Skip to main content

मीडिया छात्रों का विरोध
केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए मीडिया के उपर काला कानून लागू करने के विरोध मे भडास4मीडिया की मुहिम का साथ pisuindia.com के छात्रों ने दिया और कई मीडिया चैनलों के पत्रकारों ने जंतर मंतर पर एकजुट होकर इस काला कानून का विरोध किया। pisuindia.com के छात्रों ने भी अपनी गरम जोशी से यशवंत जी का साथ दिया और इस कानून के विरोध मे pisuindia.com के संपादक राकेश कुमार ने भी सरकार की जमकर आलोचना कि और प्रकाश कुमार, विशाल तिवारी (पिसु सदस्य) ने सरकार को होश में रहने को कहा, क्रांतिकारी कंडारी जी ने तो यह कानून सरकार के उपर लागू करने की बात कही। वहीं दिव्या, मोहित, सचिन, ने केन्द्र के इस कानून का विरोध करते हुए कहा सरकार मीडिया से डर चुकी है, जिसके वज़ह से कानून लागू कर रही है। क्योंकि मीडिया सरकार के सच को सामने लाने का काम कर रही है, जिसके वजह से नेता मीडिया से चिढ़ चुके है। गुरुवार को पत्रकारों ने जंतर मंतर पर इकठ्ठा होकर सरकार के द्वारा काला कानून बनाने पर हाथ पर काली पट्टी बांधी और कानून की प्रतियां को जलाकर अपना रोष प्रकट किया।
PISU India Student’s News Portal
जंतर मंतर पर हुए विरोध कि तस्वीरों के लिए क्लिक करें

Comments

  1. बहुत ही अच्छा प्रयास है आप आप लोगों का !!
    हालाकि मैं इस तरह के कर्येक्रमों में सामिल होना चाहता हूँ पर आप जैसे साथी सागर में तो नही है !!
    चलो कोई बात नही!!
    बहुत ही अच्छा रहा आपका प्रयास!!!

    ReplyDelete
  2. bahut acchi koshish hai,humhe sarkaar ko sabak to sikhana hi padega!!

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा