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मैं मुर्दा बोल रहा हूँ.....

मेरा नाम केशव है। अरे-अरे आप घबराइये मत, मैं मर चुका हूँ। सुना है हमारे देश में मुर्दों की बहुत सुनी जाती है , इसलिए यमराज जी से थोडी सी मोहलत मांग के आपसे मुखातिब हूँ। हाँ मेरा नाम केशव था, मैं उत्तरप्रदेश और बिहार के बॉर्डर बनारस का रहने वाला था। कुछ सालों से रोजी-रोटी के लिए बॉम्बे के वरली इलाके में मेरी खोली थी। जब राज ठाकरे के गुंडों ने भैय्याओं की पिटाई, चटाई समझकर कर रहे थे तो घर से बार-बार फोन आने लगा की नौकरी छोड़ कर चले आओ। गुंडों का अत्याचार बढ़ता ही जा रहा था, घर पर बाबूजी बीमार रहने लगे, मुझे लगा की घर चले जाना चाहिए। लेकिन आप ये मत सोचिये की मैं डर गया था। बस बाबूजी की चिंता सताए जा रही थी, इसलिए विगत २६ नवम्बर को मैं घर के लिए ट्रेन पकड़ने वीटी अरे वोही सीएसटी स्टेशन पर पहुँच गया। रात के करीब ११ बजे मेरी ट्रेन थी। मैंने सोचा की चलो कुछ खा-पि लिया जाए। मैं जैसे ही आगे बढ़ा तो देखा की एक गुंडा हांथों में बन्दूक लिए अंधाधुंध गोलियां बरसता मेरी तरफ़ चला आ रहा था। अचानक मैंने सोचा ये कौन है ? फिर मैं कुछ न सोच पाया , होश आया तो ख़ुद दो मृत हालत में मुन्सिपर्टी की बस में ठुसा हुआ पाया। पचासों लोग मरे जा चुके थे। यमराज आए और हमारी आत्माओं को इकठ्ठा करके चलने लगे। तभी एक आदमी बोला अभी रुकिए मीडिया वाले आते होंगे, कुछ फोटो, फुटेज हो जाए तो चलिए। यमराज मुस्कुराये और बोले बेटा यहाँ कोई मीडिया वाला नही आएगा, क्यौकी तुमसे ज्यादा जरूरतमंद लोग मरे हैं, मीडिया ताज होटल, ओबरी होटल और नरीमन हाउस को कवर कर रही है । तुम जैसे फालतू लोगों के लिए उनके पास टाइम नही है और मेरे पास भी! इसलिए चुपचाप मेरे साथ चलो मैं तुम्हे भरोषा दिलाता हूँ ऊपर तुम्हे पुरा कवरेज मिलेगा, कोई पर्सिअलिटी नही होगी। मै केशव अपनी सब इच्छाओ को भुला चुका हूँ। अब मुझे कोई नही मार सकता क्यूंकि मैं तो ख़ुद मर गया हूँ। एकदिन परेड में यमराज जी ने कहा की देखो दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें जीने का कोई अधिकार नही है लेकिन उन्हें मरना गैरकानूनी होगा इसलिए वे जिन्दा हैं। यमराज जी बता रहे थे की मुझे मरने वाला जिन्दा है ? मैं चौक गया! फिर उन्होंने कहा की येही जिन्दा राक्षश अब तुम्हारे देश की सरकार का देवता है। येही अब तुम्हारे सरकार को चुनावों में जित दिलाने की कोशिश करेगा। मैंने पूछा वो कैसे ? यमराज जी ने कहा -देखा नही तुमने सब कुछ साफ होने के बाद भी सरकार सिर्फ़ आने वाले चुनावों के बारे में सोच रही है। देखो कैसे कैसे प्रायोजित बयां दिए जा रहे हैं। सब वोट बैंक की राजनीति है बेटा तुम्हारी समझ में नही आएगा। फिर मैंने आखिरी सवाल किया। यमराज जी ये बताइए की हमें मरने वाला कौन था? यमराज जी बोले देखो तुम्हे मरने वाला कोई आदमी नही है और न ही कोई मशीन! तुम्हे मरने वाला एक विचार है , जो की दुसरे देशों से आया है और तुम्हे तो मालूम ही होगा की तुमसब कितने नकलची हो, हर विदेशी चीज की ऐसी नक़ल करते होई जैसे तुम्हारी होई। सबसे बड़ी बात ये है की तुम्हारी सरकार इस विचार को तबतक नही मरने देगी जब तक तुम जैसे लोग जिन्दा रहेंगे। लेकिन यमराज जी मारने का ठेका तो बस आपके पास है? यमराज- बेटा जमाना बदल गया है , यहाँ भी अब साझा सरकार है, कुछ को मैं नियम से मारता हूँ और कुछ फिदयेनो को सहयोगी तैयार करके मारते हैं। देखो मरना तो सबको है! कुछ नियम से , कुछ कायदे से और कुछ वायदे से! लेकिन तुम चिंता मत करो तुम्हारे पिताजी भी कल आ जायेंगे एक बार मिलकर मर जाना। कम से कम मरने के बाद तुम्हे तुम्हारे पिता से मिलवा रहा हूँ , तुम्हारी सरकार तो ऐसा भी नही करती। वो तो मरने के बाद भी गाली देती है, कम से कम मैं तो ऐसा

Comments

  1. बेहद सुंदर तरीके से आपने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया ,पर हम तो कलम के सिपाही है अपनी भावनाओं को सिर्फ़ लिख सकते है उस पर अमल करना हमारे साथ साथ किसी और का भी काम है !! जब तक सब मिलकर अमल नही करेंगे !! तब तक मोलिक स्वतंत्रता दूर है !!

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  2. मुझे आपके लिखने का तरीका बहुत पसंद आया!!!

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  3. This comment has been removed by the author.

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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