एक सेर मक्खन एक किसान एक बेकर को रोज़ एक सेर मक्खन बेचा करता था. एक दिन बेकर ने यह परखने के लिए कि एक सेर मक्खन है या नहीं, उसे तौला और पाया कि मक्खन कम था. इस बात से वह गुस्सा हो गया और किसान को अदालत में ले गया. जज ने किसान से पूछा कि उसने तौलने के किए किस बाट का इस्तमाल किया था? किसान ने जवाब दिया "हुज़ूर मैं अज्ञानी हूँ . मेरे पास तौलने कि लिए कोई सही बाट नही है लेकिन मेरे पास एक तराजू है." जज ने पूछा तो तुम मक्खन को कैसे तौलते हो? किसान ने जवाब दिया इसने मक्खन तो मुझसे अब खरीदना शुरू किया है. मैं तो बहुत पहले से इससे एक सेर ब्रेड खरीद रहा हूँ. रोज़ सुबह जब ब्रेड लता हूँ तो ब्रेड को बाट बनाकर बराबर का मक्खन तौल देता हूँ. अगर इसमे किसी का दोष है तो वह है बेकर का "जिंदगी में हमें वही मिलता है जो हम देता दूसरों को देते हैं"
केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..
सही कहा आपने हम जो बोते है वही हमें वापस मिलता है.....अच्छे उदाहरण प्रस्तेत कर हमें समझाया.....धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत अच्छा ज्ञान दिया आपने इस कथा के माध्यम से !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!!