Skip to main content

सेक्स करने से भी ज्यादा जरूरी काम क्या..

अमेरिका में सेक्सुअली एक्टिव द्वारा एक हजार लोगों पर किए गए सर्वे के दौरान एक नई बात निकल कर सामने आई है। इस सर्वे के मुताबिक कम से कम 80 फीसदी लोग किसी न किसी कारणवश अपने सेक्स पार्टनर को सेक्स करने से मना कर देते हैं। उधर दूसरी तरफ ऐसा माना जाता है कि जिन्हें सेक्स ज्यादा पसंद है, वे किसी अन्य काम को भी बहुत अच्छे ढंग से करते हैं। लेकिन इस सर्वे में कुछ अलग बात सामने आई है..
60 फीसदी पुरुष दिन में कम से कम एक बार सेक्स करने के बारे में जरूर सोच-विचार करते हैं। इस सर्वे में पाया गया कि दिन में महिलाओं के मुकबाले पुरुष सेक्स के विषय में ज्यादा सोचते हैं। पुरुष दिन में चाहे वह ऑफिस में हो या अन्य किसी काम में व्यस्त हो, लेकिन उनके मन में सेक्स के बारे में एक बार तो जरूर उठापटक होता है। जबकि दूसरी तरफ महिलाओं की संख्या सिर्फ 19 फीसदी ही है।
सेक्स करने से भी ज्यादा जरूरी काम क्या है..
सेक्स करने से भी ज्यादा जरूरी काम क्या हो सकता है यह एक सोचने लायक बात है। लेकिन कंज्यूमर रिपोर्ट के मुताबिक 53 फीसदी लोग नींद और ज्यादा थकान की वजह से सेक्स करने से मना कर देते हैं।
इसके उपरांत तबियत खराब हो जाने पर भी सेक्स संबंधों में बाधा पहुंची है। सर्वे के मुताबिक 49 प्रतिशत पुरुष तबियत खराब हो जाने के चलते सेक्स करने से मना कर देते हैं जबकि 9 फीसदी लोग ज्यादा वजन के चलते इससे दूर हो जाते हैं।
सेक्स करने से मना करने के पीछे कुछ अन्य कारण लोगों का मूड ना होना, बच्चों का पालन-पोषण, घर के सदस्यों की देखभाल, काम का दबाव और मनोरंजन भी है। इसके साथ फिल्म या कम्प्यूटर के साथ ज्यादा समय बिताने को भी सेक्स से दूर रहने का कारण माना जा सकता है।
आगे पढ़ें के आगे यहाँ

Comments

  1. व्योम जी जैसा की मैंने आपसे पहेले भी कहा था की यह मंच सिर्फ विचारों का है अच्छे विचारों का तो यहाँ पर इस तरह की बातें शोभा नहीं देती !
    और आपको लेकर मुझे एक और समस्या है की ''आप शायद ऐसा कुछ कर जाते है जिससे लोग व्योम श्रीवास्तव और संजय सेन सागर को एक ही व्यक्ति मानकर चलते है !इसमें मुझे कोई परेशानी तो नहीं है ,पर इस तरह की पोस्ट वाली मानसिकता मेरी नहीं है !
    सो आगे से आप धयन रखें की अश्लीलता न हो और हमेशा सबको कुछ अच्छा देने की कोशिश करो !
    जय हिन्दुस्तान -जय यंगिस्तान

    ReplyDelete
  2. हम भी संजय की बात से सहमत है ......कृपा करके यहाँ इस तरहे के लेख ना डाले जाये तो अच्छा है
    हम जैसे लोग यहाँ कुछ अच्छा पड़ने के लिए आते है...

    ReplyDelete
  3. व्योम जी मैं अनुराधा जी और संजय जी दोनों की बात से सहमत हूँ
    आप अपने मे थोडा सुधार लाइए !

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा