झोला छाप डॉ.रुपेश श्रीवास्तव कहता है की इस दुनिया मे इतने बेबकूफ है की एक ढूँढो हज़ार मिलते है,इसी तर्ज पर बह मासूम और खुद की तरह बेबकूफ किस्म के लोगों को अपना शिकार बनाता है और आप अपनी जवानी को कोयले की दलाली करने वाले हाथों को डॉक्टर समझ कर सौप देते है !इन महाशय के बारे मे जायदा न तो कोई जानता है ना ही पहचानता है और जो भी इसे जानता है ,तो इससे दूर रहने के लिए सतर्क कर देता है या हज़ार गली इन महाशय के नाम बकता है!यह महाशय खुद को अक्लमंद और सबको बेबकूफ समझते है !यही इसकी ओछी मानसिकता की निशानी है !
निश्चित रूप से बुद्धिजीवी लोग ना ही इस दलाल और फर्जी डॉक्टर की नकली डिग्रियां देखना चाहेंगे और न ही सस्ते चूर्ण से बने गयी जहरीली दवाइयाँ ! पर यह नासमझ लाला फैला रहा है मासूमो को फासने नई नई दुकाने!कुछ और ऐसी खोज हमारे सामने आई है की इसके बाद स्वस्थ्य के नाम पर फर्जी दूकान चलाने वाले इस डॉक्टर की पोल खुल जायेगी!
१०० से १५० फर्जी ब्लॉग चलाता है यह दलाल:-
लोगों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए मुफ्त ब्लॉग उपलब्ध कराये गए है लेकिन इसका अवैध लाभ उठा रहा है यह झोला छाप डॉक्टर!यह दलाल १०० से १५० ब्लॉग चलाता है जिसके माध्यम से अनेकों रूपों मे यह मासूम को फंसकर अवैध दौलत कमाता है !यही नहीं! यह नकलची बन्दर ''नकली भड़ास [bharhaas] एवं अन्य ब्लॉगों पर २०० फर्जी नामों से ब्लॉग्गिंग करता है,जिसके लिए खेतों मे काम करने वाले और मजदूर लोगों की फोटो का उपयोग करता है !इस झोलाछाप डॉक्टर की फितरत है की यह सफल लोगों का विरोध करके उनकी प्रसिद्धि मे से भी दलाली खाता है,नकली भड़ास उसी झूठन की देन है !नकली भड़ास पर लिखने वाले लेखकों के प्रति इसकी मानसिकता कुछ अलग है यह कहता है की ''दो इज्जतदार ब्लोग्गरों को आपस मे लड़ा दो फिर देखो अपना ब्लॉग कैसे चलता है,नकली भड़ास मे सामाजिक हित की एक भी पोस्ट नहीं है,सिवाए अपशब्दों के !
इसकी भाषाशैली है ''फूहड़''और अश्लील :-
इस दो कौडी के दलाल के शब्द आप सुंनेगे तो आपको यकीन हो जाएगा की यह कोई डॉक्टर नहीं बल्कि एक बुरे चरित्र वाला पालतू पिल्ला है !इसने जब नकली भड़ास तैयार नहीं किया था तब यह असली भड़ास ब्लॉग पर हुआ करता था इसने वहा पर अश्लील शब्दों का खूब उपयोग किया जिसके ब्लॉग्गिंग शर्मसार हुई,इसे अपनी हरकतें सुधारने के लिए ''यशवंत''जी ने मौका दिया लेकिन हर कुत्ते की तरह इसकी पूँछ भी सीधी नहीं हुई और इस बजह से इस झोला छाप डॉक्टर और दलाल को लतियाकर बाहर कर दिया गया !यहाँ आकर नकली भड़ास बनाया जबकि उसी तर्ज पर यह कुछ नया बना सकता था लेकिन जिसे झूठन खाने की आदत हो उसे पकवान पसंद नहीं आते!आयुषवेद बनाया और सेक्स के नाम पर दलाई करने लगा
किन्नरों की सहायता से फांसता है ग्राहक:-
आप आयुषवेद पर देखेंगे तो आपको पता चल जायेगा की वहा पर रोगी भी यही है और डॉ. भी यही है मतलब जितनी भी समस्या लिखी गयी है सब इस नासमझ की समझ का नतीजा है और इस आड़ मे गंदे शब्दों का उपयोग कर रहा है बह शब्द ऐसे है की हम इस मंच पर आपके सामने नहीं रख सकते !
इस मंच के माध्यम से हम आपको आगाह करना चाहते है की इस तरह के लोगों से दूर रहे जो आपके लिए घातक हो और अगर आप ब्लॉग्गिंग अच्छे बिचारों के लिए करते है तो नकली भड़ास आपके लिए नहीं है,जो लोगों को आपस मे लड़ाकर अपना काम निकालता है बह आपका हितेषी नहीं हो सकता है !और मैं आपको बात दूं की यह पोस्ट एक दिन की सोच नहीं है बल्कि महीनो से देखी गयी हरकतों और घटनाओं को देखकर लिखी गयी है !जिसका एक एक बाक्य सत्य है !अब हम आपको बताते है इस फर्जी और दलाल शख्स पर कुछ लोगों के विचार !
''मैं इस तरह के विरोध से नहीं डरता और ना ही गंदे विचारों वाले उस मंच पर जाता हूँ!लेकिन ''हिन्दुस्तान का दर्द'' के सभी लेखकों से यह कहना चाहूँगा की यदि आप हिन्दुस्तान का दर्द पर लिख रहे हो तो नकली भड़ास[bharhaas] से ना जुड़े,क्योंकि यहाँ के विचार वहा से अलग है !और हमें सिर्फ अच्छे विचारों की आवश्यकता है और यदि आप उस गंदगी में जाते हो तो आपके विचार देश एवं सामाजिक हित के काबिल नहीं बचते !''
-संजय सेन सागर संपादक- हिन्दुस्तान का दर्द
''हिन्दुस्तान का दर्द से जुडी तो इस शख्स के बारे मे पता चला इसका कोई मौलिक विचार नहीं है,यह ब्लॉग्गिंग की पाक संस्कृति को नापाक कर रहा है !''
कल्पना जोशी, फाइट फॉर राईट ब्लॉग
''इसके बारे में आपने जो कुछ भी बताया उससे मैं बिलकुल भी असहमत नहीं हूँ अगर आज आप यह पोस्ट तैयार नहीं करती तो कल मुझे करनी पड़ती !आपने मेरे विचार मांगे मैं आपका शुक्रगुजार हूँ!'' व्योम श्रीवास्तव ब्लॉगर
जो सच था हमने आपको बताया,अब फैसला आपके हाँथ है की आप क्या करना चाहते है,हमारे साथ मिलकर देश के लिए लड़ना या गलत का साथ देना! अगर आपमें से किसी को भी इससे आपत्ति है तो आप अपना विरोध दर्ज करा सकते है !इसी के साथ...
जय हिन्दुस्तान..जय यंगिस्तान
पढ़ें के आगे यहाँ
जय हो...!!
ReplyDeleteउसका उतना नाम हुआ है जो जितना बदनाम हुआ है
जय हिन्दुस्तान
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ReplyDeleteमैं एक बात कहना चाहता हूँ, मैंने देखा कि ब्लोगर्स ज्यादातर फालतू की सी पोस्ट करके फेमस होना चाहते हैं | चलो मान भी लें कि अगर ऐसा ही है और यह ब्लॉग की सफलता का पैमाना है तो ठीक है | हम भी यही मान लेते हैं| और यह सच भी है, मगर क्या ब्लॉग में फेमस हो जाने भर से लोग ऐसा कर रहे है ! यह तो बहुत ही घातक है, उन ब्लोगर्स के लिए और पाठकों के लिए और देश के लिए भी | मैं मानता हूँ कि ब्लॉग इस वक़्त सबसे अच्छा और सरल माध्यम है- अपनी बात लोगों तक पहुँचने का | लेकिन साथ भी मेरा मानना यह भी है कि इसका उद्देश्य सकारात्मक होना चाहिए |
ReplyDeleteब्लोगर्स से मेरा अनुरोध है वह ऐसा करने से बाज़ आएं क्यूंकि यहाँ फेमस होना क्षणिक है और आप अपने आप से ही धोखा दे रहे हैं|
सलीम खान
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
इन्हें कौन नहीं जनता इनकी भाषा तो पड़ी थी आज आपने काम भी बता दिया सुक्रिया कशिश जी !
ReplyDeleteइस तरहे के व्यक्ति के बारे में इतना नहीं लिखना चाहिए था.
ReplyDeleteइन लोगो को एक तरफ हासिये पर रखना चहिये .
ना ही इनके ब्लॉग पर जाये ना ही आपने ब्लॉग पर एसे व्यक्ति की चर्चा करनी चाहिए.
मरजाने दो इन को गुमनामी के अँधेरे में.
राजीव महेश्वरी
आपने सही कहा की इन लोगों पर इतना नहीं लिखना चाहिए
ReplyDeleteयह इनके चरित्य को बताने के लिए आखरी पोस्ट थी !!
मैं इन्हें नहीं जानती लेकिन जिस तरह से आपने इनका वर्णन किया उससे तो यही लगता है की यह अच्छे व्यक्ति नहीं है
ReplyDeleteऐसे लोगों से साबधान ही रहना चहिये
बिलकुल आपत्ति जनक शब्दों का पर्योग इन्होने किया जो और ब्लोग्गेर्स को अनुसरण करने वाले है उनतक बहुत गलत सूचना पहुँचेगी और ब्लोगेर्स की इमेज धूमिल होगी ऐसे व्यक्ति को ब्लोगेर्स में लेखन कार्य करना उचित नहीं होगा........
ReplyDeleteTu sale lato ka devta hai..bato se nahi manega..
ReplyDeleteडाकटर रुपेश को तो मै महान समझता थावो तो पाजी निकाला। अच्छा किया बता दिया। आनलाइन में इस तरह के दल्ले बहुत मिलते हैं। सबको होशियार रहने की जरूरत है। जागते रहो.......
ReplyDeleteतेरी छवि मात्र एक हज्जाम से ज्यादा और कुछ नहीं है जो मात्र किसी तरह बकैती करके ग्राहकों को उलझाए रहता है अब बेनामी कमेंट प्रकाशित करने का नाटक कर रहा है लेकिन तू डा.रूपेश के आगे कीड़ा है बच्चे....
ReplyDeleteओये पागल कुत्ते,ये तब की बात है जब तू कुत्ता तो था लेकिन पागल सूअर नहीं बना था उससे पहेले तो तुने यशवंत की टट्टी खूब खायी है और सारे छक्कों को खिलाई है अब तुझे वो पसंद नहीं है क्योंकि वो रूपया कम रहा है और तुम टट्टी खा रहे हो !
ReplyDeleteऔर गांडू के इस पोस्ट में गाली तो नजर आई नहीं सुधर जा वरना भोंकते भोंकते मर जायेगासंजय जी माफ़ करें एक दिन आपको कुछ गलत कह दिया था उस दिन इसकी असलियत पता नहीं थी लेकिन अब चल गयी है
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ReplyDeleteसंजय जी आप समझदार हो क्यों ऐसे लोगों के मुह लगते हो
ReplyDeleteआप अपना काम करते रहिये
इन्हें छोड़ दीजिये