Skip to main content

जीतिए 5000 रुपए इनाम

जैसा की हम सब जानते है की आप ''हिन्दुस्तान का दर्द'' ब्लॉग के एक विशेष सहयोगी है ,आपके इस सहयोग के कारण ही यह ब्लॉग प्रगति पर है !!आपको हम जानकारी देना चाहते है की ''हिन्दुस्तान का दर्द'' सिर्फ हमारे ब्लॉग के मेम्बरों के लिए एक प्रतियोगिता आयोजित करने जा रहा है,जिसमे से सिर्फ एक विजेता घोषित किया जावेगा!!विजेता को सम्मान सहित 5000/- रुपए दिए जायेंगे इस प्रतियोगिता में केवल एक ही विजेता होगा !! आपको बस इतना करना है की नीचे दिए गए प्रश्न पर अपनी राय हमे 500 शब्दों में ईमेल करनी है !!

हमारा ईमेल का पता है
mr.sanjaysagar@gmail.कॉम

और अब हमारा प्रश्न
''हिन्दुस्तान को अमेरिका के तलबे चाटने की क्या जरुरत है क्या इससे पकिस्तान पर कोई फर्क पड़ेगा?''

आपकी राय हमे १५ जनवरी तक मिल जानी चाहिए आपके लेख के साथ आप अपना पूरा पता और एक फोटो जरुर भेजे!!!इस प्रतियोगिता के नतीजे २६ जनवरी को घोषित किये जायेंगे !!और अधिक जानकारी के लिए पढ़ते रहिये !
हिन्दुस्तान का दर्द
प्रतिभागी का इस ब्लॉग का मेंबर होना आवश्यक है ,मेंबर बनने की आखिरी तारीख 12 जनवरी 2009 है

विशेष -पुरूस्कार युवा शक्ति संगठन के सौजन्य से दिया जा रहा है !!!

Comments

  1. sanjay ji mujhe aap ka ye prayas sarahniye hai. sath hi sath aapne vishay bhi achha chuna hai.

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...