विनय बिहारी सिंह
रह जाएगी यहीं
हमारी देह
जिसकी इतनी करते हैं
हम फिकर
तब जाएगा
क्या कुछ हमारे साथ?
जाएंगे हमारे
कर्म और संस्कार
तो क्या करें हम?
जीना छोड़ दें
यह सोच कर
कि एक दिन है मरना?
नहीं,
जो मन में आए
वह न कर
ठहर कर सोचें- क्या सही है
और क्या गलत।।
रह जाएगी यहीं
हमारी देह
जिसकी इतनी करते हैं
हम फिकर
तब जाएगा
क्या कुछ हमारे साथ?
जाएंगे हमारे
कर्म और संस्कार
तो क्या करें हम?
जीना छोड़ दें
यह सोच कर
कि एक दिन है मरना?
नहीं,
जो मन में आए
वह न कर
ठहर कर सोचें- क्या सही है
और क्या गलत।।
बढ़िया नज़्म है विनय जी पढ़कर सुखद अहसास हुआ
ReplyDeleteनमस्कार
sahi kaha aapne........bahut badhiya.
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