Skip to main content

हमारे और तुम्हारे में बस फ़र्क़ है इतना !

Everything is God. कुछ लोगों का ईश्वर के बारे में मानना यह है कि "सबकुछ ईश्वर है|" 

सबकुछ में ईश्वर है जैसे -हवा, पानी, पेड़, गाय, बैल, हम, तुम, चोर, डाकू आदि| अर्थात सबकुछ में ईश्वर है| ईश्वर सर्व व्याप्त है | लेकिन वेद, उपनिषद कहते हैं- "ब्रह्म ने ही इस पूरी सृष्टि को बनाया है|" Everything is God's. इस्लाम कहता है "सबकुछ ईश्वर का है|" 

सबकुछ ईश्वर ने बनाया है| वह सर्वशक्तिमान है | मगर सबमें नहीं है | उसने सबको बनाया है| मुझको, आपको, हमारे माँ-बाप को, हमारे दादा-परदादा को और इस आकाश को, धरती को, पानी को, हवा को | सबको| वेद और कुरान में हिन्दुज़्म और इस्लाम में बहुत समानताएं हैं |

और इस एक असमानता को दूर करके हमें समानताओं को लेकर आगे बढ़ना चाहिए | अगर हम ऐसा करते हैं, इंशा अल्लाह भारत देश ज़रूर 2020 तक विश्व शक्ति ज़रूर बन जायेगा |

Comments

  1. bahut अच्छा लिखा है आपने. धन्यवाद.

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा