नारी के प्रति किये जाने वाले अपराध विशेषकर वे अपराध हैं जो नारी के प्रति किये ही इसलिये जाते हैं क्योंकि वह एक नारी है। यह स्वयं में एक विशद विषय है जिस की गहन जांच पड़ताल की जाये तो ज्ञात होगा कि इन अपराधों के पीछे आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, सांस्कृतिक - अनेकानेक कारण छिपे हैं।
मसलन, आयु वर्ग की दृष्टि से अवयस्क बालिका / वयस्क युवती / विवाहित महिला के प्रति अपराध अलग अलग प्रकार के हैं। ग्रामीण व शहरी महिलायें अलग अलग प्रकार के अपराधों की शिकार होती हैं। शिक्षित / अल्पशिक्षित व अशिक्षित महिलाओं के कष्ट भी एक दूसरे से अलग हैं। नौकरीपेशा और घरेलू महिलाओं को अलग अलग टाइप के अपराधियों से सामना करना होता है। जातिवर्ग के हिसाब से दलित महिलाओं व सवर्ण महिलाओं के कष्ट भी अलग अलग हैं। आयवर्ग की दृष्टि से भी अपराधों मे भेद हैं।
अगला प्रश्न आता है - अपराधी कौन लोग हैं ? परिचित अपराधी कितने प्रतिशत हैं और अपरिचित अपराधियों का कितना प्रतिशत है? महिलाओं के प्रति अपराध करने वालों में महिलाओं का और पुरुषों का कितना-कितना प्रतिशत है? परिचितों में भी अलग अलग श्रेणियां हैं - निकट संबंधी / पारिवारिक मित्र /सहपाठी / पूर्व प्रेमी / मुहल्ले पड़ोस का सामान्य परिचित / असफल 'प्रेमी' / सहकर्मी / बॉस / पति-सास / ननद / जेठ आदि । इन लोगों द्वारा किस किस प्रकार के अपराध किये जा रहे हैं ?
अपरिचितों द्वारा किये जाने वाले अपराधों की प्रकृति क्या है ? घर में जबरदस्ती या धोखे से घुस कर / सड़क पर आते जाते हुए -- दोनो ढंग से अपराध किये जाते हैं।
अपराध के पीछे मानसिकता का विश्लेषण करें तो लालच, बदले की भावना / यौन विक्षिप्तता / जातिगत विद्वेष / अपमानित करने की इच्छा / पति या परिवार के अन्य किसी सदस्य पर बस न चले तो उस घर की किसी महिला को प्रताड़ित करना व अपना शिकार बनाना ।
अपराधियों की पारिवारिक / सामाजिक / शैक्षिक पृष्ठभूमि किस किस प्रकार की पाई जाती है? अपराध के क्या-क्या प्रकार देखने को मिल रहे हैं ? सामान्य छेड़छाड़ /अपमानित करने का प्रयास, जैसे निर्वस्त्र करके सड़कों पर घुमाना / सर मुंडवा देना / सरे आम पीटना / बलात्कार / हत्या / जबरदस्ती सती होने के लिये विवश करना / ब्लैकमेलिंग / पति या व अन्य रिश्तेदारों द्वारा नियमित मार-पिटाई / संपत्ति छीन लेना । दहेज के लिये प्रताड़ित करना आदि ।
किस किस प्रकार के अपराधी पकड़ में नहीं आ पाते हैं। इस्के पीछे क्या कारण हैं? कितने प्रतिशत दंडित हो पाते हैं ? नारी के प्रति अपराधों में वृद्धि के क्या कारण हैं? अपराध कर्ने वाले व्यक्तियों को सफलता कैसे मिल पाती है ? अनेकों मामलों में रिपोर्ट ही नहीं की जाती, इसके क्या कारण हैं ? पीड़ित महिला की शर्म या संकोच के कारण ? परिवार का सहयोग न मिलने के कारण ? सामाजिक प्रतिष्ठा पर आंच आने के भय के कारण ? पुलिस /न्यायपालिका/वकीलों के हाथों और अधिक अपमानित होने के भय के कारण / कोई सबूत न होने के कारण / आर्थिक रूप से अशक्त होने के कारण।
आप इस बारे में क्या सोचते हैं ?
१- महिलाओं के प्रति अपराधों मे निरंतर वृद्धि क्यों हो रही है?
२ - अपराधों में वृद्धि में फिल्मों / धारावाहिकों की कोई भूमिका है?
३ - क्या नारी ही नारी की दुश्मन बनी हुई है?
४- क्या प्रताड़ित होने वाली नारी भी किसी हद तक अपराध को बढ़ावा देने की दोषी होती है या हो सकती है?
५- आपकी दृष्टि में अपराधों पर अंकुश कैसे लगाया जा सकता है? दीर्घकालिक उपाय / तात्कालिक उपाय क्या क्या किये जाने चाहियें ?
सुशान्त सिंहल
Sushant K. Singhal
Blog : www.sushantsinghal.blogspot.com
email : info@sushantsinghal.com
singhal.sushant@gmail.com
आपने इस गंबीर मुद्दे पर विचार किया और बहुत अच्छा विचार सामने लाये यह आप के जागरूक होने का प्रमाण है !! बहुत अच्छा संदेश हम तक पहुँचा !! सहयोग बनाये रखें धय्न्वाद !!
ReplyDeleteआपने जो प्रश्न यहाँ पर छोड़े है निश्चित रूप से उनमे ही जवाब निहित है और आप नारी के प्रति इतना सोचते है ये देखकर अच्छा लगा!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत लेख !!
बहुत खूब सुशांत जी काफी अच्छा लिखा है !
ReplyDeleteमुझे नहीं मालूम कि इस विषय पर आंकड़े उपलब्ध हैं या नहीं - मांगने पर उपलब्ध हो सकेंगे या नहीं पर प्रयास अवश्य करना चाहता हूं। क्या आप लोग भी अपने - अपने शहरों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मिल कर वस्तु स्थिति जनता के सामने नहीं लाना चाहेंगे ?
ReplyDeleteसुशान्त सिंहल
P.S. - मैं अपने ब्लॉग पर जो कुछ भी लिखता हूं उसकी सार्थकता तभी है जब मुझे कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कुछ साथी मिलें! खाली - पीली बातों का कोई अर्थ नहीं है! ठीक है न? बोलिये आप मेरे साथ हैं या नहीं ?
निश्चित ही मैं आपके साथ हूँ!!
ReplyDeleteबहुत अच्छा प्रयास
मैं समझता हूँ और महसूस भी करता हूँ, मैं एक बहन का भाई और बेटी का पिता हूँ लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू कुछ यूँ भी है..........
ReplyDeleteज़रा पढिये........ सकारात्मकता के साथ !!!
आपकी पत्नी द्वारा पास के पुलिस स्टेशन पर 498a दहेज़ एक्ट या घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत एक लिखित झूठी शिकायत करती है तो आप, आपके बुढे माँ- बाप और रिश्तेदार फ़ौरन ही बिना किसी विवेचना के गिरफ्तार कर लिए जायेंगे और गैर-जमानती टर्म्स में जेल में डाल दिए जायेंगे भले चाहे की गई शिकायत फर्जी और झूठी ही क्यूँ न हो! आप शायेद उस गलती की सज़ा पा जायेंगे जो आपने की ही नही और आप अपने आपको निर्दोष भी साबित नही कर पाएँगे और अगर आपने अपने आपको निर्दोष साबित कर भी लिया तब तक शायेद आप आप न रह सके बल्कि समाज में एक जेल याफ्ता मुजरिम कहलायेंगे और आप का परिवार समाज की नज़र में क्या होगा इसका अंदाजा आप लगा सकते है
498a दहेज़ एक्ट या घरेलू हिंसा अधिनियम को केवल आपकी पत्नी या उसके सम्बन्धियों के द्वारा ही निष्प्रभावी किया जा सकता है आपकी पत्नी की शिकायत पर आपका पुरा परिवार जेल जा सकता है चाहे वो आपके बुढे माँ- बाप हों, अविवाहित बहन, भाभी (गर्भवती क्यूँ न हों) या 3 साल का छोटा बच्चा शिकायत को वापस नही लिया जा सकता और शिकायत दर्ज होने के बाद आपका जेल जाना तय है ज्यादातर केसेज़ में यह कम्पलेंट झूठी ही साबित होती है और इस को निष्प्रभावी करने के लिए स्वयं आपकी पत्नी ही आपने पूर्व बयान से मुकर कर आपको जेल से मुक्त कराती है आपका परिवार एक अनदेखे तूफ़ान से घिर जाएगा साथ ही साथ आप भारत के इस सड़े हुए भ्रष्ट तंत्र के दलदल में इस कदर फसेंगे की हो सकता आपका या आपके परिवार के किसी फ़र्द का मानसिक संतुलन ही न बिगड़ जाए यह कानून आपकी पत्नी द्वारा आपको ब्लेकमेल करने का सबसे खतरनाक हथियार है......... see www.498a.org
फिर भी मैं आपके साथ हूँ और आपके सवालों के जवाब पाने और समस्या के हल में आपका साथी !
ReplyDeleteसलीम खान
स्वच्छ सन्देश, लखनऊ