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हमारी औकात नहीं जो हम

वेंगसरकर साहब आप को आराम करना चाहिये आप टीम इन्डिया का बहुत (अ)हित कर चुके।मेरे ख्याल से सचिन ,द्रविड़ ,गांगुली जैसे महान खिलाडियों पर कमेन्ट कर के पेपरोंमें जगह बनाना आसान है।शायद इसी लिये जिसे देखो वही भोकने लगता है।एक महान खिलाडी़ दूसरे के लिये क्या कहता है देखें,अभी दिवार मजबूत है द्रविड़ जल्द वापसी करेंगे(सौरव गांगुली)सौरव जानते हैं,और वह अपमान सह चुके हैं।हमारी औकात नहीं जो हम द्रविड़ पर कमेन्ट कर सकें ,इस समय उन्हें हमारे सहयोग की आवस्यक्ता है (किर्ती आजाद)मुझे समझ में नहीं आता भईया लोग व्यस्त कार्यक्रम का रोना रोते हैं आप को याद होगाअभी हाल ही में धोनी( लकी ) श्रीलंका दौरे के समय आराम फरमा रहे थे।फिर द्रविड, सचिन,गांगुली,लक्ष्मण को टेस्ट से क्यों निकाला जा रहा है।भैया आप ५०-५०,२०-२० खेलो आप को आराम भी मिल जायेगा।ये ठीक आप का लक इस समय साथ दे रहा है पर ध्यान रखियेगा इन्डिया की पब्लिक जितनी तेजी से सर पर चढ़ाती है उतनी तेजी से उतारती भी है।

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा