Skip to main content

सूअर सबसे निर्लज्ज और बेशर्म जानवर है!


"इस धरती पर सूअर सबसे निर्लज्ज और बेशर्म जानवर है| केवल यही एक ऐसा जानवर है जो अपने साथियों को बुलाता है कि वे आयें और उसकी मादा के साथ यौन इच्छा को पूरी करें| अमेरिका में प्रायः लोग सूअर का माँस खाते है परिणामस्वरुप ऐसा कई बार होता है कि ये लोग डांस पार्टी के बाद आपस में अपनी बीवियों की अदला बदली करते हैं अर्थात एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति से कहता है कि मेरी पत्नी के साथ तुम रात गुज़ारो और मैं तुम्हारी पत्नी के साथ रात गुज़ारुन्गा (फिर वे व्यावहारिक रूप से ऐसा करते है)| अगर आप सूअर का माँस खायेंगे तो सूअर की सी आदतें आपके अन्दर पैदा होंगी | हम भारतवासी अमेरिकियों को बहुत विकसित और साफ़ सुथरा समझते हैं | वे जो कुछ करते हैं हम भारतवासी भी उसे कुछ वर्षों बाद करने लगते हैं| Island पत्रिका में प्रकाशित लेख के अनुसार पत्नियों की अदला बदली की यह प्रथा मुंबई में उच्च और सामान्य वर्ग के लोगों में आम हो चुकी है|"


सलीम खान
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़ 
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश

Comments

  1. अच्छी जानकारी दी आपने !

    ReplyDelete
  2. सलीम जी आपके लेखो मे सचमुच बहुत कुछ होता है जो आपको और अधिक पढने के लिए मजबूर करता है मैं आपके लेखों पर राय कम देना पाती हूँ लेकिन पढ़ती सारे लेख हूँ!

    ReplyDelete
  3. सलीम जी आपके लेखो मे सचमुच बहुत कुछ होता है जो आपको और अधिक पढने के लिए मजबूर करता है मैं आपके लेखों पर राय कम देना पाती हूँ लेकिन पढ़ती सारे लेख हूँ!

    ReplyDelete
  4. lo bhaiya apni sagi bahano tak se sex karne ki ajadi rakhne wale ab duniya ko lajja ka path padhane chale hain.
    miss .sonia agar lajja ke upar padhna hai to taslima ki lajja ko padhiye ...... irshad manji ko padhiye sara kapat pata chal jayega

    ReplyDelete
  5. apni sagi bahnon se sex kaun karta hai ye to kambodia ke hiduon se poocho jahaan judwa bhai bahen paida hone par unki shadi kara di jaati hai......
    ya bharat ke mahaan brahman Raja Dahir ke baare me padh lena jisne apni sagi bahen se shadi ki thi

    ReplyDelete
  6. मानसिक दिवालिएपन का इससे बेहतर उदाहरण और कहाँ मिलेगा.अप संस्कृति की नक़ल करने वाले लोग भारत में भी अपने आप को अति आधुनिक समझते है.

    ReplyDelete
  7. Shyam Isi leya pakistani america ka khakar soor ho gaen hai

    ReplyDelete
  8. ये सूअर से सम्बंधित जानकारी का शोध कहाँ हुआ, जरा बताइए, ऐसा लग रहा है, जैसे सूअरों की शादी होती है, और वे दुसरे सूअर को अपनी मादा सौप देते है . हद है मानसिक दिवालियापन की. ऐसी बातों पर भी भारत में ताली बजाने वाले लोग है, हास्यस्पद

    ReplyDelete
    Replies
    1. Anonymous- हम आपकी बात से सहमत हैं

      Delete
  9. yeha sab bakar ki baten muslim log hi karte hain< toh phir yeh log doosera janwaron ka mas (meet)kiyon khate hain woh bhi toh mas hi hai chahe sour ka ho chahe bakra ka

    ReplyDelete
  10. yeha sab bakar ki baten muslim log hi karte hain< toh phir yeh log doosera janwaron ka mas (meet)kiyon khate hain woh bhi toh mas hi hai chahe sour ka ho chahe bakra ka

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा