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मन बहुत पगला रहा है....!!

मन बहुत पगला रहा है....!!

मन बहुत अकुला रहा है...
ख़ुद को अभिव्यक्त ही कर पा रहा है....
शरीर इक शव बन गया है...
और दिल भी पत्थर हुआ जा रहा है....
जिनको सौंप कर अपना कीमती इक-इक वोट
निश्चिंत हो गए हैं एकदम से हम...
वही हर इक शख्स....
हमारे चिथड़े-चिथड़े कर रहा है...
और हमारी चिन्दियाँ-चिन्दियाँ.....
नोच-नोच कर खाए जा रहा है....
दिन भर की कसरत के बाद भी....
किसी को नसीब नहीं बीस रुप्पल्ली....
बीस-बीस हज़ार माहवार पाने वाला कामगार....
राज-ब-रोज हड़ताल पर जा रहा है.....
मेरे आस पास ये भूखे...नंगे और
बदहाल लोगों की भीड़-सी कैसी है.....
मेरा देश तो बरसों से ही शाईनिंग इंडिया....
शाईनिंग इंडिया की दुदुम्भी बजा रहा है.....
हर तरफ़ गंदगी-ही-गंदगी का आलम है.....
अबे चुप करके बैठ जा ना तू.....
मेरा नेता अभी ऐ.सी. की हवा में......
चैन की बंशी बजा रहा है.....
मेरा दिल किसी करवट.....
चैन ही नहीं पा रहा है....
ना जाने ये किस आशंका से घबरा रहा है.....

Comments

  1. राजीव जी बहुत सुन्दर रचना !!
    काफी दिनों के बाद आपकी कोई रचना यहाँ पड़ने मिली!!
    इतना इंतज़ार मत कराया कीजिये!!

    ReplyDelete
  2. अच्छी रचना राजीव जी !!
    बहुत खूब !

    ReplyDelete
  3. मुद्दा इतना नया भी तो नहीं है
    ठीक ही लिखा

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...