विनय बिहारी सिंह
जब भगवान राम वनवास के लिए जा रहे थे तो रास्ते में एक नदी पड़ी। वहां मौजूद केवट तो धन्य हो गया। धन तो उसने बहुत कमाया था। आज वह चीज मिलने वाली थी, जिसके लिए बड़े- बड़े संत तरसते हैं। केवट राम जी को देख कर निहाल था। उन्हें स्पर्श कैसे करे? आमतौर पर होता है कि बड़ा आदमी नाव पर बैठता है और केवट चप्पू चला कर पार उतार देता है। लेकिन यहां तो केवट चरण स्पर्श का सुख चाहता था। उसने कहा- मैंने सुना है, आपका स्पर्श पाते ही पत्थर भी स्त्री बन जाता है। कहीं मेरी नाव भी स्त्री न बन जाए। इसलिए इसे मैं पवित्र जल से धो देना चाहता हूं। भगवान राम मुस्कराए। वे उसकी चालाकी समझ रहे थे। लेकिन केवट तो प्रेम में रोए जा रहा था। उसने जी भर कर चरण धोए। चरणामृत अपने परिजनों को दिया और नदी पार करा दी। लेकिन जब पार उतारने का पारिश्रमिक देने की बात आई तो उसने कहा कि एक ही पेशे के लोग एक दूसरे से पारिश्रमिक नहीं लेते। राम जी ने कहा- तुम्हारा औऱ मेरा पेशा एक कैसे है? केवट बोला- मैं बताता हूं। मैं नदी पार कराता हूं और आप भक्तों को भवसागर पार कराते हैं। मैं आपसे पारिश्रमिक नहीं लूंगा। राम जी ने सीता जी को इशारा किया। उनके पास एक स्वर्ण आभूषण था। सीता जी ने उसे केवट को देना चाहा। लेकिन जब अनंत कोटि ब्रह्मांड के स्वामी खुद सामने खड़े हों तो धन की क्या कीमत? केवट ने पारिश्रमिक लेने से ही इंकार कर दिया। बस इतना ही कहा- अगर देना ही है तो यह वचन दीजिए कि आप मेरे दिल से कभी नहीं निकलेंगे औऱ आपकी कृपा हमेशा मुझ पर और मेरे परिवार पर बनी रहेगी। राम जी ने मुस्करा कर यह वचन दे दिया। यहां जीसस क्राइस्ट की बात भी याद आती है। उन्होंने कहा था- सीक ये द किंगडम आफ गाड, द रेस्ट थिंग्स विल कम अन टू यू। पहले ईश्वर के साम्राज्य को प्राप्त करो, बाकी चीजें अपने आप तुम्हारे पास चली आएंगी। जो तुमने नहीं चाहा था, वो भी। केवट को और क्या चाहिए था। जब ईश्वर की ही कृपा मिल गई तो बाकी चीजों का वह क्या करेगा? धन की मांग करना तो ऐसे ही होता जैसे कोई बहुत बड़ा सम्राट पूछे कि तुम्हें क्या चाहिए। और जवाब में कोई कहे- एक किलो आलू। जहां अनंत कोटि ब्रह्मांड के स्वामी की कृपा है, वहां कुछ भी मांगना हास्यास्पद है।
winay ji aapko sadhuwad.
ReplyDeletebhagwan sri ram bharatiy jan-manas mein maryada ke pratik aur purushon mein sarvotam mane jate hain. is sandarbh mein prasiddh ram katha wachak "sri ramkinkar upadhyay " apni pustak manas -charitawali mein kahte hain -----------'ek bar ghanshyam das birla ne ek aisa wakya kaha jise sun sare log dang rah gaye the . unohne kaha tha ki ...... manas mein ek aise patr hain jinka anugaman nahi kiya ja sakta aur wo hain sri ram .!wastutah ye kathan sri ram ke sadguno ke nissimta ke prati sraddha ka bhaw hhi to tha.
aage ramkinkar ji kahte hain iska malab yah kadapi nahi ki sri ram ka anusharan galat hai ya unke charitr se prerna nahi leni chahiye . apitu hame aissa karte samay unki asimta aur anantta ka gyan hona chahiye. agadh jal rashi ki prashansa mein kisi kawi ne kaha ki ise piya nahi ja sakta . haan apni pyas , apni patr ki kshamta ke hisab se anginat wyakti usse tripti prapt kar sakta hai.
विनय जी आपको बताना चाहूँगा की आज तकनीकी बजह से आपकी एवं सुशांत जी की एक एक पोस्ट को ड्राफ्ट में डालना पड़ा इसलिए प्रकाशित नही कर पाया !! सो आप अन्यथा न ले!!
ReplyDeleteऔर अपना सहयोग देते रहे !!
अगर आपको को शिकायत नही है तो संपर्क करें!!
sanjay ji,
ReplyDeletemujhe koi shikayat nahin hai.
aapne jo kiya wah natural process hai. meri shubh kamnayen aap ke saath hain.
-vinay bihari singh