स्विस बैंक के खातों का रहस्योद्घाटन
{( जब की मौका हे हमारे पास इन सवालो का जवाब माँगने का इलेक्शन आ रहे हे और यही बे गैरत लोग हमारे बीच मे वोट की भीक माँगने आले वाले हे तब हम उनसे इतना तो पुच्छ सकते हे की आपकी कितनी पूंजी जमा पड़ी हे स्विस बेंक अकाउंट्स मे जो हमारे खून से कमाई हुई हे और इसे देश के विकास मे ना खर्च करते हुए खुद के विकास के लिए रखी हे ?कितनो के खून से ये हाथ रंगे हे जो जो हाथ सिर्फ़ और सिर्फ़ लोगो की गर्दन ही नापते हे?कई सवाल हे जिनके जवाब हम अपनी जागरूकता से माँग सकते हे......सोना तो हमेशा के लिए हे ही बस इस बार जागो.....जो और जितना कर सकते हे करो...सयद देश की खुशहाली के लिए हमारा ये कदम कोई नया मोड़ लाए......)}
यह कितना चौकाने वाला है.....अगर काला धन जमा करने की प्रतियोगिता का ओलंपिक मे आयोजन किया जाय तो .... भारत को एक स्वर्ण पदक मिल सकता है.
दूसरा सर्वश्रेष्ठ रूस ने भारत से 4 बार कम धन रासी जमा की है. अमेरिका वहाँ शीर्ष पाँच में भी गिनती में नही है! भारत के स्विस बैंकों में सभी अन्य देशों की संयुक्त धन रासी से ज्यादा पैसा है!
हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण, स्विट्जरलैंड सरकार ने खाता धारकों के नाम देने की घोषणा की,मगर तब ही जब सिर्फ संबंधित सरकार औपचारिक रूप से इसे नाम देने के लिए कहे,भारत सरकार ने ऐसे लोगो के नाम की जानकारी के लिए कोई कार्यवाही नही की....... क्यों ?अनुमान लगाना मुश्किल नही हे....
हमे एक आंदोलन शुरू कर के सरकार पर दबाव डालने की अब ज़रूरत हे ताकि वो बेनाम धन रासी जमा करने वालो के नाम स्विस सरकार से माँगे! यह शायद एक ही रास्ता है, और एक सुनहरा मौका है, उच्च ,पराक्रमी और भ्रष्टाचार लोगो को बेनकाब करने के लिए!
भारत गरीब है? कौन कहता है? स्विस बैंकों से पूछो. जहा निजी खातो मे 1500 अरब $ का काला धन जमा पड़ा हे, जो विदेशी कर्ज़ से 13 गुना ज़्यादा हे,भारत एक गरीब देश है इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता नही है?
बेईमान उद्योगपतियों, कौभांडी नेताओं और भ्रष्ट आईएएस, आईआरएस, आईपीएस अधिकारियों ने विदेशी बैंकों में उनके अवैध व्यक्तिगत खातों मे 1500 अरब $ की धन राशि जमा की है, जो उनके द्वारा मिसप्रोप्रीयेटेड किया गया है. यह राशि 13 बार देश के विदेशी ऋण की तुलना में बड़ी हे .. 45 करोड़ गरीब लोगों मे बाँट दिया जाय तो प्रत्येक को 1,00000 रुपये मिल सकती है. यह बड़ी रकम भारत के लोगों से शोषण करके और उन्हें धोखा दे कर विनियोजित की गई है. एक बार काले धन की इस बड़ी रकम और संपत्ति वापस भारत मे लाई जे तो पूरा विदेशी ऋण 24 घंटे में चुकाया जा सकता है. पूरे विदेशी कर्ज का भुगतान करने के बाद, हमारे पास अधिशेष राशि होगा लगभग 12 बार विदेशी कर्ज से बड़ा. यदि इस अधिशेष राशि ब्याज कमाने में निवेश की जाय तो ब्याज की राशि केंद्र सरकार के वार्षिक बजट से भी अधिक हो जाएगा. अगर सभी टैक्स समाप्त कर दिए जाय फिर भी केंद्र सरकार बहुत आराम से देश को बनाए रखने के लिए सक्षम होंगे.
तकरीबन 80000 लोगों स्विट्जरलैंड की हर वर्ष यात्रा करते हे इस मे से 25000 लोग कई बार जाते हे ,जाहिर है ये लोग पर्यटकों नहीं होंगे, वे वहाँ कोई अन्य कारण के लिए यात्रा कर रहे होंगे ,अवैध पैसे पर नज़र रखने वाला एक अधिकारी भी इस मे शामिल है, जाहिर है जिसे निगरानी रखनी हे वो सब जानता हे मगर वो भी अवैध धन राशि के मामले मे चुप हे.!
यह देश की संपत्ति और समृद्धि चूसा नाम करने के लिए निम्नलिखित विवरण की और ध्यान दें कि कैसे इन बेईमान उद्योगपतियों, परिवादात्मक नेताओं, भ्रष्ट अधिकारियों, क्रिकेटरों, फिल्म अभिनेताओं, अवैध यौन व्यापार और संरक्षित वन्यजीव ऑपरेटरों ने कारनामे किए हे. यह स्विस बैंकों में जमा की तस्वीर ही हो सकती है. अन्य अंतरराष्ट्रीय बैंकों के बारे में क्या?
स्विस बैंकों में काला धन - स्विस बैंकिंग एसोसिएशन रिपोर्ट, 2006 के विवरण बैंक जमा स्विट्ज़रलैंड के राज्यक्षेत्र में निम्नलिखित देशों के नागरिकों के द्वारा:
शीर्ष पांच
भारत 1456 अरब $
रूस 470 अरब $
ब्रिटेन 390 अरब $
यूक्रेन 100 अरब $
चीन 96 अरब $
भारत 1,456 अरब $ या 1.4 ट्रिलियन $ के साथ दुनिया के संयुक्त देशो से ज़्यादा पैसा स्विस बैंकों में जमा करने मे अग्रेसर हे. 1947 के बाद से सार्वजनिक लूट:
क्या हम अपने पैसे वापस ला सकते है? यह एक सबसे बड़ी लूट्स हे जो मानवता की हमने देखी है - आम आदमी की लूट जो 1947 से चलती आई हे, अपने भाइयों की सार्वजनिक कार्यालय कब्जे से. यह नेताओं, नौकरशाहों और कुछ व्यापारियों द्वारा ऑर्केस्ट्रेटेड किया गया है.
इस सूची में है लगभग सभी-एनकॉंपसिंग. आश्चर्य नहीं,सब यहा माफी के साथ और बिना किसी भय के लूट ते रहते हे. और कितने ऐसे सर्वोतं कर वाले देश हे,और कितनी विदेशी गुप्त बॅंक हे जहा बेईमानी से मिला धन जम्मा हे?बहुत ही निराशाजांक बात हे ये क्यूंकी ये सिर्फ़ स्विस बॅंक के आँकड़े हे ही जो हमे उपलब्ध हे जहा बेईमानी का पैसा जमा हे.भारतीय अर्थव्यवस्था मे जो पूंजी लगनी चाहिए वो ऐसे गुप्त खातो मे विश्व की कई बेंको मे पड़ी हे.आम भारतीयों को तो पता ही नही हे की कैसे ऐसे गुप्त खातो को चलाया जा सकता हे ुआर इसके क्या नियम हे जो हमारे देश से निकलती धन राशि किसी ऐसे देशो की अर्थ व्यवस्था को मजबूत कर रही हे. हालांकि, एक तरह से स्विस बैंक खातों 'का,' बदली का लेन देन, गोपनीयता और पाठ्यक्रम पिलफरएज के अमीर विकसित लोगों में विकासशील देशों के लिए आशुलिपि जागरूक किया जा सकता है.
वास्तव में, कुछ वित्त विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का कर वाले देश के गरीब देशों के खिलाफ पश्चिमी दुनिया के एक षड्यंत्र होने का विश्वास है. बीसवीं सदी में कर वाले देश के प्रसार को अनुमति दे के विकासशील देशो की पूंजी को धनी देशो मे ले जाने का ये एक षड्यंत्र मालूम पड़ता हे जिस से विकासशील देशो का अर्थ तंत्र प्रभावित हो.मार्च 2005 में, कर न्याय नेटवर्क (टी जे एन )ने संशोधन कर के ढूँढा कि $ 11 .. 5 खरब काली निजी संपत्ति दुनिया भर के अमीर व्यक्तियों द्वारा उपार्जित की गई हे,जिसकाप्रदर्शन प्रकाशित किया गया.
यह अनुमानित निष्कर्ष है कि इस धन का एक बड़ा हिस्सा कुछ 70 कर वाले देश से प्रबंधित किया गया . इसके अलावा, टी जे एन के इस संशोधन को रेमंड बेकर के व्यापक रूप से मनाए पुस्तक 'पूंजीवाद के अकिलीस एड़ी: गंदा धन और कैसे मुक्त बाजार प्रणाली' -मे बताया गया हे की कम से कम 5 खरब $ गरीब देशों में से 1970 के मध्य के बाद से पाशिम मे स्थानांतरित किया गया है.
यह भी एक विशेषज्ञों का अनुमान हे की वैश्विक जनसंख्या के 1 प्रतिशत लोगो के पास कुल वैश्विक संपति के 57 प्रतिशत से अधिक संपत्ति है जो ऐसे देशो की बेंक मे जमा पड़ी हे. इस मे से भारत की कितनी संपाति हे ये अनुमान का विषय हे.
यहाँ उल्लेख किया गया है कि इन कर वेल देशो मे जमा भारतीयों की संपत्ति का अधिकांश पैसा भ्रष्ट तरीके से अर्जित नाजायज है. स्वाभाविक है कि गोपनीयता ऐसे स्थानों में बैंक खातों के साथ जुड़े इस मुद्दे करने के लिए, शब्द 'कर वाले देश' के रूप में उनकी कम कर दरों केंद्रीय नहीं है.बोफोर्स को याद कीजी ये की ऐसी गोपनीयता इन बैंक खातों के साथ जुड़ने की वजह से उन लेनदेनों के अंतिम लाभार्थी को भारत ट्रेस नहीं कर सका है.
क्या कोई है जो बचा सके भारत को?
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ
{( जब की मौका हे हमारे पास इन सवालो का जवाब माँगने का इलेक्शन आ रहे हे और यही बे गैरत लोग हमारे बीच मे वोट की भीक माँगने आले वाले हे तब हम उनसे इतना तो पुच्छ सकते हे की आपकी कितनी पूंजी जमा पड़ी हे स्विस बेंक अकाउंट्स मे जो हमारे खून से कमाई हुई हे और इसे देश के विकास मे ना खर्च करते हुए खुद के विकास के लिए रखी हे ?कितनो के खून से ये हाथ रंगे हे जो जो हाथ सिर्फ़ और सिर्फ़ लोगो की गर्दन ही नापते हे?कई सवाल हे जिनके जवाब हम अपनी जागरूकता से माँग सकते हे......सोना तो हमेशा के लिए हे ही बस इस बार जागो.....जो और जितना कर सकते हे करो...सयद देश की खुशहाली के लिए हमारा ये कदम कोई नया मोड़ लाए......)}
यह कितना चौकाने वाला है.....अगर काला धन जमा करने की प्रतियोगिता का ओलंपिक मे आयोजन किया जाय तो .... भारत को एक स्वर्ण पदक मिल सकता है.
दूसरा सर्वश्रेष्ठ रूस ने भारत से 4 बार कम धन रासी जमा की है. अमेरिका वहाँ शीर्ष पाँच में भी गिनती में नही है! भारत के स्विस बैंकों में सभी अन्य देशों की संयुक्त धन रासी से ज्यादा पैसा है!
हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण, स्विट्जरलैंड सरकार ने खाता धारकों के नाम देने की घोषणा की,मगर तब ही जब सिर्फ संबंधित सरकार औपचारिक रूप से इसे नाम देने के लिए कहे,भारत सरकार ने ऐसे लोगो के नाम की जानकारी के लिए कोई कार्यवाही नही की....... क्यों ?अनुमान लगाना मुश्किल नही हे....
हमे एक आंदोलन शुरू कर के सरकार पर दबाव डालने की अब ज़रूरत हे ताकि वो बेनाम धन रासी जमा करने वालो के नाम स्विस सरकार से माँगे! यह शायद एक ही रास्ता है, और एक सुनहरा मौका है, उच्च ,पराक्रमी और भ्रष्टाचार लोगो को बेनकाब करने के लिए!
भारत गरीब है? कौन कहता है? स्विस बैंकों से पूछो. जहा निजी खातो मे 1500 अरब $ का काला धन जमा पड़ा हे, जो विदेशी कर्ज़ से 13 गुना ज़्यादा हे,भारत एक गरीब देश है इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता नही है?
बेईमान उद्योगपतियों, कौभांडी नेताओं और भ्रष्ट आईएएस, आईआरएस, आईपीएस अधिकारियों ने विदेशी बैंकों में उनके अवैध व्यक्तिगत खातों मे 1500 अरब $ की धन राशि जमा की है, जो उनके द्वारा मिसप्रोप्रीयेटेड किया गया है. यह राशि 13 बार देश के विदेशी ऋण की तुलना में बड़ी हे .. 45 करोड़ गरीब लोगों मे बाँट दिया जाय तो प्रत्येक को 1,00000 रुपये मिल सकती है. यह बड़ी रकम भारत के लोगों से शोषण करके और उन्हें धोखा दे कर विनियोजित की गई है. एक बार काले धन की इस बड़ी रकम और संपत्ति वापस भारत मे लाई जे तो पूरा विदेशी ऋण 24 घंटे में चुकाया जा सकता है. पूरे विदेशी कर्ज का भुगतान करने के बाद, हमारे पास अधिशेष राशि होगा लगभग 12 बार विदेशी कर्ज से बड़ा. यदि इस अधिशेष राशि ब्याज कमाने में निवेश की जाय तो ब्याज की राशि केंद्र सरकार के वार्षिक बजट से भी अधिक हो जाएगा. अगर सभी टैक्स समाप्त कर दिए जाय फिर भी केंद्र सरकार बहुत आराम से देश को बनाए रखने के लिए सक्षम होंगे.
तकरीबन 80000 लोगों स्विट्जरलैंड की हर वर्ष यात्रा करते हे इस मे से 25000 लोग कई बार जाते हे ,जाहिर है ये लोग पर्यटकों नहीं होंगे, वे वहाँ कोई अन्य कारण के लिए यात्रा कर रहे होंगे ,अवैध पैसे पर नज़र रखने वाला एक अधिकारी भी इस मे शामिल है, जाहिर है जिसे निगरानी रखनी हे वो सब जानता हे मगर वो भी अवैध धन राशि के मामले मे चुप हे.!
यह देश की संपत्ति और समृद्धि चूसा नाम करने के लिए निम्नलिखित विवरण की और ध्यान दें कि कैसे इन बेईमान उद्योगपतियों, परिवादात्मक नेताओं, भ्रष्ट अधिकारियों, क्रिकेटरों, फिल्म अभिनेताओं, अवैध यौन व्यापार और संरक्षित वन्यजीव ऑपरेटरों ने कारनामे किए हे. यह स्विस बैंकों में जमा की तस्वीर ही हो सकती है. अन्य अंतरराष्ट्रीय बैंकों के बारे में क्या?
स्विस बैंकों में काला धन - स्विस बैंकिंग एसोसिएशन रिपोर्ट, 2006 के विवरण बैंक जमा स्विट्ज़रलैंड के राज्यक्षेत्र में निम्नलिखित देशों के नागरिकों के द्वारा:
शीर्ष पांच
भारत 1456 अरब $
रूस 470 अरब $
ब्रिटेन 390 अरब $
यूक्रेन 100 अरब $
चीन 96 अरब $
भारत 1,456 अरब $ या 1.4 ट्रिलियन $ के साथ दुनिया के संयुक्त देशो से ज़्यादा पैसा स्विस बैंकों में जमा करने मे अग्रेसर हे. 1947 के बाद से सार्वजनिक लूट:
क्या हम अपने पैसे वापस ला सकते है? यह एक सबसे बड़ी लूट्स हे जो मानवता की हमने देखी है - आम आदमी की लूट जो 1947 से चलती आई हे, अपने भाइयों की सार्वजनिक कार्यालय कब्जे से. यह नेताओं, नौकरशाहों और कुछ व्यापारियों द्वारा ऑर्केस्ट्रेटेड किया गया है.
इस सूची में है लगभग सभी-एनकॉंपसिंग. आश्चर्य नहीं,सब यहा माफी के साथ और बिना किसी भय के लूट ते रहते हे. और कितने ऐसे सर्वोतं कर वाले देश हे,और कितनी विदेशी गुप्त बॅंक हे जहा बेईमानी से मिला धन जम्मा हे?बहुत ही निराशाजांक बात हे ये क्यूंकी ये सिर्फ़ स्विस बॅंक के आँकड़े हे ही जो हमे उपलब्ध हे जहा बेईमानी का पैसा जमा हे.भारतीय अर्थव्यवस्था मे जो पूंजी लगनी चाहिए वो ऐसे गुप्त खातो मे विश्व की कई बेंको मे पड़ी हे.आम भारतीयों को तो पता ही नही हे की कैसे ऐसे गुप्त खातो को चलाया जा सकता हे ुआर इसके क्या नियम हे जो हमारे देश से निकलती धन राशि किसी ऐसे देशो की अर्थ व्यवस्था को मजबूत कर रही हे. हालांकि, एक तरह से स्विस बैंक खातों 'का,' बदली का लेन देन, गोपनीयता और पाठ्यक्रम पिलफरएज के अमीर विकसित लोगों में विकासशील देशों के लिए आशुलिपि जागरूक किया जा सकता है.
वास्तव में, कुछ वित्त विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का कर वाले देश के गरीब देशों के खिलाफ पश्चिमी दुनिया के एक षड्यंत्र होने का विश्वास है. बीसवीं सदी में कर वाले देश के प्रसार को अनुमति दे के विकासशील देशो की पूंजी को धनी देशो मे ले जाने का ये एक षड्यंत्र मालूम पड़ता हे जिस से विकासशील देशो का अर्थ तंत्र प्रभावित हो.मार्च 2005 में, कर न्याय नेटवर्क (टी जे एन )ने संशोधन कर के ढूँढा कि $ 11 .. 5 खरब काली निजी संपत्ति दुनिया भर के अमीर व्यक्तियों द्वारा उपार्जित की गई हे,जिसकाप्रदर्शन प्रकाशित किया गया.
यह अनुमानित निष्कर्ष है कि इस धन का एक बड़ा हिस्सा कुछ 70 कर वाले देश से प्रबंधित किया गया . इसके अलावा, टी जे एन के इस संशोधन को रेमंड बेकर के व्यापक रूप से मनाए पुस्तक 'पूंजीवाद के अकिलीस एड़ी: गंदा धन और कैसे मुक्त बाजार प्रणाली' -मे बताया गया हे की कम से कम 5 खरब $ गरीब देशों में से 1970 के मध्य के बाद से पाशिम मे स्थानांतरित किया गया है.
यह भी एक विशेषज्ञों का अनुमान हे की वैश्विक जनसंख्या के 1 प्रतिशत लोगो के पास कुल वैश्विक संपति के 57 प्रतिशत से अधिक संपत्ति है जो ऐसे देशो की बेंक मे जमा पड़ी हे. इस मे से भारत की कितनी संपाति हे ये अनुमान का विषय हे.
यहाँ उल्लेख किया गया है कि इन कर वेल देशो मे जमा भारतीयों की संपत्ति का अधिकांश पैसा भ्रष्ट तरीके से अर्जित नाजायज है. स्वाभाविक है कि गोपनीयता ऐसे स्थानों में बैंक खातों के साथ जुड़े इस मुद्दे करने के लिए, शब्द 'कर वाले देश' के रूप में उनकी कम कर दरों केंद्रीय नहीं है.बोफोर्स को याद कीजी ये की ऐसी गोपनीयता इन बैंक खातों के साथ जुड़ने की वजह से उन लेनदेनों के अंतिम लाभार्थी को भारत ट्रेस नहीं कर सका है.
क्या कोई है जो बचा सके भारत को?
सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ
क्या बात है आप की
ReplyDeleteसच है
इसी आधार पर तो विदेशी क़र्ज़ मिलता है
की उनका पैसा जमा है
क्यों न हम अपनी ताक़त बाधाएं और
खतम कर दे इस समस्या को
या ये अफवाह फेलाए की स्विच बैंक तो गया मंदी की मार में
भाग जायेगा और तब भारत का माल भारत में आएगा
सही है न
समस्यों से adhik jaruri है समस्या का समाधान
क्योकि समस्या तो सब ही jante है
jab hum apni roti ke liye kuch bhi kar sakte hai to sarkar ko paisa vapas lana chaiye
ReplyDeletevarna giyo garibi me aur mar jao san se
neeraj bindua charkhari mahoba u.p.
09454280308