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और उसे बेजान समझकर काट दिया गया !!

किसी के बहकाने पर एक दिन पेड़ ने पत्तों से कहा, 'तुम बहुत घमंडी हो गए हो और भूल गए हो की तुम्हारा अस्तित्व मेरी ही कृपा से जिन्दा है!'
काफी दिन गुजर गए उस पेड़ पर पत्ते नहीं हुए !तब उस पेड़ को बेजान और सूखा जानकार जड़ से काट दिया गया ! ।

पत्ते कुछ देर खामोश रहे फिर बोले, 'ऐसा नहीं है! हमारे बिना आपका भी अस्तित्व अधुरा है, यदि आप असहमत है तो हम आप से दूर हो रहे है!'इतना कहकर पत्ते एक एक करके पेड़ से गिरने लगे और पेड़ के पास एक भी पत्ता नहीं बचा ,काफी दिन गुजर गए उस पेड़ पर पत्ते नहीं हुए !तब उस पेड़ को बेजान और सूखा जानकार जड़ से काट दिया गया !

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

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