Skip to main content

अमरकंटक में दुर्वासा ऋषि की गुफा


विनय बिहारी सिंह

अमरकंटक मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में है। वहां कपिल मुनि का आश्रम तो है ही, वह गुफा भी है जिसमें दुर्वासा ऋषि ने तपस्या की थी। इसी जगह का नाम दूध धारा है। यहां नर्मदा एक पतली पहाड़ी नदी के रूप में है। उसका पानी जहां झरने जैसा गिरता है, दूध की तरह दिखता है। कपिल मुनि के आश्रम के पास नर्मदा नदी खूबसूरत झरने जैसी गिरती है। इसे कपिलधारा कहते हैं। यहां का दृश्य अत्यंत नयनाभिराम है। सचमुच अमरकंटक ऋषियों की तपस्या स्थली है। वहीं तीन दिन पहले दुर्वासा ऋषि की गुफा में भी मुझे जाने का मौका मिला। वहां एक शिवलिंग है, जिस पर न जाने कहां से लगातार बूंद- बूंद करके पानी गिरता रहता है। शायद नर्मदा नदी भगवान शिव की अराधना करती है। वहां से हटने की इच्छा नहीं हो रही थी। नर्मदा नदी के पवित्र जल में पैर धोकर मैं दुर्वासा ऋषि की गुफा में गया। वहां घनघोर शांति का अनुभव होता है। यूं तो दुर्वासा ऋषि क्रोधी के रूप में प्रसिद्ध हैं लेकिन उनकी गुफा में ऐसी शांति पा कर मुझे लगा कि कई बातें सुनी- सुनाई भी हैं। अगर उनमें क्रोध होता तो उनकी गुफा इतनी प्रेम और शांति के साथ वाइब्रेट कैसे होती। कपिल मुनि की तपस्या स्थली भी अत्यंत गहरी शांति से ओतप्रोत है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- सिद्धों में मैं कपिल मुनि हूं। सांख्य योग के जनक कपिल मुनि की तपस्या स्थली पर जाकर मैं खुद को अत्यंत भाग्यवान महसूस कर रहा था। वहां मधुमक्खियों के अनेक छत्ते बता रहे थे कि वहां भारी मात्रा में मधु है। सांसारिक मधु तो है ही, आध्यात्मिक मधु भी है। आप तनिक शांत होइए और जी भर कर पीजिए।

Comments

  1. बहुत सुन्दर रचना!!

    ReplyDelete
  2. विनय जी आपका दास एक बार फिर हाजिर है बहुत खूब लिखा है आपने

    ReplyDelete
  3. विनय जी बहुत बढ़िया लिखा है आपने !!!
    इसी तरह लिखते रहिये!!

    ReplyDelete
  4. विनय जी धार्मिक लेखन हर किसी को समझ आये न आये मुझे बहुत अच्छी तरह समझ आया !!
    बहुत सटीक लेखन !

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा