Skip to main content

अजन्मी बच्ची की पुकार .........


अजन्मी बच्ची की पुकार .........
माये ..क्यों तू ही मेरी दुश्मन बनी
क्यों तू खुद को ही मारने चली ...
किया तुने एक घर को रोशन
एक बंश बेल को बढने दिया ...
फिर क्यों ????????
तूने मानी सब की बात
क्यों नहीं सुनी अपने दिल की आवाज़
ओह माँ ......ओह माँ
क्यों तूने जन्म से पहले मेरी बलि देदी ??????
(.....कृति....अनु......)

Comments

  1. बहुत उम्दा लिखा है आपने

    ReplyDelete
  2. अनुराधा जी आज आपकी दोनों रचनाओ ने दिल जीत लिया
    बहुत खूब!

    ReplyDelete
  3. bahut hi lajawaab likha aapne anuradha ji jitni tareef ki jaye kam hai

    ReplyDelete
  4. aap to suru se hi...bahot ambitious rahi hai...har ush cheez ko pana chaha hai...unhe samajhna chaha hi...jise duniya...bekar samajh kar fek detih ai...agar aapne yeh jo v likha hai..wo to uska ansh matra v nahi hai...ap ish se bhi jyada kuch likh sakte ho...ham aapke talent pe shak nahi kar sakte....

    Bahot 2 achaa likha hai...sathi...

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा