विनय बिहारी सिंह
कल महाशिवरात्रि योगदा मठ, कोलकाता में मनाने का मौका मिला। वहां ध्यान, भजन और पूजन के बाद प्रसाद वितरण हुआ। जैसे जैसे रात गहराती गई स्वामी अमरानंद जी का भजन और भावपूर्ण होता गया। ऊं शिव ऊं का गायन हारमोनियम और ढोलक की संगत में इतना मधुर हो गया कि लोग झूमने लगे। ये तीन शब्द कितने प्रभावशाली हैं, यह कल रात अनुभव हुआ। इन शब्दों का स्पंदन समूचे माहौल में फैल गया- ऊं शिव ऊं, ऊं शिव ऊं। इसके बादहर हर शंकर शंभु सदाशिवहर हर महादेव बम बम भोला।।इसके बादचंद्रमौलि चंद्रशेखर शंभु शंकर त्रिपुरारी.... ऐसे ही अनेक भजन। रात गहरा रही थी और लग रहा था ढोलक कभी मृदंग हो गया तो कभी डमरू। ढोलक के कलाकार एक शिव भक्त ही थे। अद्भुत माहौल बन गया था। मानो हम सब कैलाश पर्वत पर बैठे हों और शिव जी का दिव्य नृत्य देख रहे हों।बम बम बबमबम... की ध्वनि के साथ हर हर महादेव की सम्मिलित ध्वनि से रोम रोम तृप्त हो रहा था। शिव का नाम लेने से ऐसा सुख भी मिल सकता है, कई लोगों ने पहली बार जाना। शिव का नाम उच्चारित करने से सचमुच एक खास किस्म का स्पंदन माहौल में पैदा होता है। अगर सबके मन में वह भाव भक्ति हो तो क्या कहने। यही तो कल देखा महसूस किया। इतना दिव्य, अद्भुत और रोम रोम को तृप्त करने वाला आयोजन विरल है रेयर है। योगदा मठ के सन्यासी सचमुच प्रणम्य हैं। बिना एक पैसा लिए लोगों को प्रसाद खिला कर खुश हो रहे थे वे। हर हर महादेव।
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--- संजय सेन सागर