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कुछ पवन जी की कलम से

इंतज़ार ......
तेरा क्यूँ दोस्त ऐसा क्यूँ
तेरा इंतजार सुबह शाम
पल पल तेरी ही सोच क्यूँ
ख़ुशी से पुछ किसने दिया पता मेरा तुझे
उमंगो से पुछ किसने जगाया तुझे
पंछी बन क्यूँ उड़ने की चाहत तुझे
आना है एक दिन फिर तुझे
आसमान से वापिस जमी पर
फिर यह उडान क्यूँ
सोच टहरता रुकता खुद पर
आगे बढती चाहत उमंगें
....यह क्यूँ
मैं खुद से खुद को हारा तुझे जीत
यह कैसी दिल की दिल से प्रीत
यह कैसा मन गाये गीत
ना मे तेरा ना तू मेरी
....फिर क्यूँ लगे जीत ...
~~~~पवन अरोडा~~~~

Comments

  1. बहुत खूबसूरत रचना है पवन जी....
    तारीफ करने लायक शब्द मेरे पास नहीं है !!

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  2. ~~~jindgi~~~
    अजीब घुटन अजीब चुभन
    अजीब सी बैचेनी सी क्यूँ है
    कुदरत के बन्दे ....
    चेहरे पर यह उदासी क्यूँ है
    मष्तिक मे हलचल आँखों मैं अँधेरा
    सोच मैं गुमनामी सी क्यूँ है
    क्या वक़्त की रफ़्तार ..
    पंछी उड़ता पर कटे पंख क्यूँ है
    तलाशती निगाहें जीने की राह
    पर निगाहों मे पानी सा क्यूँ है
    मन मे उठते तुफ्फान कदमो के निशान
    पर मंजिल ओझल सी क्यूँ है
    बोलने की चाह शब्दों का भंडार
    पर शब्दों मे कपकपी सी क्यूँ है
    ~~~पवन अरोडा~~~~

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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