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साहित्यकारों के रोने की असलियत

संजय सेन सागर
हिन्दुस्तान हमेशा से साहित्य की जननी रहा है,यहाँ पर अनेक साहित्यकारों ने जन्म लिया,कर्म किया! यहाँ पर साहित्यकारों की कलम मे वो शक्ति नजर आई जिससे इस प्रथ्वी लोक को ही नहीं बल्कि स्वर्ग लोक को भी प्रकाशमान बनाया गया है! लेकिन आज की भीड़ मे साहित्य भी खो गया है ! बढे-बढे साहित्यकार मानते है की आज की युवा पीढी साहित्य पड़ना ही नहीं चाहती,उसे महज मस्ती के साधन की जरुरत है! लेकिन सच ये तो बिलकुल नहीं है आज की युवा पीढी साहित्य तो पढना चाहती है लेकिन उसका स्वाद अलग है और हमारे बढे बढे साहित्यकार उस स्वाद को जान ही नहीं पा रहे है,और दोष युवापीढ़ी पर लगा रहे है !अगर सच मे युवा पीढी साहित्य पढ़ना नहीं चाहती है तो ''फाइव पॉइंट समवन'' को बेस्टसेलर किसने बनाया बुजर्गों ने , बिलकुल नहीं युवापीढ़ी ने ! ''one night @ call center '' एक ऐसा साहित्य रहा जिसपर फिल्म बनायीं गयी और जनता ने इसे पसंद भी किया ,यह चेतन भगत का ही एक और साहित्य था..उनके तीसरे साहित्य पर भी फिल्म बनायीं जा रही है !तो हम कैसे मान ले की युवा पीढी साहित्य पढ़ना नहीं चाहती...बच्चों ने क्या हेर्री पोर्टर को नहीं पढ़ा..बुजर्गों ने पढ़ा ! असलियत ये है की बढे-बढे साहित्यकार अपनी जटिल भाषा को सरल करना ही नहीं चाहते,अपने धार्मिक मुद्दों से हटना ही नहीं चाहते,शायद इसमें उन्हें कोई बुराई नजर आती हो ! लेकिन जब तक बड़े-बड़े और ज्ञानी लेखक युवापीढ़ी की पसंद से हटकर साहित्य लिखेंगे उसे उन्हें स्वयम पढ़ना होगा..युवापीढ़ी से आशा न रखे और जो युवा पीढी की पसंद को ध्यान मे रखकर लिखेगे उसका साहित्य बजूद मे होगा,पसंद किया जायेगा और उस पर फिल्म भी बनेगी और चेतन भगत की तरह उसे पहचाना भी जायेगा !!

Comments

  1. bahut sahi baat kahi aapne..yah ke gambheer mudda hai jise suljhane ki gyaan ki jarurat hai !!

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  2. सच कहा आपने,युवापीढ़ी के साहित्य न पड़ने की यह एक प्रमुख बजह है !

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  3. बहुत सुंदर रचना है !!
    काफी प्रभावित किया है,आप इसी तरह लिखते रहिये!!

    ReplyDelete

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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