Skip to main content

देश का फोजी


नमस्कार सा
खम्मा घनी सा ,
26 जनुअरी , मुबारक बाद आज में लक्ष्मन सुथार एक कविता लिक रहा हूँ जिसका क्रेडिट हमारे एक दोस्त "जयंत गोस्वामि ' को जाता है
हमारे फोजी भाई जो देश के लिए ,मात्रभूमि की रक्षा के लिया अपना जी जान लगा देता है ये उनकी करुण गाथा है

"साथी घर जाकर मत कहेना ,
संकेतो में बतला देना ,
मेरा हाल मेरे बहना पूछे तो ,सर उसका सहला देना
इतने पर भी समझे तो ,राखी तोड़ देखा देना !

"साथी घर जाकर मत कहेना ,
संकेतो में बतला देना ,
मेरा हाल मेरे पत्नी पूछे तो ,
मस्तक को झुका लेना .इतने पर भी समजे तो ,
मांग का सिन्दूर मिटा देना!

"साथी घर जाकर मत कहेना ,
संकेतो में बतला देना ,
मेरा हाल मेरी माँ पूछे तो ,
दो आंसू छलका देना ,इतना पर भी समजे तो
जलाता दीप बुझा देना !

"साथी घर जाकर मत कहेना ,
संकेतो में बतला देना ,
मेरा हाल मेरे बुद्रे पिता पूछे तो ,
हाथो को सहला देना , इतने पर भी समजे तो
लाठी तोड़ दिखा देना!

"साथी घर जाकर मत कहेना ,
संकेतो में बतला देना ,


"

Comments

  1. मनोज जी सच आपने तो रुला ही दिया!!बहुत ही खूबसूरत रचना !!
    बड़े प्यारे तरीके से लिखा है !!
    शुक्रिया!!

    ReplyDelete
  2. Hindustan jindabad
    Pakistan, China murdabad

    ReplyDelete
  3. dosto ise likhaa to hamane hi thaa shrey kise mila ye to galat baat hai

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा