जब ढूध नहीं मिलाता बेटे को
माँ कितना झल्लाती है//
बोतल फेम देतीधरणी पर
पति को आँख दिखाती है//
मेरा बेटा ऐसा सो गया
तुम तो घर में सुस्ताओ गे
अगर हुआ मेरे बेटे को कुछ तो
जीवन भर पछताओ गे
पिता पुत्र की पीरा सुन कर
चल देता है गों छोर कर
शहर के अन्दर आ करके
कुछ दिन घुमे इशार उधर
कठिन कार्य करता जीवन में
खुशिया वापस आ जाती है,,
हंस कर माँ बच्चे को
बोतल से दूध पिलाती है,,,
माँ कितना झल्लाती है//
बोतल फेम देतीधरणी पर
पति को आँख दिखाती है//
मेरा बेटा ऐसा सो गया
तुम तो घर में सुस्ताओ गे
अगर हुआ मेरे बेटे को कुछ तो
जीवन भर पछताओ गे
पिता पुत्र की पीरा सुन कर
चल देता है गों छोर कर
शहर के अन्दर आ करके
कुछ दिन घुमे इशार उधर
कठिन कार्य करता जीवन में
खुशिया वापस आ जाती है,,
हंस कर माँ बच्चे को
बोतल से दूध पिलाती है,,,
आपकी दोनों रचनाओ में समानता है की आपका लेखन प्रभावशाली है
ReplyDeleteअच्छा लिखा
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