Skip to main content

उमा की नौटंकी वाली राजनीति का अंत


यही कुछ पांच साल पहेले की बात है तब भाजपा की राजनीति मे एक साध्वी का सिक्का चलता था ,जिनका नाम श्री उमा भारती है! जिनके नाम से लाखों जनता अपना काम धाम छोड़कर आ जाती थी !! लेकिन यह उमा की ग़लतफ़हमी थी बह जनता उमा के लिए न होकर भाजपा के लिए हुआ करती थी ,इसी ग़लतफ़हमी के नशे मे चूर उमा ने भाजपा के लाल कृष्ण आडवानी जी का अपमान कर डाला और खुद को उनसे बड़ा बात दिया जिसके कारण उन्हें पार्टी से बेदखल कर दिया गया !!उमा नादाँ है वो समझती थी की भाजपा उनसे है इसलिए उन्होंने अपनी नयी पार्टी खड़ी कर दी !! उन्हें लगता था की उनकी पार्टी का नगाडा बजेगा लेकिन नगाडा तो नहीं बजा उनकी बैंड जरुर बज गयी !
इस बार फिर अच्छाई की जीत हुई जनता की जीत हुई जनता जो चाहती थी बही हुआ !!उमा भारती की राजनीति का भविष्य कुछ नहीं है तब तक तो और भी नहीं जब तक की बही बह दूसरों को समझना और सम्मान देना नहीं सीख जाती !


उनकी जनशक्ति पार्टी की हालत ये हो गयी की उस मुहफट ढोंगी नारी को जनता ने ठुकरा दिया उसे अर्श से फर्स पर पटक दिया जनता ने बात दिया की जो किसी और को नहीं समझता उसे भी कोई नहीं समझता !!खुद को साध्वी कहने वाली उमा के परिवार के ही कई लोग उसके भाई, लोगों को लूटते है,कभी बन्दूक की दम पर तो कभी चाकू की दम पर और शाध्वी सिर्फ कहने की शाध्वी है उनमे संतों जैसा एक गुण नहीं है !!खेर इस बार फिर अच्छाई की जीत हुई जनता की जीत हुई जनता जो चाहती थी बही हुआ !!उमा भारती की राजनीति का भविष्य कुछ नहीं है तब तक तो और भी नहीं जब तक की बही बह दूसरों को समझना और सम्मान देना नहीं सीख जाती !

Comments

  1. such hi kaha uma devi ki raajniti ka koi future nahi hai na to unhe raajneeti aati hai na hi unhe raajneeti karna chaiye...kyonki wo kisi ko saath lekar chalne wali nahi hai !!
    jiska khamiyaja unhe fugtna pada hai !!

    ReplyDelete
  2. मेरे मन मे आज भी उमा भारती एवम गोविन्दाचार्य जी के लिए सम्मान का भाव है। जरुर उन्होने उचित निर्णय लेते हुए यह कदम उठाया होगा। महज चुनावी असफलता से उमा जी के कदम को गलत साबित नही किया जा सकता है। भारतीय समाज की वह एक पुज्यनीया विरांगना है। आने वाले समय भी वह निर्णय ही लेगी जो देश और समाज के हित मे हो इस बात का मुझे भरोसा है।

    ReplyDelete

Post a Comment

आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा