कुलवंत हैप्पी
जिन्दगी कब खत्म हो जाए, किसकी पता नहीं चलता। हम खुद नहीं जानते के अगले पल क्या होने वाला है. एक यात्रा पर निकले मुसाफिर को पता नहीं होता कि वो घर लौटेगा कि नहीं, कहीं यह यात्रा उसकी अंतिम यात्रा तो नहीं. बस मौत के खौफ मन को मन से निकालकर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते हैं. ये सही भी है और होना भी चाहिए क्योंकि अगर हम मौत के भय से रुक जाएंगे, मंजिल को पाना तो क्या एक कदम भी नहीं उठा सकेंगे. जैसे सांसों की रेलगाड़ी कब कहां रुक जाए किसकी को नहीं पता होता, वैसे ही इस अज्ञात महिला को भी नहीं था कि जिन्दगी की रेल रुकने वाली है. उसकी गोद में खेलने वाली बच्ची के सिर से मां का साया उठने वाला है, उसको इस जहान से विदा लेकर अकेली को जाना है, कहते हैं ना, अंत समय कोई साथ नहीं जाता, कुछ इस तरह ही हुआ इस अज्ञात महिला के साथ. अपनी एक साल की मासूम कली को लेकर रेल में सफर कर रही थी वो, बच्ची ने रोना शुरू किया तो उसने बच्ची को गोद में लिया और दरवाजे की तरफ चली आई. उसने बच्ची को चुप करवाने के लिए एक मां की हैसियत से सब कुछ किया. मगर उस महिला को भी नहीं पता था कि यह बच्ची क्यों रो रही है, शायद उस मासूम को पता चल गया था, उसकी मां इस दुनिया से जाने वाली है, लोगों में आम धारना है कि बच्चे तीन चार साल की उम्र तक कुदरत के हंसाने पर हंसते और कुदरत को रोने पर रोते हैं. बच्ची को चुप करवाने के लिए गीत-लौरी सुना रही मां का अचानक पैर फिसल गया और वो रेलगाड़ी से नीचे गिर गई. जैसे ही वो नीचे गिरी तो उसने दम तोड़ दिया. मगर एक साल की बच्ची जो किसको आवाज नहीं लगा सकती, वो इतना रोई के आसपास काम करने वालों को उसकी चीखों ने घटनास्थल पर आने के लिए मजबूर कर दिया. लोगों ने देखा एक महिला एवं उसकी बच्ची घायल अवस्था में हैं. उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन किया. मगर बहुत देर हो चुकी थी, उस मासूम की चीखें भी कुछ न कर सकी, उसके सिर से मां का साया उठ गया. पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर बच्ची को उठाया और जिला चिकित्सालय में भर्ती करा दिया गया है. यह घटना गुना के कैंट थानांतर्गत ग्राम मावन के पास कल सुबह उस समय हुई जब चलती ट्रेन से गिरकर एक अज्ञात महिला की मौत हो गई वहीं उसकी एक साल की बच्ची घायल हो गई।
मायवेबदुनिया
http://liveindia.mywebdunia.com/2008/07/24/1216884960000.html
जिन्दगी कब खत्म हो जाए, किसकी पता नहीं चलता। हम खुद नहीं जानते के अगले पल क्या होने वाला है. एक यात्रा पर निकले मुसाफिर को पता नहीं होता कि वो घर लौटेगा कि नहीं, कहीं यह यात्रा उसकी अंतिम यात्रा तो नहीं. बस मौत के खौफ मन को मन से निकालकर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते हैं. ये सही भी है और होना भी चाहिए क्योंकि अगर हम मौत के भय से रुक जाएंगे, मंजिल को पाना तो क्या एक कदम भी नहीं उठा सकेंगे. जैसे सांसों की रेलगाड़ी कब कहां रुक जाए किसकी को नहीं पता होता, वैसे ही इस अज्ञात महिला को भी नहीं था कि जिन्दगी की रेल रुकने वाली है. उसकी गोद में खेलने वाली बच्ची के सिर से मां का साया उठने वाला है, उसको इस जहान से विदा लेकर अकेली को जाना है, कहते हैं ना, अंत समय कोई साथ नहीं जाता, कुछ इस तरह ही हुआ इस अज्ञात महिला के साथ. अपनी एक साल की मासूम कली को लेकर रेल में सफर कर रही थी वो, बच्ची ने रोना शुरू किया तो उसने बच्ची को गोद में लिया और दरवाजे की तरफ चली आई. उसने बच्ची को चुप करवाने के लिए एक मां की हैसियत से सब कुछ किया. मगर उस महिला को भी नहीं पता था कि यह बच्ची क्यों रो रही है, शायद उस मासूम को पता चल गया था, उसकी मां इस दुनिया से जाने वाली है, लोगों में आम धारना है कि बच्चे तीन चार साल की उम्र तक कुदरत के हंसाने पर हंसते और कुदरत को रोने पर रोते हैं. बच्ची को चुप करवाने के लिए गीत-लौरी सुना रही मां का अचानक पैर फिसल गया और वो रेलगाड़ी से नीचे गिर गई. जैसे ही वो नीचे गिरी तो उसने दम तोड़ दिया. मगर एक साल की बच्ची जो किसको आवाज नहीं लगा सकती, वो इतना रोई के आसपास काम करने वालों को उसकी चीखों ने घटनास्थल पर आने के लिए मजबूर कर दिया. लोगों ने देखा एक महिला एवं उसकी बच्ची घायल अवस्था में हैं. उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन किया. मगर बहुत देर हो चुकी थी, उस मासूम की चीखें भी कुछ न कर सकी, उसके सिर से मां का साया उठ गया. पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर बच्ची को उठाया और जिला चिकित्सालय में भर्ती करा दिया गया है. यह घटना गुना के कैंट थानांतर्गत ग्राम मावन के पास कल सुबह उस समय हुई जब चलती ट्रेन से गिरकर एक अज्ञात महिला की मौत हो गई वहीं उसकी एक साल की बच्ची घायल हो गई।
मायवेबदुनिया
http://liveindia.mywebdunia.com/2008/07/24/1216884960000.html
बिंदास लिखा दोस्त बहुत अच्छे!!
ReplyDelete