लगभग दो-तीन महीने पहले हिंदुस्तान के दर्द का एक कतरा बनने का मौका मिला ।बस कुछ महीने पूर्व ही हिन्दी चिठ्ठाजगत की दुनिया में आया था । इतनी जल्दी इस सामुदायिक चिठ्ठे पर लिखने का आमंत्रण मिला तो खुशी हुई । आनन् -फानन में आमंत्रण स्वीकार कर लिखना भी शुरू कर कर दिया ।अपने ब्लॉग "सच बोलना मना है " के साथ -साथ हिंदुस्तान का दर्द पर लिखना आदत बन गई ।तब से आज तक हर दिन पढता रहा हूँ । सच की बात बताऊँ तो लोगों के अलावा किसी का भी पोस्ट सामाजिक उद्द्देश्य्पूर्ण नही लगा । सोचा था "हिंदुस्तान का दर्द " कुछ सही मुद्दों पर बात करेगा ,जिन्हें आम तौर पर नजरंदाज किया है । पर यहाँ भी ऐसे लोगो की जमात बढती गई जिन्हें मुद्दों से ज्यादा प्यार तो टिप्पणियों से है ! पिछले एक महीने से तो ये मंच वाद-विवाद का अखाडा बना हुआ है । एक सज्जन हैं पीलीभीत के सल्लीम खान तो दूसरेअम्बरीश कुमार , जब देखो इस्लाम और हिंदुत्व के पेंच लड़ाते रहते हैं । न चाहते हुए भी धर्म की बेकार लडाई में एकाध टिपण्णी मुझे भी देनी पड़ी । लोक सभा चुनाव निकट है । आगामी पाँच वर्षो का भाग्य तय होने वाला है और तथाकथित दर्द का यह मंच आपस में एक दूसरे को निचा दिखने और अपने -अपने धर्म को सर्वोपरि बताने में प्रयासरत है ! लोकतंत्र और चुनाव से जुड़े कई पोस्ट एक अदद टिपण्णी की बात जोह रहे हैं , जबकि डॉ जाकिर नायक के विवाद पर २५ से ऊपर टिप्पणी यह बताती है किहमें फालतू के विवादों ये कितना लगाव है । झगडे ढूंढने में तो हमें बड़ा आनंद आता है । खैर आप सबो से बड़ी मायूसी हुई ।
मेरा मानना है कि "मंच वाद -विवाद का नही संवाद का माध्यम होता ", जहाँ से सार्थक मसलों पर बहस के उपरांत निष्कर्ष कायम किए जाते हैं । पर अफ़सोसकि यहाँ आपके पास असल मुद्दों की घोर कमी है।
जयराम जी यहाँ दोष आपका भी रहा है क्योंकि मैं तो हमेशा बेकार के मुद्दों के खिलाफ रहा हूँ और आपने अपना विरोध दर्ज नहीं कराया!
ReplyDeleteसलीम जी का हर एक लेख ज्ञानवर्धक था लेकिन अम्बरीश अग्निहोत्री जी ने जरुर बेकार मुद्दों की बात की !
हम आपकी आशाओं पर खरे नहीं उतरे इसका मुझे अफ़सोस है!
जयराम जी और संजय जी आपको बता दूं की मेरा तर्क कही भी गलत नहीं रहा
ReplyDeleteमैं देश के लिए लिखा और सच लिखा
जयराम जी की बात से संतुस्ट हूँ की इस मंच के उद्देश्यों के साथ समझोता न किया जये
ReplyDeletedekha ek wiwadaspad post ki to tippnai jhat pat aane lagi .... are yar aadat se lachar hain ham sab
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