केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
बिना वजह जो ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाते हैं उनकी बात अलग होती है, उनके ख्याल,उनके मर्म ,उनकी तपिश,उनकी कशिश ख्यालों के पर्वत पर बादलों सी उमड़ती है.....बिना वजह !बिना वजह कोई इतनी गहराई रख जाता है....बिना वजह कोई इतना अच्छा लिख लेता है........वजह तो खामोश होते हैं !
बहुत ही खूबसूरत रचना है प्रीती जी की !!
ReplyDeleteप्रीती जी आपकी यह रचना मुझे इतनी अच्छी लगी की मैंने यहाँ प्रकासित कर दी!!
सच जितनी खूबसूरती के साथ प्रीति जी ने इन रचनाओ को सजाया है उतनी ही
ReplyDeleteसटीकता और सुलभता से लिखा है !!
प्रीति जी आज तक मैंने ऐसी रचना नहीं पढ़ी !!!
अगर मे ये कहूं की हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग पर ये सबसे सुंदर रचना है तो कुछ गलत न होगा!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रीति जी
काफी प्रभाबित किया आपकी रचनाओं ने !