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क्या भगवान रजनीश ईश्वर है?

कुछ लोग कहते है कि भगवान रजनीश या ओशो रजनीश परमशक्तिसंपन्न ईश्वर है| कृपया मेरे शब्दों पर ध्यान दीजिये मैंने कहा कि "कुछ लोग कहते है कि भगवान रजनीश या ओशो रजनीश परमशक्तिसंपन्न ईश्वर है !???" 

मैंने पीस टी वी पर प्रश्नोत्तर काल में देखा था कि एक हिन्दू सज्जन ने कहा कि हिन्दू भगवान रजनीश को एक ईश्वर के रूप में नहीं पूजते हैं| मुझे ज्ञात हुआ कि हिन्दू भाई भगवान रजनीश को ईश्वर के रूप में नहीं देखते I 

लेकिन रजनीश के मानने वाले - समर्थको ने उनकी फिलोसोफी और आइडियोलोगी को बदल दिया है, लेकिन यह भी सत्य है कि उनके मानने वाले किसी धर्म विशेष के नहीं हैं बल्कि अलग अलग धर्मों के हैं | और रजनीश के कुछ अनुनायी यह कहते है कि रजनीश बेजोड़ और सर्वोपरि है और मात्र एक, केवल एक ... one and only, और वह ईश्वर हैं!

मैं इस बात को आगे बढ़ता हूँ - कुरान के सुरः इखलास से और वेदों के अनुसार इसको जाँचता हूँ :

ईश्वर के अंतिम ग्रन्थ कुरान में सुरः इखलास में लिखा है कि -  

1- कहो! अल्लाह यकता है| (अर्थात ईश्वर एक है|)
2- अल्लाह निरपेक्ष और सर्वाधार है| 
3- न वह जनिता है और न जन्य | 
4- और ना उसका कोई समकक्ष | 

इसी तरह वेदों में लिखा है कि -

एकम ब्रह्मा अस्ति, द्वितीयो नास्ति| नास्ति नास्ति किंचन ना अस्ति |

और  

ना तस्य प्रतिमा अस्ति |

(अ) सुरः इखलास में लिखा है- ‘क़ुल हु अल्लाह हु अहद’ –‘यानि, वह अल्लाह (ईश्वर) है, एक और केवल (यकता)| 

क्या रजनीश वन एंड वनली है? क्या रजनीश एक है और केवल एक? हम देखते हैं कि हमारे देश में फर्जी व्यक्ति अपने आपको भगवान-पुरुष इस तरह से बताते हैं कि जनता को ऐसा लगने लगता है कि वह ईश्वर है या ईश्वर का रूप है| ऐसे बहुत मिलेंगे अपने इस महान देश भारत में | रजनीश वास्तव में एक और केवल मात्र एक नहीं है| मनुष्य होने के बावजूद और केवल मनुष्य होने के नाते कोई यह घोषित कर दे कि वह ईश्वर है, गलत है | बिलकुल ही गलत है| फिरभी रजनीश के कुछ अनुनायी यह कहते है कि रजनीश बेजोड़ और सर्वोपरि है और मात्र एक, केवल एक... one and only.

(आ) आगे सुरः इखलास में लिखा है अल्लाह हुस् समद’– ‘अल्लाह निरपेक्ष है और सर्वाधार है' 

क्या रजनीश निरपेक्ष और सर्वाधार है ??? ईश्वर अमर व अजर है | क्या रजनीश अमर या अजर थे? मैंने तो उनकी जीवनी में पढ़ा है कि उनको डायबिटीज़, अस्थमा और क्रोनिक बैकएच जैसी कई बीमारियाँ थी | वे जब अमेरिका की जेल में थे तब उन्होंने वहां की सरकार पर उनको को मारने की नियत से स्लो पोइसोनिंग का इल्जाम लगाया था | कल्पना कीजिये! परमशक्तिसंपन्न ईश्वर को ज़हर दिया जा रहा है! और तो और हम सब जानते हैं कि रजनीश की म्रत्यु हुई थी जैसे हम और आप मरते हैं और वह तो जलाये भी गए थे|
 
इस तरह से रजनीश अमर नहीं थे ना ही सर्वाधार, सर्वव्यापी | 

(इ) तीसरा वाक्य है ‘लम य लिद व लम यु लद’ – यानि ‘He begets not, nor is begotten’. वह (ईश्वर) न जनिता है न जन्य'|

अब हमें और आपको अर्थात सबको पता है रजनीश पैदा हुए थे| उनका जन्म भारत के जबलपुर शहर में हुआ था जैसे कि मेरा जन्म भारत के पीलीभीत जिले में हुआ था और आपका भी कहीं ना कहीं हुआ है अर्थात सभी मनुष्य की तरह वह भी पैदा हुए थे| उनकी माता थीं और उनके पिता भी| रजनीश बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति थे| मई 1981 में वे अमेरिका गए और अमेरिका के ओरेगोन शहर में बस गए जिसका नाम रखा उन्होंने 'रजनीशपुरम' | अमेरिका में उनके द्वारा किये गए किसी अपराध के लिए वह जेल गए और सन 1985 में अमेरिका से डिपोर्ट कर दिए गए| इस तरह से रजनीश भारत वापस आ गए और पुणे में ‘Rajneesh Neosanyas Commune' की शुरुवात की जिसका नाम बाद में बदल कर 'ओशो कम्यून' |

अगर कभी वक़्त मिले तो पुणे जाईयेगा- 'ओशो कम्यून' में, वह आपको पत्थर पर लिखा हुआ मिलेगा कि “OSHO - never born, never died, only visited the planet earth between 11th Dec. 1931 to 19th Jan 1990”. 'ओशो- ना कभी पैदा हुआ, ना कभी मरा, केवल 11 दिसम्बर 1931 से 19 जनवरी 1990 के बीच पृथ्वी पर आया था'| 

उस पत्थर पर एक बात लिखना शायेद भूल गए कि रजनीश अर्थात भगवन रजनीश को दुनिया के विभिन्न 21 देशों ने वीज़ा देने से मना कर दिया गया| सोचिये और कल्पना कीजिये - सर्वशक्तिमान ईश्वर धरती पर आता है और उसे वीज़ा की आवश्यकता पड़ती है! 

(ई) चौथा वाक्य (आयत) है व लम य कुल्लहु कुफुवन अहद "none besides the One True God, Allah (swt), ‘there is none like Him’. यानि :और ना कोई उसका समकक्ष"

अगर आप किसी भी चीज़, व्यक्ति आदि से ईश्वर के जैसा होने की कल्पना करते हैं वह चीज़ य व्यक्ति ईश्वर नहीं हो सकती ना ही उसकी छवि अपने मस्तिष्क में बना सकते हैं | वेदों में लिखा है - "ना तस्य प्रतिमा अस्ति" उसकी कोई मूर्ति नहीं हो सकती | इधर हम जानते है कि रजनीश एक इन्सान थे, उनका एक सिर था, दो हाँथ, दो पैर और बड़ी सी दाढ़ी भी | कल्पना कीजिये कि कोई कहे, "ईश्वर हज़ार गुना शक्तिशाली है अर्नाल्ड श्वार्ज़नेग्गेर के मुकाबले”| अर्नाल्ड श्वार्ज़नेग्गेर जैसा कि आप जानते है दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में से एक है| वह मिस्टर यूनिवर्स के खिताब से नवाज़ा गया था| अगर आप किसी भी चीज़, व्यक्ति आदि से ईश्वर के जैसा होने की कल्पना करते हैं वह चीज़ य व्यक्ति ईश्वर नहीं हो सकती चाहे उसे सौ गुना हज़ार गुना ज्यादा कहके क्यूँ ना कहा जाये य चेह कोई कितना भी बलशाली क्यूँ ना हो, उसकी तुलना करके आप ईश्वर की कल्पना नहीं कर सकते, ना ही उसकी छवि अपने मस्तिष्क में बना सकते हैं | भले चाहे वह खली, दारा सिंह य किंग कोंग क्यूँ ना हो| 

"The moment you can compare the claimant to godhood to anything, he or she is not God." ‘Wa lam ya kul lahu kufwan ahad’ ‘there is none like Him.’
वेदों में लिखा है - ना तस्य प्रतिमा अस्ति | "एकः ब्रह्म अस्ति, द्वितीयो नास्ति| नास्ति, नास्ति किंचन मात्र नास्ति"


अब आपकी टिप्पणियां ही बतायेंगी कि आप क्या राय रखते हैं?

Comments

  1. यह तो लोगों के नजरिये पर निर्भर है की कौन किसे क्या समझता है
    लेकिन कुछ लोगों के लिए तो रजनीश जी भगवान् है !

    ReplyDelete
  2. नहीं संजय बाबू,

    नज़रिया अहम् नहीं होता है, क्यूंकि आपके या किसी के नज़रिए से सत्य बदल नहीं सकता| जो सत्य है वह है.....

    ReplyDelete
  3. राम में ऐसे कौनसे गुण थे की उन्हें भगवान् माना जाये

    ReplyDelete
  4. In your aricle you have missed the central point. You compared the person according to the holy Koran or Vedas for his authenticity, but you stressed more on the outer body and conditions in which the person lived in the world without bothering or knowing anything about inner being and consciousness.

    His disciples said him Bhagwan not in the sense you think of god or almighty but in the sense that they experience something divine or blissfulness in his persence that reflects some qualities or godliness.

    You questioned the authenticity of the person by asking “Is he one and only?” I fact every person in this world is one and only not in the sense that he is god but in the sense that he is unique, has an individuality, and consciousness and these qualities when developed creates a better human being. He never declared himself god in the sense that he is omnipotent and almighty, but he emphasized and stressed more on meditation, raising consciousness, silence, and awareness. And by developing these qualities one become more aware of his inner being, the inner world of consciousness and more in tune with the nature. So, he used the word Bhagwan in that sense.

    You questioned that if he has diseases how he can be god. But body has its own limitations and every person may have some disease or other. What he emphasized that there is something beyond the body and mind structure that is not influenced or changed by the diseases and mental condition and he stressed on experiencing that. By seeing only the outer condition one cannot judge or know a person.

    You said that one who is birth and death cannot be god. But you are not aware of the fact that there is something beyond body that has no death and no birth and he experienced that, and the comment “OSHO Never born, never died” is written in that context.

    It is very easy to make comments and judge any person according to scriptures or holy books but very rarely any person has the capability to say anything if asked “say something according to your experience and understanding” because we do not know anything but only believe what is written in holy books.

    alotkumar@yahoo.co.in

    ReplyDelete
  5. are bhai ye to unke anuyai he kahate hi koi admi bhagwan khud nahi ban sakata jab thk koi use mane nahi . Rajneesh ki bhaut si baate janne layak aur manane wali hai . koi fark nahi padta ki wo bhagwan ha yaa nahi

    ReplyDelete

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--- संजय सेन सागर

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