आज मेहदी हसन की याद आ रही है .... सोच रहा हूँ ,ऐसे फनकार बिरले पैदा होते है.....अपने इलाज के लिए भी उन्हें पैसे पैसे के लिए तरसना पड़ रहा है , यह देख नई पीढी क्यों गजल गायन या शास्त्रीय संगीत में रूचि दिखायेगी . फिर पत्ता बूटा बूटा जैसी गजलों को अपनी आवाज़ के जादू से यादगार बनाने वाले 82 साल के हसन गरीबी से इस कदर जूझ रहे हैं कि उनके इलाज के लिए भी पूरा बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है।दुनिया भर के उनके प्रशंषकों को इलाज के लिए पैसे जुटा कर भेजने चाहिए । पाकिस्तानी या भारतीय सरकार को भी मदद करनी चाहिए ।
वह फेफड़ों के संक्रमण के कारण पिछले डेढ़ महीने से कराची के आगा खान यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती हैं। राजस्थान के लूना में जन्मे हसन नौ बरस पहले पैरलाइसिस के चलते मौसिकी से दूर हो चुके है । अन्तिम समय में यह दिन भी देखना पड़ रहा है । क्यों किसी फनकार के पास इतना भी पैसा नही होता जिससे वह अपना जीवन सुखमय बिता सके ।
वह फेफड़ों के संक्रमण के कारण पिछले डेढ़ महीने से कराची के आगा खान यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती हैं। राजस्थान के लूना में जन्मे हसन नौ बरस पहले पैरलाइसिस के चलते मौसिकी से दूर हो चुके है । अन्तिम समय में यह दिन भी देखना पड़ रहा है । क्यों किसी फनकार के पास इतना भी पैसा नही होता जिससे वह अपना जीवन सुखमय बिता सके ।
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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर