कत्ल के झूठे केस में पांच बेकसूरों ने उम्रकैद की सजा काटी और सजा के दौरान एक की मौत भी हो गई लेकिन 12 साल जेल में गुजारने के बाद जिस व्यक्ति के कत्ल के इल्जाम में सजा काटी वह जिंदा निकला। इस किस्से को सच कर दिखाया है जगसीर सिंह के परिजनों ने। उन्होंने अपने बेटे जगसीर को मृत साबित कर गांव के ही पांच लोगों को उम्रकैद की सजा करवा दी थी।
सालों बाद सच खुला
पुलिस ने 1996 में जगसीर सिंह के कत्ल का मामला दर्ज किया था। 12 साल बाद पुलिस ने जगसीर को एक नाके पर काबू किया और सच सामने आया। जगसीर को पकड़ने की सूचना एसएसपी गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उन्होंने बताया कि जगसीर सिंह पुत्र सुखदेव सिंह निवासी गांव टल्लेवाल थाना भरौड (बरनाला) 1996 में गांव में हुए झगड़े के बाद लापता हो गया था।
उसके परिजनों ने गांव के ही नछतर सिंह, सीरा सिंह, सुरजीत, निक्का और अमरजीत सिंह पर जगसीर का अपहरण करने का आरोप लगाया था और परिजनों की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ धारा 364 के तहत मामला दर्ज हुआ था।
सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि जगसीर की गुमशुदगी के कुछ दिन बाद ही उसका शव बरामद करवा दिया गया था। पुलिस ने गांव के पास ही एक अज्ञात शव बरामद किया था। जगसीर के परिजनों ने उसे अपना बेटा बताया था।
उन्होंने उसका पोस्टमार्टम करवा अंतिम संस्कार भी करवा दिया। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 302 के तहत भी मामला दर्ज किया। पांचों लोगों की झूठी गवाहियों पर उम्रकैद की सजा हो गई। सीरा सिंह की जेल में मौत हो चुकी है बाकि चार लोग सजा काट कर बाहर आ चुके हैं।
कुछ समय बाद जगसीर वापस घर आया तो उसके पिता सुखदेव सिंह, भाई बलविंदर सिंह, मामा गुरुदेव सिंह व जीत सिंह ने उससे कहा कि उसके कत्ल के आरोप में पांच लोगों पर मामला दर्ज है। वह कहीं और जाकर पहचान बदल कर रहे। जगसीर इसके बाद बलदेव सिंह पुत्र प्रेम सिंह निवासी रलेवाल बलाचौर के तौर पर रहने लगा।
नकली दस्तावेज:
बलाचौर में रहते हुए जगसीर ने नकली नाम से प्रमाण पत्र भी बनवा लिए। इसके बाद परिवार वाले उसे रहने के लिए पैसे देते रहे। बुधवार को भी जगसीर किराये की कार में पैसे लेने आ रहा था। गांव सीलोआनी के पास डीएसपी नरिंदर पाल सिंह रूबी व एसएचओ गुरदयाल सिंह की अगुवाई में टीम ने उसे काबू किया।
पुलिस ने उससे एक लाख 24 हजार रुपए बरामद किए। पुलिस ने उससे वोटर कार्ड और एक बैंक पास बुक भी बरामद की, दोनों ही डोक्यूमेंट किसी अन्य के नाम से बनाए गए थे। पुलिस ने जगसीर को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ धारा 420, 195, 211, 465, 467, 468, 471, 120 के तहत मामला दर्ज किया है।
सालों बाद सच खुला
पुलिस ने 1996 में जगसीर सिंह के कत्ल का मामला दर्ज किया था। 12 साल बाद पुलिस ने जगसीर को एक नाके पर काबू किया और सच सामने आया। जगसीर को पकड़ने की सूचना एसएसपी गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। उन्होंने बताया कि जगसीर सिंह पुत्र सुखदेव सिंह निवासी गांव टल्लेवाल थाना भरौड (बरनाला) 1996 में गांव में हुए झगड़े के बाद लापता हो गया था।
उसके परिजनों ने गांव के ही नछतर सिंह, सीरा सिंह, सुरजीत, निक्का और अमरजीत सिंह पर जगसीर का अपहरण करने का आरोप लगाया था और परिजनों की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ धारा 364 के तहत मामला दर्ज हुआ था।
सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि जगसीर की गुमशुदगी के कुछ दिन बाद ही उसका शव बरामद करवा दिया गया था। पुलिस ने गांव के पास ही एक अज्ञात शव बरामद किया था। जगसीर के परिजनों ने उसे अपना बेटा बताया था।
उन्होंने उसका पोस्टमार्टम करवा अंतिम संस्कार भी करवा दिया। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 302 के तहत भी मामला दर्ज किया। पांचों लोगों की झूठी गवाहियों पर उम्रकैद की सजा हो गई। सीरा सिंह की जेल में मौत हो चुकी है बाकि चार लोग सजा काट कर बाहर आ चुके हैं।
कुछ समय बाद जगसीर वापस घर आया तो उसके पिता सुखदेव सिंह, भाई बलविंदर सिंह, मामा गुरुदेव सिंह व जीत सिंह ने उससे कहा कि उसके कत्ल के आरोप में पांच लोगों पर मामला दर्ज है। वह कहीं और जाकर पहचान बदल कर रहे। जगसीर इसके बाद बलदेव सिंह पुत्र प्रेम सिंह निवासी रलेवाल बलाचौर के तौर पर रहने लगा।
नकली दस्तावेज:
बलाचौर में रहते हुए जगसीर ने नकली नाम से प्रमाण पत्र भी बनवा लिए। इसके बाद परिवार वाले उसे रहने के लिए पैसे देते रहे। बुधवार को भी जगसीर किराये की कार में पैसे लेने आ रहा था। गांव सीलोआनी के पास डीएसपी नरिंदर पाल सिंह रूबी व एसएचओ गुरदयाल सिंह की अगुवाई में टीम ने उसे काबू किया।
पुलिस ने उससे एक लाख 24 हजार रुपए बरामद किए। पुलिस ने उससे वोटर कार्ड और एक बैंक पास बुक भी बरामद की, दोनों ही डोक्यूमेंट किसी अन्य के नाम से बनाए गए थे। पुलिस ने जगसीर को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ धारा 420, 195, 211, 465, 467, 468, 471, 120 के तहत मामला दर्ज किया है।
पता नही कितने इसी तरह सजाएं भुगतते होगें।ऐसे लोग जो दूसरों को झूठे केस में फसाते हैं।उन को कड़ी सजा मिलनी चाहिए जिससे दूसरे कभी ऐसा ना कर सकें।
ReplyDelete