Skip to main content

''हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग हिन्दू या मुस्लिम का नहीं है''

''हिन्दुस्तान का दर्द''के एक बहुत ही बुद्धीजीवी लेखक सलीम खान जो बेहद अच्छे और काबिल मुद्दों पर कलम उठाते है उनको पढ़कर हमेशा से ही अच्छा महसूस होता है,क्योंकि इन मुद्दों पर आवाज़ रखने की आम लोगों में कम ही देखी जाती है !
सलीम खान जी ने कल एक पोस्ट पर प्रशांत जी की बात को गलत ठहराया था,क्योंकि मेरे ख्याल से प्रशांत जी वहा गलत थे !इसके बाद प्रशांत जी ने एक पोस्ट लिखी ''हां हर मुस्लिम आतंकवादी है''जो इस्लाम के विरुद्ध थी !मैंने भी इसका खंडन किया..!
इस पोस्ट के नीचे दिए एक कमेंट्स पर मेरी नजर गयी जो अनाम व्यक्ति का था उसकी बातों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया..!!

यहाँ पर सोचने की बजह सलीम जी नहीं है बल्कि नीच मानसिकता वाला बह लेखक है जो यह कहता है की सलीम जी अगर इस्लाम की बताओ को हमारे साथ बांटते है तो वो इस्लाम को इस ब्लॉग पर हावी करना चाहते है !पर मुझे तो कभी ऐसा नहीं लगा क्योंकि मेरी नजर मे धर्म सब एक जैसे है,यदि लोगों को इस्लाम की जानकारी मिल रही है तो गलत क्या है!
मैं आप लोग से जानना चाहता हूँ की क्या कभी आपको सलीम जी की पोस्ट से ऐतराज़ हुआ,परेशानी हुई ! नहीं हुई पर प्रशांत जी को जरुर अपनी मानसिकता मे सुधार लाना होगा जो यह कहते है की मुस्लिम धोखेबाज है ! और इस तरह की पोस्ट डालते है मैं सभी को बताना चाहता हूँ की मंच किसी धर्म का नहीं देश का है,और जो देश का भाग है यह मंच उसका है और बह अपनी बताओ को एक दायरे के भीतर रखने के लिए स्वतंत्र है !

संजय सेन सागर
जय हिन्दुस्तान-जय यंगिस्तान आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. आपका कहना सही है, संजय. सलीम के साथ मेरा तर्क-वितर्क मांसाहार और शाकाहार के मुद्दे पर चला लेकिन वह कटुतापूर्ण नहीं था. सलीम के इस्लाम विषयक लेखों पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. जिसे जो पढना पसंद नहीं है वह उसे नज़रंदाज़ कर सकता है.

    ReplyDelete
  2. सही फ़रमाया संजय जी..यह मंच किसी धर्म विशेस का नहीं है
    यहाँ हर किसी को अपनी बात रखने का हक़ है
    सलीम जी अच्छा काम कर रहे है !

    ReplyDelete
  3. मैं भी इस तरह की बातों को नहीं मनाता,और न ही मैं ऐसा कुछ लिखना चाहता था
    लेकिन सलीम जी के मन मे किसी भी प्रकार का गलत भाव न आये इसलिए मुझे मजबूरी मे यह पोस्ट लिखनी पडी !

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा