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रामदेव की राजनैतिक मुद्रा

रामदेव की राजनैतिक मुद्राबाबा रामदेव गदगद हैं। गंगा बचाओ आंदोलन में भाजपा,/कांग्रेस दोनों उन्हें अपने साथ दिखाई दे रही हैं!/कानपुर में सरसैयां घाट पर अविरल गंगाए/निर्मलगंगाष्/आंदोलन शुरु करते हुए चेतावनी दे डाली कि महीने भर में गंगा एक्सप्रेस प्रोजेक्ट से हाथ नहीं खींचा गया तो देख लेना। बाबा को अपने शिविरों में आनेवाली भीड़ देख कर अरसे से लग रहा है कि वे सारे उनके अनुयायी हैं और चुनाव में वे इन समर्थकों के बल पर गजब ढा देंगे। बाबा के समर्थकों को अपने वोट में तब्दील करने के लिए भाजपाई और कांग्रेसी सभी दौडे आए। केंद्रीय गृहराज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल से ले कर रवींद्र पाटनी तक। अब बाबा के मन में राजनैतिक आकांक्षाएं हिलोरें मार रही हैं। अगले चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनने का काम भी शुरु होने को है।गंगा अभियान की परिणति जो भी होए बाबा के शुभचिंतकसलाह देने लगें हैं कि जरा धीरे। सलाह देने वालों में एक भारत माता मंदिरए हरिद्वारके स्वामी सत्यमित्रानंद भी हैंजिन्होंने १९५़ के चुनाव में गोरक्षा आन्दोलन केमुद्दे पर मध्यप्रदेश में तत्कालीन भारतीय जनसंघ के लिए घूम घूम कर वोट मांगे थे।वे तब बद्रिकाश्रम मठ की शाखा भानपुरा पीठ के शंकराचार्य थे। जनसंघ की सरकार बन गई तो स्वामीजी को शंकराचार्य की गद्दी से भी हटना पड़ा था। बाबा रामदेव को सलाह देने वालों में विहिप के कुछ नेता भी हैं जिनका कहना है कि जो राजनीति भगवान राम की नहीं हुई वह बाबाजी की या गंगा मैया की क्या होगी। बाबाजी इन संदेशों को दरकिनार कर अपने एजंडे पर लगे हुए हैं।

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा