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१८ वां ताज महोत्सव २००९ -- परेशान महोत्सव

१८ वां ताज महोत्सव २००९ हर साल की तरह इस साल भी "ताज महोत्सव" अपने तय समय के मुताबिक १८ - २७ फरवरी तक के लिए लगा है, ताज महोत्सव के हालत साल दर साल बिगड़ते जा रहे हैं, बहुत बुरा हाल कर रखा है, जनता परेशान है, विदेशी नागरिक परेशान है, होटल व्यवसायी परेशान है,......

सबसे पहले जनता की बात करते है, ताज महोत्सव जिस तरह से लगाया जाता है उसके मूल रूप मे अब बदलाव कर दिया गया है, वो बिल्कुल भूल भुलैया बन चुका है सब रास्ते घुमा फिरा कर दे दिए गए हैं, कहीं जाने के लिए सीधा रास्ता नहीं है, अगर आपको झूलो तक जाना है तो आपको एक नई बनी बिल्डिंग मे से घुमते हुए जाना होगा जहाँ पर इतना पतला रास्ता है की आप बगैर किसी के जिस्म को छुए वहां से नही निकल सकते है क्यूंकि इन दिनों वहां पर बहुत भीड़ होती है, चलने के लिए जगह नही है वहां मैं कल गया था वहां पर बुरा हाल हो गया जा कर... आगे पढ़े

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा