हमे तुम पर गर्व है, रहमान
मुम्बई की झुग्गी-बस्ती के एक अनाथ युवक के करोडपती बनने की कहानी पर आधारित फिल्म "स्लमडॉग मिलेयनेयर" की सर्वश्रैष्ठ मूल सगीत रचना के लिये २ आस्कर पुरस्कार कुल (फिल्म८ केटेगिरी मे आस्कर जिता) मे जीतने वाले पहले भारतीय बनकर सगीतकार ए आर रहमान ने इतिहास रच दिया ।
मद्रास के मोजार्ट कहे जाने वाले रहमान ने अपनी यह उपलब्धि भारत को समर्पित कर दी। इस फिल्म मै अनिल कपुर, इरफानखॉ, और ब्रिटिश भारतिय देव पटेल प्रमुख भुमिका मे है।
पुरा नाम- अल्ला रक्खा रहमान
जन्म- ६ जनवरी १९६६
पिता- आर के शेखर (मलियालम फिल्मो के कम्पोजर और म्युजिक कन्डकटर।
रहमान ९ साल के थे पिता कि मोत हो गई, परिवार ने म्युजिकल स्टुमेन्ट किराये पर देकर घर खर्च निकालते थे।
१९८९ सूफी मत से प्रभावित होकर पुरा परिवार हिन्दु से मुस्लिम बना गया। तब तक रहमान का नाम दिलीप कुमार था।
१९९२ मे मणीरत्म कि फिल्म रोजा से अपना फिल्मी जिवन शुरु किया।
कामियाबी के शिखर-:
१० करोड से ज्याद बिक चुके है रिकार्ड।
२ करोड से ज्यादा कैसेट कि बिक्रि।
टाइम्स मैगजिन ने उन्हे मोत्जार्ट ऑफ मद्रास की उपाधी से नवाजा।
पहली फिल्म "रोजा को नेशनल अवॉर्ड मे रजत कमल मिला। भारत के ऐसे पहले सगितकार थे।
कुल ४ नेशनल अवॉर्ड,२२ फिल्मफेयर जिते।
मॉरिशस नेशनल अवॉर्ड विजेता।
मलेशिया का अवॉर्ड "फॉर म्युजिक"
सगित के योगदान के लिये "पदमश्री"
६ बार तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉर्ड " फॉर बेस्ट म्युजिक"
स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी द्वारा मानद उपाधि।
गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड फॉर बेस्ट ऑरजिनल स्कोर(स्लम डॉग)
दर असल "जय हो" धुन का कम्पोज सुभास घाई कि फिल्म "युवराज" के लिये तैयार किया था। मगर सुभाष घाई ने इसे रिजेक्ट कर दिया। गुलजार के लिखे इस गीत की तकदीर तो देखीये हालिवुड से आये फिल्मकार डैनी बोएल का मन मोह लिया, और सुखबिन्दर सिह तन्वी शाह, महालक्ष्मी अय्यर एवम विजय प्रकास कि अवाज मे जब रिकार्ड हुआ तो कोई गाने लगा। यह भारतिय सगित के लिये बहुत बडा सम्मान है। रहमान सही मायने मे इस के हकदार है। इस सफलता ने भारतीय सगीत को नये आयाम दिये है। रहमान के सगीत मे मिट्टी की सुगन्घ के साथ लोकगीत और सगीत है। मेरे हिसाब से आर डी बर्मन के बाद रहमान ही जो इण्डियन फ्यूजन को नया रुप दिया है। यह हमारे महान भारत के लिये महान दिन है। रहमान को एक शब्द मे परिभाषित करना हो तो वो शब्द है " जीनीयस"।
यह फिलम के "आस्कार" जितने का अर्थ है भारत कि गरिबी का जश्न मानने का समय।
ACHA LAGA POST PADKE..VAKAE RAHMAN NE HUM SAB KA SAR GARV SE UCHA KARDIYA..
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है !
ReplyDeleteरहमान जी का कोई जवाब ही नहीं है !
जय हो रहमान जी
ReplyDeleteआपने हमें आस्कर दिला दिया ,देश इस बात पर गर्व कर सकता है
एक बार फिर जय हो
सुर और संगीत के सबसे बड़े कद्रदान की कद्र हो रही है जो सारे हिन्दुस्तान के लिए गर्व की बात है अच्छा लेख लिखा आपने
ReplyDeleteरहमान जी का कोई सानी नहीं है यह तो होना ही था
ReplyDeleteअच्छा लेख
रहमान जी ने हमारा सीना गर्व से चौंडा कर दिया
ReplyDeleteरहमान भाईजान बहुत बढ़िया
yeh post likhne ke baad mujhe kuch vichaar aaye ki oscar jitne se is film ko kaun sa pankh lag gaye ..agar hum oscar nahi jit te toh iski value kam ho jati??
ReplyDeleteRahmanji jaise famous musician..lyricsit..ke adaar main kami ho jati?
hum kyu is oscar ke liye mooh take khade the???aap log yeh film dekhe aur mahsoos kijiya ki bharat ki garibi aur garib logo ko bahut buri tarah se pesh kiya gaya hai..kya yeh bharat ki garibi ka jashn hai??yeh vichaar mere post likhne ke baad aaye...kyuki hum ek achi sanskriti ka nirvah karte hai isliye hum dusro ka sammaan karte hai aur unki khushi main shaamil hote hai , iske baare main hum itne utawle kyon hai ??
humari kis achai pe ya kis burai pe award mila yeh dekhna jaroori hai??
yah ek manovigyanik ,GAHANPETH waali chaalaki hai..
bahut jaldi hi aap is par mera ek alekh padhenge..thanx alot for reading my post and commenting it..i hope u will be back again and again and reply to my posts..
and to MR A R Rahman,
lot's of love and appreciation..congrats.