Skip to main content

लक्ष्मीनिवास मित्तल पर भारत क्यों गर्व करे?



हम भारतीयों की दो बुरी आदतें हैं। एक तो हम अपने यहां किसी प्रतिभाशाली व्यक्ति को आगे बढ़ने नहीं देते, और दूसरी; जब वह विदेश जा कर सफल हो जाता है तो हम उसे “अपना आदमी” बताने और उसकी शान में कसीदे काढ़ने में ज़मीन-आसमान एक कर देते हैं।
यही हमने किया कल्पना चावला के साथ और यही हम अब कर रहे हैं इस्पात के व्यापारी लक्ष्मीनिवास मित्तल के साथ।
कल्पना चावला को अंतरिक्ष यात्री बनने देने का सारा श्रेय अमेरिका को है और इसीलिये कल्पना ने वहां की नागरिकता ग्रहण कर ली थी। लेकिन जब वे “नासा” की तरफ से अंतरिक्ष यात्रा पर गयीं तो भारतीय लोग ऎसे सीना फुलाने लगे जैसे कल्पना भारत के किसी अंतरिक्ष कार्यक्रम की बदौलत अंतरिक्ष में गयीं थीं।
लक्ष्मीनिवास मित्तल ब्रिटेन के निवसी हैं, यूरोप की बड़ी इस्पात कंपनी आर्सेलर पर नियंत्रण हासिल कर दुनिया भर में नाम कमा रहे हैं तो भारत में उनकी जीत “एक भारतीय” की जीत बतायी जा रही है।
क्यों भई, जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है उसके किसी अच्छे- बुरे काम का श्रेय भारत को कैसे जायेगा? सोनिया गांधी के कॉंग्रेस अध्यक्ष बनने पर इटली में तो खुशियां नहीं मनायी जातीं, लेकिन अमेरिका में जन्मे बॉबी जिंदल वहां के लुइसियाना राज्य के गवर्नर पद का चुनाव लड़ते हैं तो भारतीय संचार माध्यम उनकी उपलब्धि को भारत की उपलब्धि बताने के लिये टूट पड़ते हैं। बॉबी बेचारे सिर फोड़-फोड़ कर कहते हैं कि “मुझे अमेरिकी नागरिक होने पर गर्व है; मुझे क्रिश्चियन होने पर गर्व है” लेकिन हमारे मीडिया पर कोई असर नहीं होता।
बड़े-बूढ़े इसीलिये सदियों पहले कह गये थे कि घर का जोगी जोगड़ा, आन गांव का सिद्ध!


-->
आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. सही कहा आपने, और आपकी बात बिलकुल सही है|

    घर का जोगी जोगडा, आन्ह गाँव का सिद्ध |

    यहाँ तो आपस में लड़ने मरने से फुर्सत मिले तब ना ! तब ना उन्हें यहाँ की प्रतिभा को प्रोत्साहित करने की सोचे!!

    काश ऐसा होता की भारत वर्ष से एक बन्दा भी बाहर ना जाकर यहाँ ही अपने हुनर का इस्तेमाल कर पाता|

    सलीम खान
    स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़
    लखनऊ, उत्तर प्रदेश

    ReplyDelete
  2. हां सही है भारत अच्छी चीज़ों को जल्दी बना लेता है!
    लक्ष्मी मित्तल पर हमे क्यों गर्व होना चाहिए

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा