हाल ही में केन्द्र सरकार ने बताया है कि अभिनव बिंद्रा का गोल्ड मैडल जीतना, स्लाम्दाग मिलिनयर के आस्कर जीतने, पिंकी इस्माईल का ऑस्कर जीतना हमारी उपलब्धि है। सरकार इन उपलब्धियों के लिए ख़ुद की पीठ थपथपा रही है। बात यही ख़तम नही होती, बेशर्मी की हद पार करते हुए मनमोहन सरकार लोकसभा चुनाव में इन जीतो से अपने भीख के कटोरे को चमकाने की कोशिश में है। मौजदा सरकार नागरिको को क्या इतना बेवकूफ समझती है कि उसकी ये दलील मान ली जायेगी। आज का भारतीय हर ढंग से इतना सक्षम है कि जान सके सच क्या है। अभिनव ने ओलंपिक से लौट कर बताया था कि कुछ खेल अधिकारियो ने उनकी क्षमता पर सवाल खड़े किए। अभिनव के पिता ने उन्हें अच्छी सुविधाए देने के लिए अपनी गांठ के ५ करोड़ खर्च कर दिए थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने यह कहा है कि उनके मैडल पर सरकार का नही बल्कि देशवासियो का हक़ बनता है। सोचिये अगर अभिनव के पिता ने उनकी कोई मदद नही कि होती तो क्या गोल्ड मैडल का ख्वाब देखा जा सकता था। उन्हें एक अच्छी पिस्टल तक न उपलब्ध कराने वाली सरकार आज कहती है अभिनव भी हमारा, गोल्ड भी हमारा। स्लाम्दाग में दिखाई गई झुग्गियो के बच्चो कि लाचारी को सरकार कैसे ख़ुद कि उपलब्धि मान रही है। ये बेहयाई कि हद ही कही जायेगी कि पिंकी इस्माईल को भी सरकार अपनी जीत बता रही है। विदेश के एनजीओ इस्माईल ट्रेन ने भारत में पिंकी जैसे बच्चो के लाखो आपरेशन करवाए है। सरकार बताये कि ऐसे कितने बच्चो का कायाकल्प उसने किया है। मनमोहन जी जब आपके नाकारा नेता जी असली मुद्दों को छोड़कर सर पर ऑस्कर और गोल्ड मैडल की कलगी लगाकर वोटो के लिए कटोरा थामे नाचेंगे तो क्या कहेगा आपका जमीर। मेरे देश कि बदकिस्मती है कि उसे पहले नोच नोच कर खाने वाले अंग्रेज थे और अब मेरे भारत को नोचे वाले हाथ हिंदुस्तान की राजनीती के है.
केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
निश्चित तौर पर बेशर्मी की हद हो गयी
ReplyDeleteहमारी सरकारों का यदि कुछ योगदान है तो ये कि उन्होंने देश में विकास के नाम पर ऐसी औंधी योजनायें बनाई हैं कि लाखों करोड़ों लोग गांव छोड़-छोड़ कर काम की तलाश में दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों की ओर भागने और वहां झोंपड़पट्टियों में पशुवत जीवन जीने के लिये अभिशप्त हैं! ऑस्कर तो हमारे योजना आयोग को मिलना चाहिये था जिसकी वज़ह से दुनिया हमारे स्ल्म्स को आंखे फाड़े देख रही है!
ReplyDeleteसुशान्त सिंहल
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