चूहे
चूहे नश्वर कुतरते, नहीं अनश्वर याद.
माटी को माटी करें, समय न कर बर्बाद.
चूहे तो मजबूर हैं, करते मेहनत नित्य।
चिर भूखे मजदूर हैं, पूजें काम अनित्य।
हर आतंकी शिविर में, यदि दें इनको भेज.
कुतर उन्हें खा जायेंगे, दांत बहुत हैं तेज.
संसद में जा सकें तो, नेताओं को काट।
सोते से देंगें जगा, रोज खादी कर खाट।
भाषण देने गए तो, इनकी ही आवाज.
हर चैनल पर मिलेगी, होगा इनका राज.
धूम बाल उद्यान में, मचा सकेंगे रोज।
चन्द्र देव से मिलेंगे, खायेंगे संग भोज.
चूहे नश्वर कुतरते, नहीं अनश्वर याद.
माटी को माटी करें, समय न कर बर्बाद.
चूहे तो मजबूर हैं, करते मेहनत नित्य।
चिर भूखे मजदूर हैं, पूजें काम अनित्य।
हर आतंकी शिविर में, यदि दें इनको भेज.
कुतर उन्हें खा जायेंगे, दांत बहुत हैं तेज.
संसद में जा सकें तो, नेताओं को काट।
सोते से देंगें जगा, रोज खादी कर खाट।
भाषण देने गए तो, इनकी ही आवाज.
हर चैनल पर मिलेगी, होगा इनका राज.
धूम बाल उद्यान में, मचा सकेंगे रोज।
चन्द्र देव से मिलेंगे, खायेंगे संग भोज.
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--- संजय सेन सागर