Skip to main content

नंगा नाच मनमोहन सिंह को अच्छा नहीं लगता

केंद्र सरकार सरहदों के पार के पाप को भले ही न मिटा पा रही हो लेकिन बह देश के अन्दर फ़ैल रहे अय्याशी के नंगे नाच को रोकने का पूरा प्रयास कर रही है !!जी हाँ भाइयो हमारी निष्क्रिय केंद्र सरकार ने सक्रिय होते हुए एक कदम उठाया है की बह लिव इन रिलेशनशिप पर अपनी मुहर नहीं लगायेगी मतलब कानूनी मान्यता नहीं देगी !!मतलब भैया सीधा है की जो लोग बिना शादी विवाह के जन्नत के मजे लूट रहे थे और भविष्य के सवरने का सपना देख रहे थे तो उनके लिए हमारा सुझाब है की कपडे पहनो और घर को निकल लो खूब लूटा मजा, खूब देखि जन्नत अब कही ऐसा न हो की न कुछ लुटाने को बचे और ऊपर से शादी की दिक्कत आ जाये सो लिव इन रिलेशनशिप में स्थायी रिश्ते बनाने की कोशिश करो या फिर बाप मताई से कहकर अपने हाँथ पीले करवा लो ..लाल करवा लो जैसे करवाना है करवा लो..... केंद्र सरकार के चक्कर में न बैठो!क्योंकि केंद्र सरकार ने तो अपनी टाँगे उठा दी है की जो करना है सो आप करो हम कुछ नहीं करेंगे! अब केंद्र सरकार भी क्या करे आतंकवाद तो रुक नहीं रहा है सो यही सब रोक लो !!वैसे मुझे भी समझ नहीं आता की केंद्र सरकार पढ़े लिखों के पीछे ही क्यों पड़ जाती कभी आरक्षण को लेकर तो कभी उनके मजे लूटने का जरिए ही बंद कर देती है अब चलो जो होता है सो अच्छे के लिए होता है चिंता न करो मजा करो !!

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा