Skip to main content

मां ने बेटी को आठ साल तक रखा कैद

जापान में एक मां द्वारा अपनी बेटी को आठ साल तक घर में कैद रखने का मामला सामने आया है. दो साल पहले खुले इस मामले को स्थानीय अधिकारियों ने अब तक दबाए रखा था। दो साल पहले खुले इस मामले को स्थानीय अधिकारियों ने अब तक दबाए रखा था.
उत्तरी सपोरो शहर के अधिकारियों के मुताबिक 21 वर्षीय इस युवती को उसकी मां ने 1998 में घर में कैद कर दिया था। उत्तरी सपोरो शहर के अधिकारियों के मुताबिक 21 वर्षीय इस युवती को उसकी मां ने 1998 में घर में कैद कर दिया था. तब उसकी उम्र महज 11 वर्ष थी। तब उसकी उम्र महज 11 वर्ष थी. वर्ष 2006 में एक पड़ोसी की शिकायत के बाद उसे मां की कैद से मुक्त कराया गया। वर्ष 2006 एक पड़ोसी की शिकायत के बाद उसे मां की कैद से मुक्त कराया गया में.
सपोरो के मेयर के प्रवक्ता हिसाशी ओकादा ने गुरुवार को यहां बताया कि इस मामले को पहले गुप्त रखने की योजना बनाई गई थी ताकि युवती की पहचान न हो सके। सपोरो के मेयर के प्रवक्ता हिसाशी ओकादा ने गुरुवार को यहां बताया कि इस मामले को पहले गुप्त रखने की योजना बनाई गई थी ताकि युवती की पहचान न हो सके. लेकिन, स्थानीय मीडिया द्वारा मामला उजागर होने के बाद सरकार ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर इस घटना की जानकारी दी। लेकिन, स्थानीय मीडिया द्वारा मामला उजागर होने के बाद सरकार ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर इस घटना की जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि युवती अपनी याददाश्त खो चुकी है। उन्होंने बताया कि युवती अपनी याददाश्त खो चुकी है. सरकार उसके पुनर्वास के प्रयास कर रही है। सरकार उसके पुनर्वास के प्रयास कर रही है. उत्पीड़न के लक्षण उसमें साफ तौर पर देखे जा सकते हैं। उत्पीड़न के लक्षण उसमें साफ तौर पर देखे जा सकते हैं. युवती की सोचने-समझने की क्षमता किसी छह साल के बच्चे जितनी है। युवती की सोचने - समझने की क्षमता किसी छह साल के बच्चे जितनी है. प्राथमिक स्कूल में जब वह तीसरी क्लास में थी तभी उसकी मां ने उसे पढ़ाई के लिए भेजना कर कर दिया था। प्राथमिक स्कूल में जब वह तीसरी क्लास में थी तभी उसकी मां ने उसे पढ़ाई के लिए भेजना कर कर दिया था. छठे ग्रेड में तो उसने सिर्फ दो ही कक्षाएं लीं। छठे ग्रेड में तो उसने सिर्फ ही कक्षाएं लीं दो. इसके बाद वह एक-दो बार और स्कूल गई। इसके बाद वह एक - दो बार और स्कूल गई. 1998 से उसने स्कूल जाना बिल्कुल बंद कर दिया। 1998 उसने स्कूल जाना बिल्कुल बंद कर दिया से. सरकारी अधिकारियों ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मां ने अपनी लड़की को घर में कैद क्यों कर रखा था। सरकारी अधिकारियों ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मां ने अपनी लड़की को घर में कैद क्यों कर रखा था

Comments

Popular posts from this blog

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा