आज हम आपके सामने जो कविता प्रकाशित कर रहे है बह कलम का सिपाही प्रतियोगिता की नहीं है इसे मैंने हिंद युग्म की एक प्रतियोगिता के लिए भेजा था लेकिन इसे वहा जगह नहीं मिली क्योंकि शायद यह उतनी अच्छी नहीं थी या बिलकुल अच्छी नहीं थी ,पर यह मेरी अच्छी कविताओं मे से एक है !
तो बिना किसी शिकायत और बिना किसी गिला के मैं आपको यह रिजेक्ट माल पढ़ा रहा हूँ अच्छा लगे तो अच्छी बात है और न लगे तो एक जगह से और रिजेक्ट सही!!
तुमने मुझे याद किया तो होगा ?
सावन की रिमझिम बारिस में बूंदों ने,
तुमको छुआ तो होगा
बूंदों के स्पर्श से सच कुछ हुआ तो होगा!
तुफानो की तेज हवा से
दिल धड़का तो होगा
देख आसमा में काली बिजली
तुमने मुझे याद किया तो होगा ?
गर्मी के हर तपन पलों में
जी-जला तो होगा
घर लौटते मुसाफिरों को देख
बच्चों ने मेरे बारे मे पुछा तो होगा
सुनकर उनकी प्यारी बातें
तुमने मुझे याद किया तो होगा ?
शरद ऋतु की बर्फीली सर्दी में
कोई ख्वाब बुना तो होगा
चाही होंगी आंच जरा सी और
जिस्म शून्य पड़ा होगा!
हो गया होगा जब लहु बर्फ तुम्हारा
तुमने मुझे याद किया तो होगा ?
बसंत ऋतु की बेला में
कोई फूल खिला तो होगा
उस बसंती फूल को तुमने
होठों से छुआ तो होगा
महक गया होगा आँचल तुम्हारा
तब तुमने मुझे याद किया तो होगा?
शीत ऋतु की लम्बी तन्हा रातों में
कोई अक्स दिखा तो होगा
दिल की सारी हसरतों को तुमने
''अलाव''से कहा तो होगा!
कहते- कहते हर बात तुमने
तुमने मुझे याद किया तो होगा?
आगे पढ़ें के आगे यहाँ
यार लगता है सचमुच यह किसी काबिल थी
ReplyDeleteवरना अभी तक कुछ कमेंट्स तो आ ही जाते
चलिए हा हा !!
नहीं संजय जी ऐसी कोई बात नहीं रचना बेहद अच्छी है
ReplyDeleteसामिल न करने की बजह कई और हो सकती है
रिजेक्ट माल मुझे बहुत पसंद आया !
इस कविता को अपनी चिर परिचित आदत के मुताबिक जगन्माता से जोड़ रहा हूं। मां, तुमने मुझे याद किया तो होगा। तो आपकी समूची कविता इस जगत की माता से कही जा रही है। ऐसे में मुझे यह कविता अच्छी लगी।
ReplyDeletesundar rachna hai koi fark nahi padta
ReplyDeleteलगता है दुनिया के पास मंदी और आतंक के सिवा कुछ नहीं रह गया है
ReplyDeleteअच्छा लिखा आपने बहुत खूब!!
रिजेक्ट माल........बहुत बढ़िया है ...संजय
ReplyDeleteखोया प्यार ..और उसके एहसास को बहुत खूबी से
अपने शब्दों में ढाला है तुमने
तन्हाई और मोहोब्बत की बातों को अच्छी तरह बताया !!
ReplyDeleteसंजय जी आपका माल अच्छा निकला !
संजय भाई कुछ बाते आप बहुत जल्दी दिल पर ले बैठते है। :)
ReplyDeletemain mahaskhti ji ki baaton se sahmat hoon
ReplyDeletehi....sanjay ji,aap ka kavita bhaut achachha laga,aapne kisi k pyar ko varike se ubhara hai.
ReplyDelete"hind-yugm" me na hone k baad v aap yuva kavi k STAR hai.