हम सब एक हैं, क्या ये सही नहीं है....दिल से पूछिये और पता करिए वो सब रिश्ते, वो सब डोर जो आपस में जोड़ने के काम आती हों.......उन रिश्तों और डोर में सबसे पहले हैं वेद, पुराण, उपनिषद, बाइबल, कुरान और हदीस आदि पढ़े और जाने वास्तविकता ! इसी प्रयास में एक प्रयास- कल्कि अवतार को पहचाने !!!
कल्कि अवतार कौन है? क्या कल्कि अवतार अभी आएगा या आ चुका है? वेद क्या कहते हैं इस बारे में, कुरान क्या कहता है?
ये सब जानना है तो पढ़े ये लेख- "कल्कि अवतार को पहचाने?"
सारांश यहाँ सलीम खान
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
कल्कि अवतार कौन है? क्या कल्कि अवतार अभी आएगा या आ चुका है? वेद क्या कहते हैं इस बारे में, कुरान क्या कहता है?
ये सब जानना है तो पढ़े ये लेख- "कल्कि अवतार को पहचाने?"
सारांश यहाँ सलीम खान
स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़
लखनऊ व पीलीभीत, उत्तर प्रदेश
* kuran ko vedo ki srinkhla ki antim kadi batate hain aap .
ReplyDelete*mohamad sahab ko kalki avtar arthat sanatan dharm (hindu) ke ishwar ka aakhri awtar mante hain .
ye dono tathya is bat ko sabit karte hain ki hindu dharm ka hi ab tak gyat antim roop hai islaam fir apne mul dharm se itni satruta kyun hai ? kyun badalo nahi to mar denge ka sidhant kuchh swambhu islamic dharmguruon dwara apnaya jata hai .? aaj duniya me jo bhi ashanti hai jis wajah se bhi hai sab ke pichhe to yahi concept hai badalo nahi to mar denge . islam ho christanity ya yahudi sab ek dusre ko mitane me kyun jute hain . ????//
जयराम बाबू, जयराम जी की...........की होलो, मेरा मतलब है कि क्या हल है?
ReplyDeleteचलिए नाराज़ मत होईये! वैसे मैं ये सब नहीं कह रहा है हूँ, मैं ये सब कैसे कह सकता हूँ.........यह तो हजारों साल से वेदों और पुराणों में लिखा है.......याकें नहीं आता तो पढ़ कर देख लीजिये..............
क्या कहा आपने... टाइम नहीं है पढने का ...भाई जैसे ब्लॉग पढने के लिए टाइम निकलते हो खाना खाने के लिए टाइम निकलते हो पांच मिनट वेदों आदि को पढ़ लिया करो मेरे भाई..........
are yar ved maine bhi padhi hai . maine jo likha hai use padhiye fir tathypurn jabab den . is kadar bhdakte kyun hai ? bahas ki gunjais ko may khatm karen?
ReplyDeletekuchh sawal fir se --------------ye dono tathya is bat ko sabit karte hain ki hindu dharm ka hi ab tak gyat antim roop hai islaam fir apne mul dharm se itni satruta kyun hai ? kyun badalo nahi to mar denge ka sidhant kuchh swambhu islamic dharmguruon dwara apnaya jata hai .? aaj duniya me jo bhi ashanti hai jis wajah se bhi hai sab ke pichhe to yahi concept hai badalo nahi to mar denge . islam ho christanity ya yahudi sab ek dusre ko mitane me kyun jute hain . ????//--
ReplyDeleteI will give you the answer, but this is a request please read this post or it is more easy that print it and take the same your home and read before going to bed.
ReplyDeleteI will.......
yeh book aur is topic par mera bhot kuch karne ka irada he dekhiye..
ReplyDeleteantimawtar.blogspot.com
कल्कि अवतार से संबन्धित तीन किताबें antimawtar ब्लाग पर उपलब्ध
ReplyDeletehindi unicode & original scan pdf book:
"narasansh aur antim rishi"
पुस्तकः "नराशंस और अंतिम ऋषि" (एेतिहासकि शोध) --- डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय
http://antimawtar.blogspot.com/2009/06/blog-post.html
scan pdf book:
ईबुकः"'कल्कि अवतार और मौहम्मद सल्ल.''----- डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय
पुस्तकः "हजरत मुहम्मद सल्ल. और भारतीय धर्मग्रंथ'' ----- डॉ. एम. ए. श्रीवास्
अच्चा भानुमती का कुम्भा जोड़ा है ! लगे रहो मुल्लाओ ...
ReplyDeleteकहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुम्भा जोड़ा !
ReplyDeletemain umar ji se sahmat hoon
ReplyDeletesir,bhavishya puran mein toh islam ko paisachya dharma aur muhammad ko tripurasur bataya gaya hai
ReplyDeletehindustan ke alp buddhi bale logo ki aadat arth ka anarth nikalne ki hai jinka kuch nahi ho sakta govt. pangu hai na
ReplyDeletedil bahlane ko galib ka khayal accha hai, khud sunni musalman mante hai ki abi ek aur pagembar ya avtar aayega aur duniya se paap ko khatam karega
ReplyDeleteजब इस्लाम वेदों का सार है तो फ़िर सार को क्यों मूल को ही अपनाइये और आशा है सारे मुसलमान हिन्दू धर्म के सिद्धान्तों को मानेंगे.....
ReplyDeleteकल्कि अवतार-मुहम्मद और हिन्दू धर्म ग्रन्थ
ReplyDeleteअल्लोपनिषद्- आइने में केवल सच ही सच
इतिहासकारों के अनुसार
अल्लोपनिषद अकबर के समय में लिखा गया ग्रन्थ है जिसे जान बूझ कर अथर्ववेद के साथ जोड़ दिया गया. पवित्र वेदों में इस्लाम, मुहम्मद, कुरान का कोई जिक्र नहीं है. अकबर का जन्म 1542 AD में हुआ. मुहम्मद का जन्म 570 AD है. वेदों का समय काल 1500 BC से 600 BC है. यह काल निर्धारण वैज्ञानिक और प्रामाणिक है. अल्लोपनिषद की तरह कुछ अन्य क्षेपक (inserted text) भी मिलते हैं जो मुग़ल काल की देन हैं. भविष्य पुराण का समय 50BC से 1850 AD तक माना गया है. मुग़ल काल में इसमें इस्लाम और मुहम्मद से सम्बंधित श्लोक आदि जोड़े गए. अकबर का दीन इलाही (mixture of hindu and islam) भी इन क्षेपकों का प्रमुख कारण रहा है. भाषा इनमें अंतर स्पष्ट करती है.
संस्कृत संसार की सबसे प्राचीन भाषा है. इसमें अल्ला शब्द है, जिसका अर्थ होता है पराशक्ति. कालांतर में यह शब्द अरबी भाषा में ले लिया गया. संस्कृत का आभार .
हिंदू सृष्टि के कण कण में परमात्मा को मानते हैं, हिदुओं में ईश्वर की खोज हुई है अतः वृक्ष पूजन से लेकर सर्वशक्तिमान परमात्मा की खोज फिर उसको कण कण में देखना, सभी जड़ चेतन में उसे अनुभूत करना हिन्दू धर्म की विशेषता है. इसके अलावा उस अव्यक्त, अक्षर (shapeless,bodyless)को अनुभूत कर, समझकर उससे प्रेम करना उसके कोई भी मूर्त रूप (विग्रह} का पूजन बड़ी उच्च सोच का परिणाम है. सब में ईश अनुभूति ज्ञान और चेतना के उछ स्तर की बातें हैं जिन्हेँ पड़कर नहीं बल्कि अनुभूति द्वारा समझा जा सकता है. यह जीवन विकास के अति उच्च स्तर की सोच और समझ है.
हिंदू सब प्राणियों के कल्याण की कमाना करता है.
यही नहीं प्रतिदिन प्रातः ईश पूजा में वह कहता है.....
अंतरिक्ष में शान्ति हो वह तुम्हारे लिए अनुकूल हो
वायु में शान्ति हो वह तुम्हारे लिए अनुकूल हो
अग्नि में मैं शान्ति हो वह तुम्हारे लिए अनुकूल हो
जल में शान्ति हो वह तुम्हारे लिए अनुकूल हो
पृथ्वी में शान्ति हो वह तुम्हारे लिए अनुकूल हो
परमात्मा सब पर कृपा करें.
कई अन्य लेखक ,ब्लोगेर्स भी अल्लोपनिषद. इस्लाम, मोहम्मद, पैगम्बर आदि आदि नामों से हिन्दू धर्म के विषय में अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं. नाम दे रहे हैं भाई चारा. लिखने से पहले क्या लिख रहे हो जान लो. कृपया पड़े लिखे समाज को अवैज्ञानिक अप्रमाणिक एवम कुतर्कों से गुमराह न करें. हिन्दू भी अपने धर्म ग्रंथों को पड़े. हिन्दू जानता है पोराणिक कहानी धर्म नहीं है, उसका सार धर्म है. वह कथा चाहे सत्य हो अथवा काल्पनिक, प्रतीकात्मक है. इसी प्रकार मूर्ती ईश्वर नहीं है, हमारा प्रेम उस मूर्ती, चित्र में प्राण प्रतिष्ठित करता है. उससे परमात्मा के प्रति भाव, प्रेम जागता है. वह हमारी आत्मा में समां जाता है. कर के देखो खुद समझ में आ जायेगा. यही मुसलमान भी समझें.
जानो कण कण में भगवान.
दूसरे के प्रति अपशब्द सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान का अपमान है.
हिन्दुओं की धार्मिक सोच अन्य सोचों से कई हजार वर्ष आगे है. यही भविष्य की सोच होगी.
aj kal jaha dekho har muslim bhai ko unke dharm ke molvi ek naya gyan de rahe hai ki mohhameed sahab hi kalki avtar hai is bhool vash kuch hindu aur muslim dono hi ise such man rahe hai aur iska main reason hai dr.jakir naik apne speech main unhone is jhoot ko bar bar galat taikr se rakh agar ye such hai to mere 4 sawal har kisi se Ye har hindu janta hai ki agar unke dharmgranth main kahi bhi kuch alag milta hai to vedo ko manyata milegi na ki hamare puran aur shshtro ko 1) kisi bhi vedo main rigved , atharved , samved , yajurvde in me kahi bhi mohhmeed sahab ka ya arab desho ka jikra nahi hai 2) bhvishya puran aur kalki puran main jaroor kalki ka example hai par wo vedo ki manyata khatam kar apna alag hi sidhant batate hai aur to aur usme mohhmmed sahab ko kya bataya gaya hai wo khud jakar padhe to unhe dukh hoga ki usme kya likha hai malech dharm aur unke manane walo ke sadarbh main mere kuch point
ReplyDelete1) kalki puran aur bhavishya puran ke anusar khud bhagwan vishnu apna antim avatar kalki avatar lekar logo ko vedic religion main lakar phir se satyug ki aur le jayenge ................. par islam ke anusar ye nahi ho sakta kyo ki koi bhagwan ya allah khud kabhi bhi dharti par nahi aata wo apne nabi ko bhejta hai aur haan man bhi liya jaye ki mohhmmed sahab hi kalki the to bata du satyug aaya nahi aur jyada jhagde badh gaye hai
2) bade hi afsos ki baat hai ki bhagwan vishnu ke sare avatar bharat main hi hindu family main hua hai aur to aur unhone har yug main bhi hindu dharm ka koi bhi rule change nahi kiya ............. par aisi kya jaroorat aa padi ki unhone antim avatar saudia arab main non hindu family main liya aur hindu ke sare rule change kar baithe bhagwab vishnu ke follower jinhe vaishnav mante hai wo matan aur chiken to dur ki baat hai wo to pyaj (onion) aur lahsun bhi nahi khate itna sara change kaise lash ko dafnana 4-4 wife rakhna matan khana itna sara change naya dharm dena jabki shri ram aur shri krishna itne popular hue fir bhi unhone koi naya religion nahi banane diya na matbhed kabhi bhi hone diya sab vedo ke anusar hi rakha
3) sabse important question jiska answer shayad hi jakir naik ya koi de sake jis tarah se ye kalki avatar ko hi mohhmmed sahab batate hai mera sawal hai ki vishnu ji ne jo 10 avatar liye hai unme se ek avatar unhone varah avatar jise suwar (pig) bhi kehte hai wo bhi liya hai hiranyaksh naam ke pishach ko marne ke liye to kya ......................... jakir naik ye mante hai ki allah ya koi bhi bhagwan suwar ban sakte hai nahi to apne bheje hue fariste ko suwar ka roop de sakte hai kya koi bhi iska answer dega badi afsos ki baat hai ki aaj kal hindu dharm ka log gyan churakar apne dharm ka hissa batate hai ya hindu devta ko apne kisi pagamber se jodte hai par hindu itna akal nahi lagata ki kya aisa ho sakata hai isliye vedo ki aur lote .........ommmmmmmmmmmmm...................ommmmmmmmmmmmmmmmmmm
mashe,aacha hua tune dhudh ka dhud aur pani ka pani kar diya...
ReplyDelete"kunky saty nahi chupta"
ommmmmmmmmmm namahhhh hivayyyyyyy.
धर्म- सत्य, न्याय एवं नीति को धारण करके उत्तम कर्म करना व्यक्तिगत धर्म है । धर्म के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । धर्म पालन में धैर्य, विवेक, क्षमा जैसे गुण आवश्यक है ।
ReplyDeleteईश्वर के अवतार एवं स्थिरबुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है । लोकतंत्र में न्यायपालिका भी धर्म के लिए कर्म करती है ।
धर्म संकट- सत्य और न्याय में विरोधाभास की स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस परिस्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।
अधर्म- असत्य, अन्याय एवं अनीति को धारण करके, कर्म करना अधर्म है । अधर्म के लिए कर्म करना भी अधर्म है ।
कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म (किसी में सत्य प्रबल एवं किसी में न्याय प्रबल) -
राजधर्म, राष्ट्रधर्म, मंत्रीधर्म, मनुष्यधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, पुत्रीधर्म, भ्राताधर्म इत्यादि ।
जीवन सनातन है परमात्मा शिव से लेकर इस क्षण तक एवं परमात्मा शिव की इच्छा तक रहेगा ।
धर्म एवं मोक्ष (ईश्वर के किसी रूप की उपासना, दान, तप, भक्ति, यज्ञ) एक दूसरे पर आश्रित, परन्तु अलग-अलग विषय है ।
धार्मिक ज्ञान अनन्त है एवं श्रीमद् भगवद् गीता ज्ञान का सार है ।
राजतंत्र में धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र में धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों से होता है ।
Respected Sir, it seems that The Almighty God, has become incarnate in the world as a Suprime Power, great incarnation or you can say "Maha-Avatara". Now it depened upon the humen being in the world,according to their religions they may cald Him as they like Mohumad, Jesus-Christ Waheguru, Lord Shri Krishna or Barahma Vishnu Mahesh or Honourable Lord Shri Kalki. In my view God The Almighty God is like only a Dot Shushum Bindh Nira-Akara but dew to His Power and Divinity He can Formated Him as He want.
ReplyDeleteRespected Sir, it seems that The Almighty God, has become incarnate in the world as a Suprime Power, great incarnation or you can say "Maha-Avatara". Now it depened upon the humen being in the world,according to their religions they may cald Him as they like Mohumad, Jesus-Christ Waheguru, Lord Shri Krishna or Barahma Vishnu Mahesh or Honourable Lord Shri Kalki. In my view God The Almighty God is like only a Dot Shushum Bindh Nira-Akara but dew to His Power and Divinity He can Formated Him as He want.
ReplyDeleteRespected Sir,
ReplyDeleteThe Almighty God has become re-incarnate in India in 1996.
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ReplyDeleteभगवान का अवतार:-
ReplyDeleteआदर्णिय मित्र भगवान के होने वाले अवतार को जानने से पहले हमें अपने आप को जानना होगा। अभी तो हमें यही नहीं पता भगवान के इस वर्तमान युग में कितने अवतार हो चुके हैं और कितने हमारे बीच में घूम रहे हैं हर रोज एक नस एक नया एवं शक्तिशाली अवतार इस अध्दभुत दुनियां में अवतार धारण होता है।
अपितु ध्यान रहे सूर्य तत्व १. वायु तत्व १.आकाश तत्व १.पृथ्वी तत्व १.नीर तत्व १. आत्म तत्व १. हम सब जानते हैं अध्यातम् के अनुसार यह छ: तत्व मेन हैं दिव्यता के आधार पर इन सबका अपना स्वामित्व है और जो अवतार धारण करता है उसको ये सब शक्तियां देव अधिदेव श्री विष्णु इन सबसे शक्तियां अपने पास एक्त्रित कर लेता है और उपयुक्त वक्त आने पर अपने सर्वश्रेष्ठ परम भग्त को ये दिव्य शक्तियां प्रदान करता है और यही दिव्य आत्म योगी पुरुष ही अवतरित शक्तियों का परमपात्र होने पर ही अवतारी पुरुष होने का गौरव प्राप्त करता है।
विष्व के सभी महापुरुषों का दिव्य अनुभव यह कहता है भगवान इस पवित्र धरा पर अवतरित हो चुके हैं और हमारा भी यही अनुभव है लेकिन अनुभव के आधार पर स्पष्टिकर्ण होना चाहिये। सुपरिम तत्व एक है भगवान एक है तो भगवान की सत्ता का अधिकारी अवतार भी एक है। वैसे जब भगवान अवतार लेते हैं तो उनके अंग संग अन्य सत्ताधारी दिव्य शक्तियां भी उबोके संगीत संगी उनके साथ रहने के लिये अवतरित होती हैं। हर युग में पहले भी की दिव्य आत्माएं भगवान के अवतर्ण के साथ-साथ अवतरित हुई हैं आप सब महापुरुष ज्ञानीजन दिव्य योगी पुरुष जानते हैं इतिहास ग्वाह है और हमारे प्रिय दिव्य भारत देश की संस्कृति, धार्मिकता,अध्यात्मिकता और दिव्यता की मर्यादा की गरिमा भी साक्षी है कि प्रिय: भारत देश में भगवान अवतरित हो चुके है और आम प्राणी की तरह हम सब के बीच अदृष हो कर रह रहे हैं हम सबको यह ध्यान रहे भगवान कर्तव्य- प्रायण हैं। केवल दिव्य पुरुष योगी पुरुष और भगवान के परम भग्त पर ही परम की विशेष कृपा होने पर उनके दर्शनों का रसपान होने का अवसर प्रदान हो सकता है।
दास अनुशासन रोहतास
आदर्णिय महानुभावों इतना ही नही, जब युग परिवर्तन का समय आता है और भगवान का इस सुसृष्टि में अवतरित होने का समय होता है,क्योंकि परमपिता प्रमात्मा Supreme God की नजरों में सभी प्राणी एक समान हैं अर्थात देव & दैत्य सब समान हैं वो जब ये देख लेते हैं मेरा परम भग्त परिपक्व है अपनी परम शक्ति शक्तिविशेष को सुसृष्टि में भेजते हैं और जो इसे कैच करता है अपना लेता है अवतारी पुरुष कहलाने का गौरव प्राप्त कर लेता है और अन्य सभी दिव्य शक्तियां खुद-बखुद् प्राप्त हो जाती हैं अत: अपने आप को अवतार कहना या किसी को अवतार घोषित करना इतना आसान नहीं, भगवान अन्तर्यामी हैं सब जानते हैं। कि सालों से भविष्यवाणियां हो रही हैं कीं न कहीं सत्य जरूर है। अन्धविष्वाश अन्य सिध्दियों व तांतरिक विद्याओं में बढा होने के कारण सत्य विकारों से ढक जाता है लुप्त नहीं होता सत्य की के हरी है। सत्य प्रकट हो चुका है हमे जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाकर सत्य की खोज करनी चाहिये जो हमारे इस जीवन जीने का मुख्य उध्देष्य है।
ReplyDeleteनमस्कार, जय हिन्द
दास अनुदास रोहतास
आदर्णिय महानुभावों इतना ही नही, जब युग परिवर्तन का समय आता है और भगवान का इस सुसृष्टि में अवतरित होने का समय होता है,क्योंकि परमपिता प्रमात्मा Supreme God की नजरों में सभी प्राणी एक समान हैं अर्थात देव & दैत्य सब समान हैं वो जब ये देख लेते हैं मेरा परम भग्त परिपक्व है अपनी परम शक्ति शक्तिविशेष को सुसृष्टि में भेजते हैं और जो इसे कैच करता है अपना लेता है अवतारी पुरुष कहलाने का गौरव प्राप्त कर लेता है और अन्य सभी दिव्य शक्तियां खुद-बखुद् प्राप्त हो जाती हैं अत: अपने आप को अवतार कहना या किसी को अवतार घोषित करना इतना आसान नहीं, भगवान अन्तर्यामी हैं सब जानते हैं। इतने सालों से भविष्यवाणियां हो रही हैं कीं कहीं न कहीं सत्य जरूर है। अन्धविष्वाश अन्य सिध्दियों व तांतरिक विद्याओं में विष्वास बढा होने के कारण सत्य विरोधी विकारों से ढक जाता है लुप्त नहीं होता सत्य की जड हरी होती है। सत्य प्रकट हो चुका है हमे जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाकर सत्य की खोज करनी चाहिये जो हमारे इस जीवन जीने का मुख्य उध्देष्य है।
ReplyDeleteनमस्कार, जय हिन्द
दास अनुदास रोहतास
आदर्णिय महानुभावों इतना ही नही, जब युग परिवर्तन का समय आता है और भगवान का इस सुसृष्टि में अवतरित होने का समय होता है,क्योंकि परमपिता प्रमात्मा Supreme God की नजरों में सभी प्राणी एक समान हैं अर्थात देव & दैत्य सब समान हैं वो जब ये देख लेते हैं मेरा परम भग्त परिपक्व है अपनी परम शक्ति शक्तिविशेष को सुसृष्टि में भेजते हैं और जो इसे कैच करता है अपना लेता है अवतारी पुरुष कहलाने का गौरव प्राप्त कर लेता है और अन्य सभी दिव्य शक्तियां खुद-बखुद् प्राप्त हो जाती हैं अत: अपने आप को अवतार कहना या किसी को अवतार घोषित करना इतना आसान नहीं, भगवान अन्तर्यामी हैं सब जानते हैं। इतने सालों से भविष्यवाणियां हो रही हैं कीं कहीं न कहीं सत्य जरूर है। अन्धविष्वाश अन्य सिध्दियों व तांतरिक विद्याओं में विष्वास बढा होने के कारण सत्य विरोधी विकारों से ढक जाता है लुप्त नहीं होता सत्य की जड हरी होती है। सत्य प्रकट हो चुका है हमे जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाकर सत्य की खोज करनी चाहिये जो हमारे इस जीवन जीने का मुख्य उध्देष्य है।
ReplyDeleteनमस्कार, जय हिन्द
दास अनुदास रोहतास
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ReplyDeleteआदर्णिय महानुभावों इतना ही नही, जब युग परिवर्तन का समय आता है और भगवान का इस सुसृष्टि में अवतरित होने का समय होता है,क्योंकि परमपिता प्रमात्मा Supreme God की नजरों में सभी प्राणी एक समान होते हैं अर्थात देव & दैत्य सब समान हैं वो जब ये देख लेते हैं मेरा परम भग्त परिपक्व है अपनी परम शक्ति शक्तिविशेष (जो एक दिव्य शक्तिचक्र के रूप में होती है) को सुसृष्टि में भेजते हैं और जो इसे कैच करता है अपना लेता है अवतारी पुरुष कहलाने का गौरव प्राप्त कर लेता है और अन्य सभी दिव्य शक्तियां खुद-बखुद् प्राप्त हो जाती हैं अत: अपने आप को अवतार कहना या किसी को अवतार घोषित करना इतना आसान नहीं, भगवान अन्तर्यामी हैं सब जानते हैं। इतने सालों से भविष्यवाणियां हो रही हैं कीं कहीं न कहीं सत्य जरूर है। अन्धविष्वाश अन्य सिध्दियों व तांतरिक विद्याओं में विष्वास बढा होने के कारण सत्य विरोधी विकारों से ढक जाता है लुप्त नहीं होता सत्य की जड हरी होती है। सत्य प्रकट हो चुका है हमे जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाकर सत्य की खोज करनी चाहिये जो हमारे इस जीवन जीने का मुख्य उध्देष्य है।
ReplyDeleteनमस्कार, जय हिन्द
दास अनुदास रोहतास
आदर्णिय महानुभावों इतना ही नही, जब युग परिवर्तन का समय आता है और भगवान का इस सुसृष्टि में अवतरित होने का समय होता है,क्योंकि परमपिता प्रमात्मा Supreme God की नजरों में सभी प्राणी एक समान होते हैं अर्थात देव & दैत्य सब समान हैं वो जब ये देख लेते हैं मेरा परम भग्त परिपक्व है अपनी परम शक्ति शक्तिविशेष (जो एक दिव्य शक्तिचक्र के रूप में होती है) को सुसृष्टि में भेजते हैं और जो इसे कैच करता है अपना लेता है अवतारी पुरुष कहलाने का गौरव प्राप्त कर लेता है और अन्य सभी दिव्य शक्तियां खुद-बखुद् प्राप्त हो जाती हैं अत: अपने आप को अवतार कहना या किसी को अवतार घोषित करना इतना आसान नहीं, भगवान अन्तर्यामी हैं सब जानते हैं। इतने सालों से भविष्यवाणियां हो रही हैं कीं कहीं न कहीं सत्य जरूर है। अन्धविष्वाश अन्य सिध्दियों व तांतरिक विद्याओं में विष्वास बढा होने के कारण सत्य विरोधी विकारों से ढक जाता है लुप्त नहीं होता सत्य की जड हरी होती है। सत्य प्रकट हो चुका है हमे जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाकर सत्य की खोज करनी चाहिये जो हमारे इस जीवन जीने का मुख्य उध्देष्य है।
ReplyDeleteनमस्कार, जय हिन्द
दास अनुदास रोहतास
आदर्णिय महानुभावों इतना ही नही, जब युग परिवर्तन का समय आता है और भगवान का इस सुसृष्टि में अवतरित होने का समय होता है,क्योंकि परमपिता प्रमात्मा Supreme God की नजरों में सभी प्राणी एक समान होते हैं अर्थात देव & दैत्य सब समान हैं वो जब ये देख लेते हैं मेरा परम भग्त परिपक्व है अपनी परम शक्ति शक्तिविशेष (जो एक दिव्य शक्तिचक्र के रूप में होती है) को सुसृष्टि में भेजते हैं और जो इसे कैच करता है अपना लेता है अवतारी पुरुष कहलाने का गौरव प्राप्त कर लेता है और अन्य सभी दिव्य शक्तियां खुद-बखुद् प्राप्त हो जाती हैं अत: अपने आप को अवतार कहना या किसी को अवतार घोषित करना इतना आसान नहीं, भगवान अन्तर्यामी हैं सब जानते हैं। इतने सालों से भविष्यवाणियां हो रही हैं कीं कहीं न कहीं सत्य जरूर है। अन्धविष्वाश अन्य सिध्दियों व तांतरिक विद्याओं में विष्वास बढा होने के कारण सत्य विरोधी विकारों से ढक जाता है लुप्त नहीं होता सत्य की जड हरी होती है। सत्य प्रकट हो चुका है हमे जीवन में आध्यात्मिकता को अपनाकर सत्य की खोज करनी चाहिये जो हमारे इस जीवन जीने का मुख्य उध्देष्य है।
ReplyDeleteनमस्कार, जय हिन्द
दास अनुदास रोहतास
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ReplyDeleteभगवन भूखे भाव के:-
ReplyDeleteभगवान तो केवल भाव, आस्था, विष्वाश के भूखे हैं अन्यथा, आप पूरे विष्व की सम्पदा भी भेंट कर भगवान के दर्शन करना चाहो नहीं हो सकेगे। जब तक सच्ची लगन, आत्म विष्वाश, दृड निष्चय, पूर्ण समर्पित भाव मन में नही प्रकट होता भग्वत् प्राप्ती नही होती। मनमना, मन में सच्ची भावना का जाग्रित होना अति आवशयक है। महापुरुषों के कथनानुसार भगवान भारत में प्रकट हो चुके हैं और भगवान श्री कृष्ण जी दु्ारा दवापर में अपने मधुर आध्यातमिक sweet song में जो उन्होंने श्री मद्भाग्वत गीता के अध्याय 4-सलोक,7-8, में लिखा है,
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
अर्थात जब जब पाप बढता है धर्म की हानी होती है परम सत्य " भगवान की सत्ता " शक्ति अवतार धारण करती है। अत: अब भगवान श्री कृष्ण अपने दिये गये इस कथन अनुसार विशवष्निय तौर से प्रकट हो चुके है। अब यह तो दिव्य लीला वह अपने हिसाब से ही रचेंगे कैसा करना है वो सब जानते हैं वह अन्तर्यामी हैं। केवल दिव्य पुरुष योगी पुरुष और परम भग्त ही इस दिव्य लीला का रसपान करते हैं भगवान सब पर कृपा करना।
दास अनुदास रोहतास
भगवन भूखे भाव के:-
ReplyDeleteभगवान तो केवल भाव, आस्था, विष्वाश के भूखे हैं अन्यथा, आप पूरे विष्व की सम्पदा भी भेंट कर भगवान के दर्शन करना चाहो नहीं हो सकेगे। जब तक सच्ची लगन, आत्म विष्वाश, दृड निष्चय, पूर्ण समर्पित भाव मन में नही प्रकट होता भग्वत् प्राप्ती नही होती। मनमना, मन में सच्ची भावना का जाग्रित होना अति आवशयक है। महापुरुषों के कथनानुसार भगवान भारत में प्रकट हो चुके हैं और भगवान श्री कृष्ण जी दु्ारा दवापर में अपने मधुर आध्यातमिक sweet song में जो उन्होंने श्री मद्भाग्वत गीता के अध्याय 4-सलोक,7-8, में लिखा है,
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
अर्थात जब जब पाप बढता है धर्म की हानी होती है परम सत्य " भगवान की सत्ता " शक्ति अवतार धारण करती है। अत: अब भगवान श्री कृष्ण अपने दिये गये इस कथन अनुसार विशवष्निय तौर से प्रकट हो चुके है। अब यह तो दिव्य लीला वह अपने हिसाब से ही रचेंगे कैसा करना है वो सब जानते हैं वह अन्तर्यामी हैं। केवल दिव्य पुरुष योगी पुरुष और परम भग्त ही इस दिव्य लीला का रसपान करते हैं भगवान सब पर कृपा करना।
दास अनुदास रोहतास
अब प्रतक्ष को प्रमाण की जरूरत ही क्या, जब महात्मन् यह कह रहे हैं भगवान इस अध्दभुत पवित्र धरा पर अवतरित हो चुके हैं
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा
दास अनुदास रोहतास