सारांश यहाँ आगे पढ़ें के आगे यहाँ
.चुनाव आते ही चरों और नेता ही .नेता..दिखने लगे है...वे हमेशा की तरह ही नए-नए नारे देंगे,वाडे करेंगे और हमारा वोट हथियाने का हर सम्भव प्रयत्न करेंगे...!चुनावी सीजन में ये स्वाभाविक भी है.....!लेकिन जैसा की एक विज्ञापन में देखा ....एक युवा नेता से उसकी योग्यता पूछता है...उसी तरह जनता को भी चाहिए की वो नेता से उसके कार्यों का हिसाब पूछे....उनकी सुनने की बजाय उन्हें सुनाये....!क्यूंकि यही वो मौका है जब उन्हें आपको सुनना ही पड़ेगा...!बाकी पाँच साल तो आप उन्हें .dhoondhte....रह जाओगे..!आज एक छोटी सी नौकरी के लिए भी हमे कम्पीटीशन देना पड़ता है ...जब की इनके लिए कोई योग्यता निर्धारित नहीं है...!ये काम जनता ही कर सकती है...!नेताओं से उनके भावी वादों आदि के बारे में सवाल करें क्यूंकि ये बेहद..जरूरी है...आप .पूछिए...ये आपका हक है...
.चुनाव आते ही चरों और नेता ही .नेता..दिखने लगे है...वे हमेशा की तरह ही नए-नए नारे देंगे,वाडे करेंगे और हमारा वोट हथियाने का हर सम्भव प्रयत्न करेंगे...!चुनावी सीजन में ये स्वाभाविक भी है.....!लेकिन जैसा की एक विज्ञापन में देखा ....एक युवा नेता से उसकी योग्यता पूछता है...उसी तरह जनता को भी चाहिए की वो नेता से उसके कार्यों का हिसाब पूछे....उनकी सुनने की बजाय उन्हें सुनाये....!क्यूंकि यही वो मौका है जब उन्हें आपको सुनना ही पड़ेगा...!बाकी पाँच साल तो आप उन्हें .dhoondhte....रह जाओगे..!आज एक छोटी सी नौकरी के लिए भी हमे कम्पीटीशन देना पड़ता है ...जब की इनके लिए कोई योग्यता निर्धारित नहीं है...!ये काम जनता ही कर सकती है...!नेताओं से उनके भावी वादों आदि के बारे में सवाल करें क्यूंकि ये बेहद..जरूरी है...आप .पूछिए...ये आपका हक है...
बहुत बढ़िया लिखा है
ReplyDeleteराजनीति आजकल नेताओं की बाप की जायजाद बन गयी है जो आता है मुह उठाकर चला आता है देश चलाना क्या इन बच्चों का काम है
ReplyDeleteसच कहा आपने नेता आजकल राजनीति को घर की बात समझने लगे
ReplyDeleteराजनीति मे विस्वास और गंभीरता खोती जा रही है जो चिता का विषय है !
aap sab ko THANX..
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