबाद कर रहे है ऐसा करके उनके दिल को सुकून पहुँचा हो लेकिन किसी भी देश की जनता को यह नागवार गुजरी , वो यह बिल्कुल भूल गए थे की जबतक उनकी गद्दी कायम रहेगी तब तक वो तानाशाह को जींदः रख payenge लेकिन कब तक उनकी गद्दी रहती akhirkaar tanachahi शाशन का अंत होना था और huwaa , जो जनता कब से उनके लिए नफरत लेकर baithi थी जूतों से स्वागत iraq से शुरू हुवा और कांदा तक ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा है ,
इसीलिए महोदय बुश जी की अक्ल में काश यह बात आगई होती वो जो कर रहे हैं वोह इंसानियत के खिलाफ है तो यह दिन जो वो देख रहे है ऐसा औसर कभी नही आता हर जगह उनको आदर और सम्मान मिलता , इंसान किस चीज़ का भूखा होता है पैसे का नही सिर्फ़ और सिर्फ़ प्यार का वो यह बिल्कुल भूल गए थे , इसीलिए सच कहा गया है जैसी इंसान की करनी होती है वैसा वो भरता है जो वो दिन आज अपनी आँखों से देख रहे होंगे और एहसास भी कर रहे होंगे कसश अगर मैंने कुछ ऐसा नही किया होता तो सभी देश की जनता मुझे सम्मान जूतों के बजाई प्यार से दिल से फूलों से उनका स्वागत होता.........कहिर जो आपने किया है उसका फल तो आपको मिलना था ही .....
इसलिए लोगों प्यार से दिलों को जीता जा सकता है नफरत और चल कपट और मार धाड़ से नही दिलो को जीतने कीमंत्र को जानो और नफरत की आग को अपने दिलों से निकल बहार करो तभी हमें सम्मान आदर मिलेगी और ज़िन्दगी सारे पल खुशगवार होकर गुजरेगी..... अगर किसी को मेरे लेख से तकलीफ पहुँची होगी कृपया करके माफ़ कीजियेगा .................... शुक्रिया.
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर