वेश्या ..भी एक औरत होती है ....
और उसी औरत में सागर सी गहराई और हिमालय सी ऊँचाई होती है |जिस तरहे से सागर की गहराई से गंद के साथ सीप और मोती ..साथ साथ पाए जाते है उसी प्रकार औरत के हर रूप में .....एक रूप वेश्या का भी है | यहाँ पे एक उदाहरण देना चाहूगा.....
अगर हम सड़क पर जा रहे है और हमारे हाथ मै खाने का टिफिन होता है और वो गिर जाये तो हम उस खाने को तो उसी सड़क पर पड़ा छोड़ देते है मगर खाली टिफिन को उठा कर घर मे लाकर रख देते है.|
ये बात कहने को तो आम है मगर हम इस बात को अगर एक औरत की जिन्दगी से जोड़ कर देखे तो शायद हमारे देश की औरत कुछ इसी तरह की जिन्दगी जी रही है|
औरत माँ भी है , औरत बहन भी है और औरत हमारी पत्नी भी है ... औरत
देवी भी है ,जिसकी हम पूजा करते है और जिसको हम अपने बुरे वक़्त मे याद करते है अपने संकटों को दूर करने के लिए औरत एक ही है मगर हमारी उस औरत को देखने का नजरिया बदल जाता है और वो ही नजर हमारे रिश्तो को नया नाम देती है... और ये भी सच है इसी औरत से हमारी सृष्टि भी चलती है | एक कड़वा सच ये भी है की हमारा देश भी नारी प्रधान देश है जिस देश मे हम औरतो की पूजा करते है, मंदिर मे जाकर एक औरत , जो पत्थर की मूरत में है हम उसकी पूजा करते है और उसको कपडे पहनाते है॥ मगर दूसरी तरफ अगर वो ही औरत किसी कोठे पर मिल जाये तो चंद रुपया देकर उसके कपडे उतारने मे हम थोडी सी भी देर नहीं लगती क्यूकि उस वक़्त हमको पता होता है कि हम ने उस औरत के शरीर को भोगने की कीमत दी हुई है| माना की हमने उस औरत के शरीर की कीमत दे दी है .. क्या उसकी आत्मा भी हमने खरीद ली|पैसो से शरीर तो हमहे मिल जायेगा ..पर उस आत्मा क्या करेगे जहाँ सिर्फ प्यार और अपनापन बसता है किसी के लिए ? हम इस आधुनिक युग मे पैसो से कुछ भी खरीद सकते है मगर किसी की भावनाये ,प्यार और आत्मा नहीं खरीद सकते|
इस संसार का सबसे बड़ा कलंक ये भी है कि आज तक हर इन्सान ने किसी भी वेश्या का शरीर तो खरीदा होगा मगर उसका प्यार उसकी आत्मा उसके दर्द को बटने की कोशिश नहीं की होगी आखिर ऐसा क्यू जब हम नारी को देवी का दर्जा देते है तो एक वेश्या भी तो वो ही नारी है जिसको हम माँ,बहन ,और पत्नी के रूप मे देखते है ,तो क्या एक वेश्या नारी नहीं हुई जिस तरह हम पर कोई भी कष्ट पड़ता है तो हम पल भर मे किसी भी देवी या देवता के मंदिर मे जाकर उसकी शरण ले लेते है |उसी तरह जब हम को कोई भी कोई गम भूलना होता है तो हम किसी कोठे पर जाकर उस वेश्या या किसी प्यारी नार की शरण लेते है|एक वेश्या जिसको एक बंद कमरे और रात के अँधेरे मे तो सब पाना कहते है मगर दिन के उजाले मे हम उसको सिर्फ हीन भावना और समाज से तिरस्कृत नजरो से देखते है | वेश्या को सिर्फ अपने इस्तेमाल के लिए प्रयोग करते है .....मतलब निकला तो जाये वो भी भाड़ में ...हमहे उससे क्या लेनादेना ?
जिस तरह से अपनी माँ ॥ गरीबी अमीरी नहीं देखती और अपना सारा प्यार अपने बच्चो पर लुटा देती है और एक देवी भी पहले अपने भक्त की परीक्षा लेती है , उस इम्तेहान मे जब भक्त पास हो जाता है तभी वो देवी उस भक्त की मदद करती है|कभी किसी वेश्या को अपना के तो देखो......वो देवी से ज्यादा वफादार होगी ...ये बात हमहे समझनी होगी |
देवी जिसकी हम पूजा करते है वो भक्त का इम्तहान लेती है ,फिर भी वो हमारे लिए पूज्य है.. एक वेश्या जो ये जानते हुए भी चंद पालो के बाद यहाँ आने वाला हर शक्स उसको धोखा देकर छोड़ कर अपने रस्ते चल देगा और पीछे मुड़ कर देखेगा भी नहीं ..फिर भी उसपे वो अपना सर्वस्व निछावर कर देती है |
अब सवाल ये उठता है की औरत.........
देवी भी है औरत वेश्या भी है और औरत माँ भी है तो सबसे महान कौन ................?
जाहिर सी बात है हमारी नजरो मे सबसे महान वो वेश्या ही होगी जो जानती है की ये जहर है इसके बाद भी वो जहर का घूंट पी लेती है|
पी के विष का प्याला दिया अमृत ...
उसने सबको .....बिकी पैसो कि खातिर ...
लुटा तन अपना .....उफ़ तक नहीं किया ....
लेकिन नहीं फिर भी हम मे और हमारे समाज मे इतनी हिम्मत कहा कि उसको महान कहने की ...झूठे मुह कोशशि भी करे | जिस दिन भी हम एक वेश्या को महान या देवी का रूप दे देगे उस दिन वाकई मे हमारा देश महान हो जायेगा |
क्या हम में से किसी ने भी .. कभी ये जाने की कोशशि कि की .. बाजार मे बैठी ये औरत जो चाँद रुपयों की खातिर जिस्म का धंधा करती है ...उसकी मज़बूरी क्या होगी .........आखिर क्यू ?.
क्या हम में से किसी ने कभी ये जानने की कोशशि की कि ॥ जिस पल हम उसके शरीर से खेलते है क्या हम उसकी आत्मा या भावनाओ से नहीं खेलते| माना की हम ने उसके शरीर का मोल चूका दिया क्या हमने उसकी आत्मा का भी मोल चुका पायेगे ...............?
अब जो कड़वा सच जो हम कहने जा रहे है वो सच सब जानते है मगर उस सच को कोई भी भारतीय अपनी जुबान पर नहीं लाना चाहता |
आखिर ये सच्चई कड़वी क्या है जो हम इससे मुह चुराते है |
इन सब के साथ साथ एक औरत जिसकी हम पूजा करते है उसका दूसरा रूप वेश्या का भी होता है
व्यक्ति से समाज बना है और इस आदर्श समाज की संरचना भी हम ने ही की है | क्या किसी ने सोचा है कि हम चंद रूपए फ़ेंक कर उस औरत के जिस्म को नहीं रोंदते बल्कि उसकी भावनाओ को रोंदते है ,एक माँ को ,एक बहन को और एक पत्नी को समाप्त करते है ...सिर्फ अपनी वसनायो..की खातिर |
कहते है कि स्वाभिमान की जिन्दगी हर इन्सान जीना चाहता है तो क्या एक वेश्या इन्सान नहीं होती या क्या वो भी एक प्यार करने वाला दिल नहीं चाहती ,क्या वोह भी किसी घर कि शोभा नहीं बनाना चाहती ?????? मगर समाज के कुछ भूखे लोग ,अपनी नजरो से ,अपनी हरकतों से उसकी भावनाओ को सुन्न कर देते है |
शायद ये भी एक हमारे समाज की एक विडंबना है कि यहाँ औरत ने ही औरत को वेश्या बनाया .......|उसके बाद भी वेश्या ने अपने लिए नफरत चुनी और सबको प्यार बँटा ....खुद जली नफरत के आग में ..पर आदमी को अमृतपान करवाया ..| अगर हमारे समाज मे ये वेश्याये न हो तो समाज मे कितनी गंदगी बढ़ जाए इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता हर गली हर शहर मे खुले आम बलत्कार होने लगे.....वेश्या ..अपना जिस्म और जान देकर भी हमहे आबाद करती है |
कहते है कि .....
लकडी जल कोयला बनी
कोयला जल सो रख |
मै अभागिन ..ऐसी जली ...
कोयला बनी न राख |***ऐसी है वेश्या की जिंदगी
ये मुमकिन है............कहते है कि भगवान और देवी हमेशा जिंदगी देती है और इन्सान हमेशा जिंदगी लेता है तो यहाँ हमारे कहने का तथ्य ये है कि वेश्या जो कि एक औरत है और वो कभी लेती नहीं है हमेशा दूसरों पर अपना सब कुछ लुटा देती है तो क्या वो हमारे लिए देवी नहीं है..?
बिलकुल है.. मगर जरूरत है तो सिर्फ अपनी सोच बदलने की जो आंखे हमको भगवान ने दी है उस मे उस की मूरत बदलने की कि अगर हम ऐसा कर पाए तो शायद तभी हर भारतीय दिल से कहेगा कि हमारा देश नारी प्रधान देश है...........ना तू किसी को सता
ना किसी कि आहे ले ,
हो सके तो कर भला ,
नहीं तो अपनी राह ले ||
########################
हमने बात की कि..वेश्या भी औरत होती है ......बात आगे बढाते हुए मै ये कहना चाहूगी कि ..पहले हमारे समाज में जबर्दस्ती औरत को वेश्या बनाया जाता था ..अपने फायदे के लिए कि ..जब घर की औरत से मन भर जाये तो अपना स्वाद बदलने के लिए वो किसी और के पास जा सके ........पर आज कल वक़्त बदला और बदली है सब मान्यताये ......|कुछ साल पहले तक वेश्यावृति का काम..छिप के किया जाता था ..पर आज कल के दौर में ये उम्मीद किसी से नहीं कि की कुछ छिपा रहे|
वेश्या नाम लेते ही ..कुछ अजीब सा लगने लगता है ..आँखों के सामने फिल्म में देखे सारे दर्शय घूम जाते है |वो सांगरी गलियां ,वो दरवाज़े पे खडी औरते ,आवाज़ मारती,हसंती,इठलाती और गंदे इशारे करती हुई सी |सब सोच के ही ऊबाकी सी आने लगती है ....ये है हमारे समाज का दूसरा रूप ,बहुत घिनौना और बदसूरत सा |
कितने आश्चर्य की बात है कि..हिरन की नाभि में कस्तूरी होती है और वह कस्तूरी की सुगंध को बाहर तलाश करता फिरता है | ऐसी ही हालत हर उस आदमी की है जो एक औरत को अपने फायदे के लिए
इस्तेमाल करता है और भूल जाता है कि उसकी कस्तूरी तो उसके अपने घर में ही है | पर आजकल तो ज्यादातर लोग शादी जैसे पवित्र रिश्ते का मान भी नहीं रखते नाम की शादी की ..घर वाले भी खुश और समाज भी राजी ,और कोई रोक टोक नहीं ...पत्नी के रूप में एक औरत घर और फुलटाइम लवर का बाहर लुत्फ़ उठाते है | लीव एंड रिलेशन जैसे रिश्ते आज तभी समाज में अपना सर उठाने लगे है ...जो की शादी जैसे पवित्र रिश्ते को बदनाम कर रहे है |जिसकी वजह से आज गलत रास्ते पे चलने वाली लड़कियों की तादाद बढने लगी है ,संस्कारो को ताक पे रख वो भी घर से बाहर कुछ ओर सोच के कदम रखती है |पटायो,खायो,पीयो, जब एक से मन भर जाये तो उसे छोडो..ओर किसी को तलाश शुरू ,बस ये ही सब कुछ अपने इर्द गिर्द देखने को मिल रहा है|
वेश्यावृति का ठ्पा सिर्फ उन औरतो पे ही क्यों लगाया जाता है जो खुलेआम ये धंधा करती है ,उन पे क्यों नहीं॥जो ये काम तो करती है पर समाज में खुलेआम शरीफ बन कर गुजर बसर कर रही है | अगर एक आम औरत में एक बेटी ।एक माँ .एक बहु का रूप है तो क्या उस वेश्या ..में हम क्यों नहीं किसी भी एक रूप को देखते जिसको देखने भर से उसे कितना अच्छा महसूस होगा ..वो हमारी सोच से भी परे है |उसकी नजरो में वो एक आम इंसान से कब महान इंसान बन जायेगा पता भी नहीं चलेगा |एक इज्ज़त भरी नज़र के लिए ..क्या वो सारी उम्र तरसती रहेगी ,और वो शरीफजादी जो किसी के घर की रौनक बनी हुई है ,सब कुछ करने के बाद उसके माथे पे कोई शिकन तक नहीं है ,कोई मलाल नहीं अपने काम का |
औरत का एक नया रूप ....जो हर वेश्या को भी शर्मसार करे ..कॉल सेण्टर (call center)..में काम करने वाली नए ज़माने की नई लड़कियों की पौध ...जो कुछ पैसो के लिए हर रात काम करने के बहाने नए लड़को के साथ किसी भी डिस्कोथेक में जा के उनका मन बहेंलती है और उनको खुश करने का पैसा वसूल करती है ....औरत के इस रूप को आप क्या कहेगे ......माँ बाप की आँखों में धूल..झोंक के घर पे झूठ बोल के रात रात भर घर से गायब रहना ...ये कौन सी सभ्यता है .....क्या आज हमारे घरो में पैसा ही प्रधान हो गया है ....पैसे को लेकर हर झूठ बोला जाता है ........पर क्यों ???????
ऐसा नहीं है की काम करनी वाली हर लड़की या औरत खराब है ,बहुत सी औरते कमा के अपना घर चला रही है ,अपनी साथी का साथ पूरे मन से निभा रही है |कही कही तो घर की एक लड़की की कमाई से पूरा परिवार चल रहा है ,......पर थोड़े से पैसो की पीछे अपनी इज्ज़त बेजने वाली लड़की को आप क्या कहेगे ????????????
हमारे समाज में वेश्यावृति का नया रूप...एक ऐसा घिनौना और बदसूरत सा सच जो हर व्यक्ति जानता है पर किसी की हिम्मत नहीं की इसके खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाया जाये ........यहाँ पे आके परिवार की मान्यताये ॥जिसे परिवार की नीव कहा जाता है .....माँ ..बाप के संस्कार .....सब धरे के धरे रह जाते है .......कपल एक्सचेंज (coupal exchang) |किस समाज की नीव रख रहे है ऐसे माँ बाप ....क्या करते है ये सब ..सिर्फ अपने मज़े के लिए पूरा समाज ही गन्दा करने में लगे है ये कपल ..(coupal ) |घर पे माँ,बाप और बच्चो को सुलाने के बाद ये कौन सी दुनिया में जा के खो जाते है ......सब जानते है ..पर कोई कुछ कहता या करता नहीं है |ये धंधा सिर्फ उच्च वर्ग में ही नहीं ..मध्यमवर्ग पे में भी अपने पाँव पसार चुका है|
आखिर में ये ही कहना चाहूगी कि.......
अच्छे कर्म करो जब तक जिंदगी आपकी ,
लोग भी सीखे सबक सुनकर कहानी आपकी !!!!!!!!
.............मन कि तरंग मार लो ,
आदत अपनी सुधार लो ,
बस समझो फिर ....जग तूने ने लिया जीत !!!!!!!
(अपनी ही करनी का फल है नेकी या रुसवाईयाँ ,आपके पीछे चलेगी आपकी परछाईयाँ )
(****कृति.......अनु******)
और उसी औरत में सागर सी गहराई और हिमालय सी ऊँचाई होती है |जिस तरहे से सागर की गहराई से गंद के साथ सीप और मोती ..साथ साथ पाए जाते है उसी प्रकार औरत के हर रूप में .....एक रूप वेश्या का भी है | यहाँ पे एक उदाहरण देना चाहूगा.....
अगर हम सड़क पर जा रहे है और हमारे हाथ मै खाने का टिफिन होता है और वो गिर जाये तो हम उस खाने को तो उसी सड़क पर पड़ा छोड़ देते है मगर खाली टिफिन को उठा कर घर मे लाकर रख देते है.|
ये बात कहने को तो आम है मगर हम इस बात को अगर एक औरत की जिन्दगी से जोड़ कर देखे तो शायद हमारे देश की औरत कुछ इसी तरह की जिन्दगी जी रही है|
औरत माँ भी है , औरत बहन भी है और औरत हमारी पत्नी भी है ... औरत
देवी भी है ,जिसकी हम पूजा करते है और जिसको हम अपने बुरे वक़्त मे याद करते है अपने संकटों को दूर करने के लिए औरत एक ही है मगर हमारी उस औरत को देखने का नजरिया बदल जाता है और वो ही नजर हमारे रिश्तो को नया नाम देती है... और ये भी सच है इसी औरत से हमारी सृष्टि भी चलती है | एक कड़वा सच ये भी है की हमारा देश भी नारी प्रधान देश है जिस देश मे हम औरतो की पूजा करते है, मंदिर मे जाकर एक औरत , जो पत्थर की मूरत में है हम उसकी पूजा करते है और उसको कपडे पहनाते है॥ मगर दूसरी तरफ अगर वो ही औरत किसी कोठे पर मिल जाये तो चंद रुपया देकर उसके कपडे उतारने मे हम थोडी सी भी देर नहीं लगती क्यूकि उस वक़्त हमको पता होता है कि हम ने उस औरत के शरीर को भोगने की कीमत दी हुई है| माना की हमने उस औरत के शरीर की कीमत दे दी है .. क्या उसकी आत्मा भी हमने खरीद ली|पैसो से शरीर तो हमहे मिल जायेगा ..पर उस आत्मा क्या करेगे जहाँ सिर्फ प्यार और अपनापन बसता है किसी के लिए ? हम इस आधुनिक युग मे पैसो से कुछ भी खरीद सकते है मगर किसी की भावनाये ,प्यार और आत्मा नहीं खरीद सकते|
इस संसार का सबसे बड़ा कलंक ये भी है कि आज तक हर इन्सान ने किसी भी वेश्या का शरीर तो खरीदा होगा मगर उसका प्यार उसकी आत्मा उसके दर्द को बटने की कोशिश नहीं की होगी आखिर ऐसा क्यू जब हम नारी को देवी का दर्जा देते है तो एक वेश्या भी तो वो ही नारी है जिसको हम माँ,बहन ,और पत्नी के रूप मे देखते है ,तो क्या एक वेश्या नारी नहीं हुई जिस तरह हम पर कोई भी कष्ट पड़ता है तो हम पल भर मे किसी भी देवी या देवता के मंदिर मे जाकर उसकी शरण ले लेते है |उसी तरह जब हम को कोई भी कोई गम भूलना होता है तो हम किसी कोठे पर जाकर उस वेश्या या किसी प्यारी नार की शरण लेते है|एक वेश्या जिसको एक बंद कमरे और रात के अँधेरे मे तो सब पाना कहते है मगर दिन के उजाले मे हम उसको सिर्फ हीन भावना और समाज से तिरस्कृत नजरो से देखते है | वेश्या को सिर्फ अपने इस्तेमाल के लिए प्रयोग करते है .....मतलब निकला तो जाये वो भी भाड़ में ...हमहे उससे क्या लेनादेना ?
जिस तरह से अपनी माँ ॥ गरीबी अमीरी नहीं देखती और अपना सारा प्यार अपने बच्चो पर लुटा देती है और एक देवी भी पहले अपने भक्त की परीक्षा लेती है , उस इम्तेहान मे जब भक्त पास हो जाता है तभी वो देवी उस भक्त की मदद करती है|कभी किसी वेश्या को अपना के तो देखो......वो देवी से ज्यादा वफादार होगी ...ये बात हमहे समझनी होगी |
देवी जिसकी हम पूजा करते है वो भक्त का इम्तहान लेती है ,फिर भी वो हमारे लिए पूज्य है.. एक वेश्या जो ये जानते हुए भी चंद पालो के बाद यहाँ आने वाला हर शक्स उसको धोखा देकर छोड़ कर अपने रस्ते चल देगा और पीछे मुड़ कर देखेगा भी नहीं ..फिर भी उसपे वो अपना सर्वस्व निछावर कर देती है |
अब सवाल ये उठता है की औरत.........
देवी भी है औरत वेश्या भी है और औरत माँ भी है तो सबसे महान कौन ................?
जाहिर सी बात है हमारी नजरो मे सबसे महान वो वेश्या ही होगी जो जानती है की ये जहर है इसके बाद भी वो जहर का घूंट पी लेती है|
पी के विष का प्याला दिया अमृत ...
उसने सबको .....बिकी पैसो कि खातिर ...
लुटा तन अपना .....उफ़ तक नहीं किया ....
लेकिन नहीं फिर भी हम मे और हमारे समाज मे इतनी हिम्मत कहा कि उसको महान कहने की ...झूठे मुह कोशशि भी करे | जिस दिन भी हम एक वेश्या को महान या देवी का रूप दे देगे उस दिन वाकई मे हमारा देश महान हो जायेगा |
क्या हम में से किसी ने भी .. कभी ये जाने की कोशशि कि की .. बाजार मे बैठी ये औरत जो चाँद रुपयों की खातिर जिस्म का धंधा करती है ...उसकी मज़बूरी क्या होगी .........आखिर क्यू ?.
क्या हम में से किसी ने कभी ये जानने की कोशशि की कि ॥ जिस पल हम उसके शरीर से खेलते है क्या हम उसकी आत्मा या भावनाओ से नहीं खेलते| माना की हम ने उसके शरीर का मोल चूका दिया क्या हमने उसकी आत्मा का भी मोल चुका पायेगे ...............?
अब जो कड़वा सच जो हम कहने जा रहे है वो सच सब जानते है मगर उस सच को कोई भी भारतीय अपनी जुबान पर नहीं लाना चाहता |
आखिर ये सच्चई कड़वी क्या है जो हम इससे मुह चुराते है |
इन सब के साथ साथ एक औरत जिसकी हम पूजा करते है उसका दूसरा रूप वेश्या का भी होता है
व्यक्ति से समाज बना है और इस आदर्श समाज की संरचना भी हम ने ही की है | क्या किसी ने सोचा है कि हम चंद रूपए फ़ेंक कर उस औरत के जिस्म को नहीं रोंदते बल्कि उसकी भावनाओ को रोंदते है ,एक माँ को ,एक बहन को और एक पत्नी को समाप्त करते है ...सिर्फ अपनी वसनायो..की खातिर |
कहते है कि स्वाभिमान की जिन्दगी हर इन्सान जीना चाहता है तो क्या एक वेश्या इन्सान नहीं होती या क्या वो भी एक प्यार करने वाला दिल नहीं चाहती ,क्या वोह भी किसी घर कि शोभा नहीं बनाना चाहती ?????? मगर समाज के कुछ भूखे लोग ,अपनी नजरो से ,अपनी हरकतों से उसकी भावनाओ को सुन्न कर देते है |
शायद ये भी एक हमारे समाज की एक विडंबना है कि यहाँ औरत ने ही औरत को वेश्या बनाया .......|उसके बाद भी वेश्या ने अपने लिए नफरत चुनी और सबको प्यार बँटा ....खुद जली नफरत के आग में ..पर आदमी को अमृतपान करवाया ..| अगर हमारे समाज मे ये वेश्याये न हो तो समाज मे कितनी गंदगी बढ़ जाए इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता हर गली हर शहर मे खुले आम बलत्कार होने लगे.....वेश्या ..अपना जिस्म और जान देकर भी हमहे आबाद करती है |
कहते है कि .....
लकडी जल कोयला बनी
कोयला जल सो रख |
मै अभागिन ..ऐसी जली ...
कोयला बनी न राख |***ऐसी है वेश्या की जिंदगी
ये मुमकिन है............कहते है कि भगवान और देवी हमेशा जिंदगी देती है और इन्सान हमेशा जिंदगी लेता है तो यहाँ हमारे कहने का तथ्य ये है कि वेश्या जो कि एक औरत है और वो कभी लेती नहीं है हमेशा दूसरों पर अपना सब कुछ लुटा देती है तो क्या वो हमारे लिए देवी नहीं है..?
बिलकुल है.. मगर जरूरत है तो सिर्फ अपनी सोच बदलने की जो आंखे हमको भगवान ने दी है उस मे उस की मूरत बदलने की कि अगर हम ऐसा कर पाए तो शायद तभी हर भारतीय दिल से कहेगा कि हमारा देश नारी प्रधान देश है...........ना तू किसी को सता
ना किसी कि आहे ले ,
हो सके तो कर भला ,
नहीं तो अपनी राह ले ||
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हमने बात की कि..वेश्या भी औरत होती है ......बात आगे बढाते हुए मै ये कहना चाहूगी कि ..पहले हमारे समाज में जबर्दस्ती औरत को वेश्या बनाया जाता था ..अपने फायदे के लिए कि ..जब घर की औरत से मन भर जाये तो अपना स्वाद बदलने के लिए वो किसी और के पास जा सके ........पर आज कल वक़्त बदला और बदली है सब मान्यताये ......|कुछ साल पहले तक वेश्यावृति का काम..छिप के किया जाता था ..पर आज कल के दौर में ये उम्मीद किसी से नहीं कि की कुछ छिपा रहे|
वेश्या नाम लेते ही ..कुछ अजीब सा लगने लगता है ..आँखों के सामने फिल्म में देखे सारे दर्शय घूम जाते है |वो सांगरी गलियां ,वो दरवाज़े पे खडी औरते ,आवाज़ मारती,हसंती,इठलाती और गंदे इशारे करती हुई सी |सब सोच के ही ऊबाकी सी आने लगती है ....ये है हमारे समाज का दूसरा रूप ,बहुत घिनौना और बदसूरत सा |
कितने आश्चर्य की बात है कि..हिरन की नाभि में कस्तूरी होती है और वह कस्तूरी की सुगंध को बाहर तलाश करता फिरता है | ऐसी ही हालत हर उस आदमी की है जो एक औरत को अपने फायदे के लिए
इस्तेमाल करता है और भूल जाता है कि उसकी कस्तूरी तो उसके अपने घर में ही है | पर आजकल तो ज्यादातर लोग शादी जैसे पवित्र रिश्ते का मान भी नहीं रखते नाम की शादी की ..घर वाले भी खुश और समाज भी राजी ,और कोई रोक टोक नहीं ...पत्नी के रूप में एक औरत घर और फुलटाइम लवर का बाहर लुत्फ़ उठाते है | लीव एंड रिलेशन जैसे रिश्ते आज तभी समाज में अपना सर उठाने लगे है ...जो की शादी जैसे पवित्र रिश्ते को बदनाम कर रहे है |जिसकी वजह से आज गलत रास्ते पे चलने वाली लड़कियों की तादाद बढने लगी है ,संस्कारो को ताक पे रख वो भी घर से बाहर कुछ ओर सोच के कदम रखती है |पटायो,खायो,पीयो, जब एक से मन भर जाये तो उसे छोडो..ओर किसी को तलाश शुरू ,बस ये ही सब कुछ अपने इर्द गिर्द देखने को मिल रहा है|
वेश्यावृति का ठ्पा सिर्फ उन औरतो पे ही क्यों लगाया जाता है जो खुलेआम ये धंधा करती है ,उन पे क्यों नहीं॥जो ये काम तो करती है पर समाज में खुलेआम शरीफ बन कर गुजर बसर कर रही है | अगर एक आम औरत में एक बेटी ।एक माँ .एक बहु का रूप है तो क्या उस वेश्या ..में हम क्यों नहीं किसी भी एक रूप को देखते जिसको देखने भर से उसे कितना अच्छा महसूस होगा ..वो हमारी सोच से भी परे है |उसकी नजरो में वो एक आम इंसान से कब महान इंसान बन जायेगा पता भी नहीं चलेगा |एक इज्ज़त भरी नज़र के लिए ..क्या वो सारी उम्र तरसती रहेगी ,और वो शरीफजादी जो किसी के घर की रौनक बनी हुई है ,सब कुछ करने के बाद उसके माथे पे कोई शिकन तक नहीं है ,कोई मलाल नहीं अपने काम का |
औरत का एक नया रूप ....जो हर वेश्या को भी शर्मसार करे ..कॉल सेण्टर (call center)..में काम करने वाली नए ज़माने की नई लड़कियों की पौध ...जो कुछ पैसो के लिए हर रात काम करने के बहाने नए लड़को के साथ किसी भी डिस्कोथेक में जा के उनका मन बहेंलती है और उनको खुश करने का पैसा वसूल करती है ....औरत के इस रूप को आप क्या कहेगे ......माँ बाप की आँखों में धूल..झोंक के घर पे झूठ बोल के रात रात भर घर से गायब रहना ...ये कौन सी सभ्यता है .....क्या आज हमारे घरो में पैसा ही प्रधान हो गया है ....पैसे को लेकर हर झूठ बोला जाता है ........पर क्यों ???????
ऐसा नहीं है की काम करनी वाली हर लड़की या औरत खराब है ,बहुत सी औरते कमा के अपना घर चला रही है ,अपनी साथी का साथ पूरे मन से निभा रही है |कही कही तो घर की एक लड़की की कमाई से पूरा परिवार चल रहा है ,......पर थोड़े से पैसो की पीछे अपनी इज्ज़त बेजने वाली लड़की को आप क्या कहेगे ????????????
हमारे समाज में वेश्यावृति का नया रूप...एक ऐसा घिनौना और बदसूरत सा सच जो हर व्यक्ति जानता है पर किसी की हिम्मत नहीं की इसके खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाया जाये ........यहाँ पे आके परिवार की मान्यताये ॥जिसे परिवार की नीव कहा जाता है .....माँ ..बाप के संस्कार .....सब धरे के धरे रह जाते है .......कपल एक्सचेंज (coupal exchang) |किस समाज की नीव रख रहे है ऐसे माँ बाप ....क्या करते है ये सब ..सिर्फ अपने मज़े के लिए पूरा समाज ही गन्दा करने में लगे है ये कपल ..(coupal ) |घर पे माँ,बाप और बच्चो को सुलाने के बाद ये कौन सी दुनिया में जा के खो जाते है ......सब जानते है ..पर कोई कुछ कहता या करता नहीं है |ये धंधा सिर्फ उच्च वर्ग में ही नहीं ..मध्यमवर्ग पे में भी अपने पाँव पसार चुका है|
आखिर में ये ही कहना चाहूगी कि.......
अच्छे कर्म करो जब तक जिंदगी आपकी ,
लोग भी सीखे सबक सुनकर कहानी आपकी !!!!!!!!
.............मन कि तरंग मार लो ,
आदत अपनी सुधार लो ,
बस समझो फिर ....जग तूने ने लिया जीत !!!!!!!
(अपनी ही करनी का फल है नेकी या रुसवाईयाँ ,आपके पीछे चलेगी आपकी परछाईयाँ )
(****कृति.......अनु******)
अनु जी बहुत ही अच्छा लिखा है
ReplyDeleteएक नारी की पीढा को एक नारी समझ सकती है !
बहुत बढ़िया!
अच्छा लिखा
ReplyDeleteदर्द झलक रहा है
achcha likha hai apne
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने. लेकिन क्या इसकी वजह यह नहीं है ki हम अपनी संस्कृति भूलते जा रहे हैं. हम uropian sanskriti की kharabi तो ले रहे हैं लेकिन उसकी sreshtha baten छोड़ दे रहे हैं.
ReplyDeletekitna sach kaha aapne..........har lafz sachchayi bayan karta hua.........magar koi samjhe tab na.
ReplyDeleteShuruwaat se ant tak dard hi dard...
ReplyDeleteएक बदनाम औरत की वजह से सारा समाज गन्दा होने से बच जाता है, सही अर्थों में देखा जाये तो वो किसी देवी से कम नहीं होती.
ReplyDeleteशायद यही वजह है की देवी दुर्गा की प्रतिमा निर्माण के लिए वेश्या के दर से सबसे पहले मिटटी लाना जरुरी है
अनुराधा जी आज आपकी दोनों रचनाओ ने दिल जीत लिया
ReplyDeleteबहुत खूब!
सच कहा आपने औरत ही इस दुनिया की ताकत है
ReplyDelete