आपकी इस बेहूदा मानसिकता का आकलन किया जाये तो आपके ये लेख किसी काम के नजर नहीं आते !! फायदा इसी मे है की आप फालतू की मेहनत न करे और कुछ फायदे वाला काम करे! आपको क्या लगता है की आप जैसे मर्द एक लेख लिख देंगे और हम लड़कियां अपनी पसंद बदल देंगे! आपको समझना चाहिए की हम लोगों की भी कुछ इच्छा है अगर आपको महिलायों की सुरक्षा की इतनी फ़िक्र है तो आपको उन मनचलों ,आवारा आशिकों की मानसिकता बदलनी होगी जो आपकी ही श्रेणी के है जिन्हें सिर्फ लड़किओं का तना सीना नजर आता है,और हमेशा गलती भी लड़किओं मे ही नजर आती है !
आपकी मानसिकता ही इस तरह की है की आप लड़किओं के कपडे देखते है और न जाने क्या क्या....आप अपनी मानसिकता हम महिलाओं की तरह क्यों नहीं बनाते..हम लड़कियां तो कभी शिकायत नहीं करते की वो मर्द नग्न अवस्था मे खडा है...हमें कुछ मतलब नहीं होता आप लोग चाहे जो करे!! तो फिर आपको किसने अधिकार दिया की आप अपनी हवसिपना भरी मानसिकता को बदलने की बजाय हमारी पोशाक पर ऊँगली उठाये..आपकी तरह के ग्वार देहाती शायद भूल गए है की हम आज के भारत की नारी है आपके नीचे दबकर न हम रह सकते है , न सो सकते है हम परिवर्तन करके रहेंगे!!
आपकी मानसिकता ही इस तरह की है की आप लड़किओं के कपडे देखते है और न जाने क्या क्या....आप अपनी मानसिकता हम महिलाओं की तरह क्यों नहीं बनाते..हम लड़कियां तो कभी शिकायत नहीं करते की वो मर्द नग्न अवस्था मे खडा है...हमें कुछ मतलब नहीं होता आप लोग चाहे जो करे!! तो फिर आपको किसने अधिकार दिया की आप अपनी हवसिपना भरी मानसिकता को बदलने की बजाय हमारी पोशाक पर ऊँगली उठाये..आपकी तरह के ग्वार देहाती शायद भूल गए है की हम आज के भारत की नारी है आपके नीचे दबकर न हम रह सकते है , न सो सकते है हम परिवर्तन करके रहेंगे!!
सोनिया जी, सभी मर्दों को एक तराजू पर नही तोलना चाहिए उसी प्रकार उन लेखक ने भी सभी नारियों को तो एक तराजू पर नही तौला..मैं जानता हूँ आप आधुनिक नारी हो..पर हम मर्दों का जरा सहयोग तो कीजिये तभी तो हम इन सब चीज़ों पर रोक लगाने में सफल हो पाएंगे !
ReplyDeleteमैं सोनिया जी से बिल्कुल सहमत हूँ की मर्दों को ये अधिकार किसने दिया की वो ये तय करे की हम क्या करेंगे क्या नही..हमने जरा सी इज्जत क्या दी घमंड में चूर हो गए !!
ReplyDeleteलड़की को सिर्फ़ उपयोग की वास्तु समझना छोड़ दीजिये क्योंकि आप सिर्फ़ आपका जमाना नही रहा..आप क्यों इस तरह के उपदेश देते हो जब इन्ही कपडों में हमें टीवी के स्समने खड़े होकर आँखें फाड़कर देखते हो !! मैं सोनिया की बात और आपके लेख से समझ गई की आप सच में हवसी हैं!!
are ek dum sahi in mahilao ne likha hai mujhe lagta hai yadi ye apne aapko ladke jaisa samjhna cahti hai to mahila aarakshan ka virod kare aur bus me gents ko khada kyu karti hai aur ye hamari reet hai k sone me ladki niche hi rehti hi upar chadna bhi hamari sanskriti k khilaf hai samjhi mem
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