Skip to main content

स्त्री सोन्दर्य :एक हथियार के रुप मे प्रयोग


हिलाओ के रहन सहन के स्तर मे शिक्षा के प्रसार के साथ परिवेश जनित परिवर्तन आया है, वह प्रशसनीय है। किन्तु वही उसमे कभी कभी अश्लीलता का अनुभव भी हम करते है। यह एक विडम्बना ही है। प्रचार के लिये अधिकाश महिलाओ को माध्यम बनाया जाता है। आज जब भी हम बाहर जाते है तो जगह जगह दीवारो पर, सिनेमाघरो के बाहर, मकानो की छतो तथा चार दीवारी पर,यहा तक की चोराहो और वृक्षो के मोटे तनो पर भी विज्ञापन हेतु लगे हुए गन्दे तथा महिलाओ के अगो का अधिकाधिक प्रदर्शन कराते हुये पोस्टर दिखाई देते है। जिनकी कोई भी सभ्य, सुशिक्षित मनुष्य तो निगाह उठाकर देखने का साहस नही कर सकताओर ना पसन्द ही करता है। इसको दिखने वाले अधिकाशतःकच्ची उम्र के बच्चे, किशोर तथा अशिक्षित हुआ करते है। इसका सर्वाधिक कु:प्रभाव बच्चो, किशोरो एवम अशिक्षितो पर पडता है। उनकी कोमल भावनाये बहकर, उच्छृखल होकर गलत रास्ता अपना लेती है।
हीलाओ द्वारा किसी वस्तु का प्रचार करना कतई बुरा नही है, लेकिन उनको गलत ढग से पेश करना, अधिकाधिक अगो का प्रदर्शन, कम उम्र के बच्चो एव युवाओ पर भी बुरा प्रभाव डालता है। दु:ख एवम आश्चर्य तब होता है,जब हम मात्र आठ-दस वर्ष कि उम्र के बालको को किसी भी उम्र की स्त्री पर फब्तियॉ कसते हुये देखते है या उसके साथ छेडखानी करते हुये देख लेते है ।
सोचना यह है कि ऐसा क्यो ओर किस लिये हुआ ? क्या इसके लिये हम जिम्मेदार नही है ? बहुत सी महिलाये जो परिधान धारण करती है जो भडकिले होते है,चुस्त हो, और जिसमे अगो का प्रदर्शन अधिकाधिक हो। ऐसे मे छेडखानी की घटनाये अधिक होती है।बुजुर्ग, प्रोढ,युवक सभी बात करने मे सकोच या लज्जा का अनुभव करते है। स्वय युवतिया भी बात कतने मे शर्म महसुस करती है या कतराती है क्यो कि गलत पहनावा हमारी सभ्यता का घोतक होने के साथ ही अश्लील भी है। आज के प्रगतिशील भारत मे जब महिलाये पुरुषो के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर सम्मान के साथ आगे बढना चाहती है तो अपनी इस प्रदर्शन की प्रवृति पर रोक लगाकर स्वय को हिन ना समझकर अपने स्वाभिमान ओर योग्यता के साथ उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहीये।
मारा दृष्टिकोण महिलाओ के प्रति सम्मान का हो इस लिये आत्मनियन्त्रण रखकर विभिन्न विज्ञापनो, पोस्टरो आदि मे गन्दे तरीके से महिलाओ के इस्तेमाल का महिलाओ द्वारा विरोध किया जा सकता है। और हमे ऐसे काम से साफ इन्कार भी कर देना चाहिये जो हमारी मर्यादाओ के प्रतिकुल ना हो ओर हमारे स्वाभिमान को ठेस पहुचाये।
समे कठिनाये बहुत आयेगी,क्योकि प्राचिन युग से ही स्त्री सोन्दर्य को एक हथियार के रुप मे प्रयोग किया जाता रहा है। तथा आर्थिक कारणो के चलते कुछ मजबुरीयो के कारण भी अग प्रदर्शन करने को बाध्य होना पडता है। यह एक विडम्बना ही है किन्तु कुछ समय तक कठिनाइयो का सामना करने के बाद यदि हम अपनी मर्यादा ओर स्वाभिमान की रक्षा करते हुये काम कर सके तो इसमे हमारे बाद आने वाली पीढी अधिक लाभान्वित होगी।
लेबल: - हे प्रभु यह तेरापन्थ "नारी"



Comments

  1. मेरी ऐसी धारणा है की युवतियां स्वयं हीं इस सारी परेशानी की जड़ हैं .
    एक तरफ़ तो वो नारी मुक्ति और नारी के पुरुषों के बराबर होने की बात करती हैं और दूसरी तरफ़ वो एक-दम हीं अचंभित कर देने वाले काम करती हैं, मसलन अपने पहनावे को कुछ ऐसा रूप देना की युवक उनकी ओर आकर्षित हो...मुझे तो ऐसा नहीं लगता है की ये सब करना इतना ज़रूरी है.
    और जो बात मुझे सबसे ज्यादा खलल पहुंचाती है वो ये है की युवतियां एक तरफ़ तो ऐसे कपडे पेहेनना भी चाहती हैं और दूसरी तरफ़ इस बात की चिंता भी सताती रहती है की कोई उनपे फब्तिया न कसे, कोई उनकी तरफ़ देखे भी नहीं!

    मुझे तो ये 'बराबरी' वाली बगावत सिर्फ़ शब्दों की बगावत दिखाई जान पड़ती है......

    ReplyDelete
  2. बकवास लिखा है आपने...आगे से ऐसा लिखने से पहेले अपने गिरेवान में झाँक ले तो उम्दा रहेगा !!

    ReplyDelete
  3. मैं आपकी बात से बिल्कुल सहमत हूँ आपने बहुत ही अच्छा लेख लिखा है !!!

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

हाथी धूल क्यो उडाती है?

केहि कारण पान फुलात नही॥? केहि कारण पीपल डोलत पाती॥? केहि कारण गुलर गुप्त फूले ॥? केहि कारण धूल उडावत हाथी॥? मुनि श्राप से पान फुलात नही॥ मुनि वास से पीपल डोलत पाती॥ धन लोभ से गुलर गुप्त फूले ॥ हरी के पग को है ढुधत हाथी..

खुशवंत सिंह की अतृप्त यौन फड़फड़ाहट

अतुल अग्रवाल 'वॉयस ऑफ इंडिया' न्यूज़ चैनल में सीनियर एंकर और 'वीओआई राजस्थान' के हैड हैं। इसके पहले आईबीएन7, ज़ी न्यूज़, डीडी न्यूज़ और न्यूज़24 में काम कर चुके हैं। अतुल अग्रवाल जी का यह लेख समस्त हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों और पाठकों को पढना चाहिए क्योंकि अतुल जी का लेखन बेहद सटीक और समाज की हित की बात करने वाला है तो हम आपके सामने अतुल जी का यह लेख प्रकाशित कर रहे है आशा है आपको पसंद आएगा,इस लेख पर अपनी राय अवश्य भेजें:- 18 अप्रैल के हिन्दुस्तान में खुशवंत सिंह साहब का लेख छपा था। खुशवंत सिंह ने चार हिंदू महिलाओं उमा भारती, ऋतम्भरा, प्रज्ञा ठाकुर और मायाबेन कोडनानी पर गैर-मर्यादित टिप्पणी की थी। फरमाया था कि ये चारों ही महिलाएं ज़हर उगलती हैं लेकिन अगर ये महिलाएं संभोग से संतुष्टि प्राप्त कर लेतीं तो इनका ज़हर कहीं और से निकल जाता। चूंकि इन महिलाओं ने संभोग करने के दौरान और बाद मिलने वाली संतुष्टि का सुख नहीं लिया है इसीलिए ये इतनी ज़हरीली हैं। वो आगे लिखते हैं कि मालेगांव बम-धमाके और हिंदू आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद प्रज्ञा सिंह खूबसूरत जवान औरत हैं, मीराबा

Special Offers Newsletter

The Simple Golf Swing Get Your Hands On The "Simple Golf Swing" Training That Has Helped Thousands Of Golfers Improve Their Game–FREE! Get access to the Setup Chapter from the Golf Instruction System that has helped thousands of golfers drop strokes off their handicap. Read More .... Free Numerology Mini-Reading See Why The Shocking Truth In Your Numerology Chart Cannot Tell A Lie Read More .... Free 'Stop Divorce' Course Here you'll learn what to do if the love is gone, the 25 relationship killers and how to avoid letting them poison your relationship, and the double 'D's - discover what these are and how they can eat away at your marriage Read More .... How to get pregnant naturally I Thought I Was Infertile But Contrary To My Doctor's Prediction, I Got Pregnant Twice and Naturally Gave Birth To My Beautiful Healthy Children At Age 43, After Years of "Trying". You Can Too! Here's How Read More .... Professionally