के अंतर्गत मेरा यह लेख "मुस्लिम मतदाता क्या सोचते हैं?"
लोकसभा के चुनाव के आते ही मुस्लिम वोट्स की चर्चा होना आम बात है जैसा कि हम इससे पहले की पोस्ट में पढ़ चुके हैं कि मुस्लिम मतदाता राजनितिक दलों के लिए भेंड सामान हैं, वह सौ प्रतिशत सही है| कुछ सवाल और भी है जो सबके ज़ेहन में ज़रूर आते होंगे जैसे- "भारतीय मुस्लिम क्या सोचते है? कौन कौन से मुद्दे हैं जिनपर मुस्लिम मतदाता राजनितिक पार्टीज़ को वोट देंगे? क्या उनके मुद्दे वही होंगे जो बाकी दूसरे भारतीयों के होंगे या फिर उनके कुछ मख़सूस मुद्दे भी है? आदि"
भारत में पिछले एक साल में राजनैतिक, सुरक्षा और सामाजिक स्थिति बहुत ज्यादा बदल गयी है, जिसके आधार पर कुछ कहना मुश्किल है, पिछले अनुमान पर कायम रहना भ्रम सा होगा | भारत में इस बीते साल में जो कुछ हुआ, उसकी वजह से हिन्दू और मुस्लिम के बीच टेंशन भी है | जो कुछ थोडी बहुत बची है वह वरुण गाँधी और अन्य साम्प्रदायिक नेता पूरी करे दे रहे है |
सबसे ताज़ी बानगी तो नवम्बर 2008 में मुंबई में हुए हमले से बनती है जो कि पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैबा द्वारा प्रायोजित था | यह तो हमारा भाग्य ही था या हमारे देशवासियों की जागरूकता भरी सूझ बूझ कि किसी हिन्दू-मुस्लिम दंगे की कोई खबर ना ही मुंबई से या देश के किसी अन्य स्थान से आयी| वैसे मुंबई में जो हुआ उसका सीधा मक़सद था दोनों को आपस में लड़वाना |
लेकिन सब कुछ ठीक रहा यह भी नहीं कहा जा सकता | जामिया नगर में मुस्लिम युवाओं का उत्पीड़न और पुलिस द्वारा मुठभेंड जो कि शक के दायरे में आ गयी थी और फ़र्जी थी | राजनितिक दबाव के चलते बेगुनाह मुस्लिम युवाओं को मार डाला गया | इसके अलावा उत्तर भारत में शांति से रह रहे आजमगढ़ के निवासियों को प्रताडित करने से एक गुस्से और शिकायत की एक लहर मुस्लिम समाज में आ गयी थी | यह भी मुस्लिम समाज के बहुत शोक्ड सदमा है कि गुजरात के 2002 के पीडितों की समस्या जस की तस् है |
भारत के लगभग सभी शहरों में अभी भी सुरक्षा की दृष्टि से उठाये गए सवालों की वजह से मुस्लिम की हालत भी ध्यान आकर्षित करती है | ज्यादातर शहरों में मुस्लिम को यह विश्वाश नहीं है, किसी भी तरह से विश्वाश नहीं है कि पुलिस उनसे सभ्य सुलूक करेगी |
मैं आपको एक सच्ची घटना बताता हूँ- मेरे एक दोस्त ने जो कि मुस्लिम था, पासपोर्ट कार्यालय से अपने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, उसका पासपोर्ट बन भी गया और डाकिया उसे डिलीवर करने उसके घर गया| पासपोर्ट देते समय उसने मेरे दोस्त से कहा- भैया ! बहरवा जाईके बम वम मत फोड़ दीहs , नाहीं तs हमर नौकरी चल जाई !" अब आप ही बताईये समाज में जो लहर है वह क्या सही है |
दूसरा मुद्दा जो मुसलमानों के लिए अहम् है वह है कि सरकार या किसी भी राजनैतिक पार्टी का सच्चर कमिटी की सिफारिशों को लागू करने में नाकाम रहना | सच्चर कमिटी की रिपोर्ट में भारत के मुसलमानों के हालत और उसके समाधान का पूरा इंतेज़ाम है | आज से दो साल पहले यह रिपोर्ट आयी थी और उसे आधे अधूरे मन से और निचले स्तर पर HR मंत्रालय पर काम हुआ लेकिन उसके बाद कोई भी एक्शन अभी तक नहीं लिया गया | यहाँ तक की सरकार इसे पार्लियामेंट में बहस के लिए भी नहीं ले गयी ना ही इसमें कुछ काम किया |
ऊपर दिए गए मुद्दे क्या कम थे जो कुछ राजनैतिक पार्टियाँ भारत-अमेरिकी परमाणु करार को भी मुस्लिम मुद्दे से जोड़ने जैसा घृणित कार्य कर बैठीं | बेहद दुखद था कि उन्होंने इसे मुस्लिम विरोधी करार दिया था| इसी तरह के बेवजह के मुद्दों से कुछ कथित सेकुलर राजनैतिक पार्टियों अपने स्वार्थ और फायदे के लिए लगातार मुस्लिम वोट बटोरती आ रही हैं |
ज्यादातर चुनाव में पार्टियाँ यह कोशिश करती है कि वह बड़े से बड़े पैमाने पर मुस्लिम्स' वोट्स बटोर लें और उसके लिए वह तरह तरह के हथकंडे अपनाती हैं और मुसलमानों की भावनाओं को टटोल कर अपने चुनावी वादे करती है जैसे- उर्दू को दूसरी भाषा बनाना, जुमे की नमाज़ को अटैंड करने के लिए स्कूल में आधे दिन की छुट्टी का ऐलान, मुसलमानों के पीर और औलियाओं की कब्र (मज़ार) पर जाना, कुछ मुस्लमान लीडर्स का पार्टियों द्वारा सार्वजनिक रूप से प्रसंशा करना आदि!
मुसलमान आज देख रहा है, राजनैतिक पार्टियों और उम्मीदवारों का ट्रैक रिकॉर्ड का अध्ययन कर रहा है कि उन्होंने ने मुस्लिम समुदाय के लिए क्या किया? उनके भले के लिए क्या किया और बुरे में क्या किया? उम्मीदवारों को इसी आधार पर तौला जायेगा, इस विधान सभा चुनाव में!!! आज यह मांग बहुत तेजी से उठ रही है कि वह पार्टी जो ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा मुस्लिम को दे वही वोट की हक़दार होगी|
मुसलमान यह चाहते है कि उनसे पुलिस द्वारा अनुचित तरीके से मुसलमान होने की वजह से प्रताडित ना किया जाये या बेवजह उनके युवाओं को पुलिस उठा कर ना ले जाये और बाद में उस पर फर्जी आरोप लगा कर जेल भेज दे या आतंकी का ठप्पा लगा दे | उसे गुजरात जैसे हादसों का दुबारा सामना न करना पड़े | वह नज़र रख रहें हैं कि कौन सच्चर कमिटी की सिफारिशों को अमल में लायेगा, कौन मुसलमानों की बदहाली हो ख़तम करेगा, कौन मुसलमानों को सम्मान से जीने के लिए क़दम उठाएगा, कौन उसे दोयम के बजाये बराबर का समझेगा | वह चाहता है कि भारतीय समाज में उसे भी इज्ज़त से जीने के लिए ज़मीन, आसमान और आज़ादी चाहिए!
देश के ज़्यादातर प्रदेशों में अन्य प्रदेशों के समान ही आधार हैं जिन से यह तय होगा कि वह किसे वोट देंगी | लेकिन अन्य मुद्दों पर मुसलमानों के वोट्स उधर ही जायेंगे जिधर दुसरे भारतीय के जैसे - मुस्लिम दलित मुद्दा, यह मुद्दा हिन्दू दलित और ईसाई दलित के समान ही है | मुस्लिम OBC मुद्दा- यह मुद्दा हिन्दू OBC और ईसाई OBC के समान ही है| निम्न आय वर्ग में गरीब मुस्लिम का वोट भी वहीँ जायेगा जहाँ गरीब हिन्दू या गरीब ईसाई या दुसरे गरीबों का जायेगा | गरीब तो यह देखेंगे (चाहे वो कोई हों) कि कौन उनके infrastructure को संवारेगा और उनके लोकेलिटी को ऊपर उठने मौक़ा देगा| कोंग्रेस और बीजेपी जैसी राष्ट्रिय स्तर की पार्टियों में मुस्लिम की दिलचस्पी का ग्राफ कम होता जा रहा है और उनका वोट स्थानीय पार्टियों हथियाती जा रहीं है जिनमे प्रमुख हैं- समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रिय जनता दल, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया, DMK, AIDMK आदि|
"भारत का मुसलमान उन्हें पार्टियों द्वारा हांथों हाँथ लिए जाने और लुभावने वादों आदि से अब सतर्क हो चूका है | इसके बजाये वह देख रहा है उसके साथ साफ़-सुथरा और समानता का व्यवहार ! किसी और चीज़ से ज़्यादा मुस्लिम्स उसे वोट देने के लिए अधिक झुकेंगे जो भारत में secular democratic structure को genuinely promote करेगा, ठीक उसी तरह से जैसे मुग़ल काल के बादशाहों के समय में था जिन्होंने एक हज़ार साल भारत देश पर एकछत्र शक्तिशाली शासन करने के बाद भी हिन्दू मुस्लिम सौहार्द बरक़रार रखा !"
सलीम खान
संरक्षक
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
यह मेरा सौभाग्य ही है कि शतकीय पोस्ट को फिर मैंने ही पोस्ट किया, पिछली बार 400वीं और ये 500वीं !
ReplyDeleteसही फ़रमाया आपने आज मुस्लिम समाज एक गुमनामी की ज़िन्दगी जी रहा है चरों तरफ इन्हें पर्तरित किया जा रहा है इन्हें फर्जी मामलो में फसाया जा रह है कब तक एक नए देश की स्ताफ्ना होगी जहा अमन और चैन की ज़िन्दगी जीने को मिलेगा जबतक यह गंदे राजनेता अपनी गन्दी राजनीती का अंत नहीं करेंगे ऐसे हमारी भावनाओं से खेला जायेगा और हमे इस्तेमाल किया जायेगा.......
ReplyDeleteआपने एक सही मुद्दा उठाया है. लेकिन सिर्फ चुनाव के समय सब को मुस्लमान क्यों याद आता है? में तो अभी तक नहीं समझ पाया हु. जो समझ पाया वो आप सब के साथ शेअर करना चाहुगा .
ReplyDeleteसब राजनितिक पार्टिया मुसलमानों को सिर्फ और सिर्फ वोटर ही समझती है . वोट देने के वाद सब भूल जायेगी. आपने फुटबॉल के खेल में देखा होगा सारे खिलाडी फुटबॉल को पाने के लिए उस को किक मरते रहते है.
यहाँ मैदान (चुनाव) में फुटबॉल (मुस्लमान) है.खिलाडी (पार्टिया) है.सब झपट रहे है फुटबॉल पर .
कल खेल (चुनाव) ख़त्म फुटबॉल (मुसलिम) स्टोर रूम में डाल कर ताला लगा देगे ........... अगले चुनाव तक.
यह है मेरे हिंदुस्तान का दर्द.....
राजीव महेश्वरी
राजीव जी मैं आपकी बात से सहमत हूँ!
ReplyDeleteis bar kuchh kam ki bat likhi hai
ReplyDeletelo bhai............ab ..ek aatanki dusre aatanki ko dimagi diwaliya kah raha hai ............. yahan aatanki bole to jinke kisi bhi kary se logo mein aatank failta ho ...........................aur ye post likhi gayi hai "bhadas " par wo bhi ek patrkarita ke chhatr dwara jo jamia mein simi ke liye kam karta hai . ye (naam khud pata kar lena kyunki aise gaddaro ke nam mein nahi lena chahta ) sio ke mukhpatr jisme khulaam hinduo ke khilaaf jahar ugla jata hai , uske sub editor hain . aur sio to aghoshit rup se simmi ka base taiyar karta hai ye aap sabhi jante hain . army intelligence bhi is janch me lagi hai . ab aise log agar wishw shanti ki baat karen to .............. aap hi sochiye ............. aap benami hone par sawal uthayenge lekin bhai naam bata kar main abhi gumnami ki maut nahi marna chahta . abhi to bharat ke liye jine ka waqt hai .......
ReplyDeleteप्रेस विज्ञप्ति
नई दिल्ली, (22 मार्च 2009)
भाजपा के पीलीभीत (उत्तर प्रदेश) संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी वरुण गांधी द्वारा दिए गए आपत्तिजनक भाषण से श्री वरुण के दिमागी दिवालियापन का सबूत मिलता है। विश्व शांति परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा कि श्री वरुण द्वारा फैलाए जाने वाले साम्प्रदायिक ज़हर से देश का शांत वातावरण एक बार फिर से प्रदुषित हो रहा है। उन्होंने कहा कि वरुण ने अपनी गलती पर अफसोस और माफी के बजाए गर्व से कहा है कि मैंने कोई गलत कार्य नहीं किया है, जबकि फॉरेंसिक रिपोर्ट से पूरी तरह साबित हो चुका है कि उनके भाषण की सीडी से किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।
श्री फ़ैज़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा वरुण को मिली अग्रिम जमानत पर भी अफसोस जताते हुए कहा कि सीडी की फॉरेंसिक रिपोर्ट आ जाने के बाद भी जमानत मिल जाने से देश के साम्प्रदायिक सौहार्द को ठेस पहुंची है, और साम्प्रदायिक शक्तियां वरुण के आपत्तिजनक कार्य पर जश्न मना रही हैं। शिव सेना सुप्रीमों बाल ठाकरे का यह बयान कि मुझे ऐसा ही गांधी चाहिए, बेहद अफसोसजनक है। चुंकि वरुण की इस ओछी राजनीत से पता चलता है कि वह वरुण “गांधी” नहीं, बल्कि “विवादी” है।
अनाम राय देने वाले भाई साब आपसे यह कहना चाहूँगा की डरिये मत यह मंच विचारों का है,अपने नाम के साथ विचार रखिये!
ReplyDeleteक्योंकि विचार कैसे भी हो सकते है !
अगर आप खुलकर सामने आयेंगे तो कुछ अलग बात होगी!
और आप हिन्दुस्तानी भी कहलाएँगे,आतंकिओं की तरह छुपकर हमला क्यों???????
संजय सेन सागर
जय हिन्दुस्तान-जय यंगिस्तान
अनाम राय देने वाले भाई साब आपसे यह कहना चाहूँगा की डरिये मत यह मंच विचारों का है,अपने नाम के साथ विचार रखिये!
ReplyDeleteक्योंकि विचार कैसे भी हो सकते है !
अगर आप खुलकर सामने आयेंगे तो कुछ अलग बात होगी!
और आप हिन्दुस्तानी भी कहलाएँगे,आतंकिओं की तरह छुपकर हमला क्यों???????
संजय सेन सागर
जय हिन्दुस्तान-जय यंगिस्तान