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आंखे ...........


याद करके जब
रोने लगी ये
आंखे ...........
अश्क भी ..अब साथ
नहीं देते ...
दिल मे उठे दर्द
को नहीं मै समझ पा रही
ख़ुशी की तलाश मे..
चली थी मै.......
पर गमो को साथ लिये...
लौटी हु मै .......
ना भूलने वाली यादे ..
अब मेरे मानस पर
छा सी गयी है ..
जो मिला था कुदरत से
उसे छोड़
मिथ्या ..के पीछे
भागी थी मै
मृग्मारिच्का के पीछे
घने मरुस्थल
मे भटक गयी हु मै .......
याद करके जब
रोने लगी ये
आंखे ...........
.....(कृति...अनु...)

Comments

  1. बहुत सुंदर रचना है !!
    काफी प्रभावित किया है,आप इसी तरह लिखते रहिये!!

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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