गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि पर इससे पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं , लेकिन एक्टेस से डायरेक्टर बनीं नंदिता दास की फिल्म फिराक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरी फिल्म में न तो दंगाइयों को दिखाया गया है और न ही दंगा। यह केवल दंगे के पीडितों का दर्द दर्शाती है |
देश - विदेश के कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड समारोहों में इस फिल्म को दर्शकों ने सराहा। साथ ही इसे सात इंटरनैशनल अवॉर्ड्स भी मिले। गुजरात दंगों पर बनीं पिछली चंद फिल्मों का जिक्र किया जाए तो ज्यादातर की कहानी दंगों से पहले या फिर उसके आसपास की है। पर नंदिता की यह फिल्म दंगों के खत्म होने के एक महीने बाद शुरू होती है। दिखाया गया है कि दंगों में अपनों को खो चुके कुछ परिवार नए सिरे से जिंदगी शुरू करने में लगे हैं।
समीर शेख ( संजय सूरी ) के शोरूम को दंगाइयों ने लूट लिया था। अब वह किसी दूसरी जगह जाकर बिजनेस करने की सोच रहा है , जबकि उसकी गुजराती बीवी अनुराधा देसाई ( टिस्का चोपड़ा ) का मानना है कि समीर को यहीं रहकर हालातों का मुकाबला करना चाहिए। वहीं , संगीत की साधना में लगे नवाब साहब ( नसीरूद्दीन शाह ) को अफसोस है कि इन दंगों में धर्म विशेष के लोगों ने नेताओं के बहकावे में आकर अपनों की जानें ली हैं। ऑटो ड्राइवर हनीफ की बेगम मुनीरा ( शहाना गोस्वामी ) को शक है कि उसके घर को उसकी सहेली और उसकी फैमिली ने लूटा और जलाया है।
दरअसल , नंदिता ने अपनी इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की है कि इन दंगों ने अपनों को अपनों से दूर किया है। फिल्म की कहानी में ठहराव है , लेकिन स्क्रिप्ट में कहीं भी बिखराव नहीं। अगर आप कुछ नया और लीक से हटकर देखना चाहते हैं , तो फिराक आपके लिए है। बतौर डायरेक्टर नंदिता ने निराश नहीं किया। ज़रूर देखियेगा |
फिराक के कलाकार : नसीरुद्दीन शाह , परेश रावल , दीप्ति नवल , संजय सूरी , टिस्का चोपड़ा , शहाना गोस्वामी , रघुबीर यादव निर्माता : परसेप्ट फिल्म्स , स्क्रिप्ट , निर्देशन : नंदिता दास अवधि : 104 मिनट
फिल्म की आधिकारिक वेबसाइट:http://www.firaaqthefilm.com/
ज़रिया: NBT
बढ़िया जानकारी सलीम जी
ReplyDeleteगुजरात का दर्द एक बार फिर उपर आने जा रहा है
ज़रूर देखेंगे