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यसवंत जी माफ़ करे

किस नपुंसक की याद दिला दी आपने यसवंत जी...मुंबई में जो आतंकवादी आये वो कायर थे ..और हमारे मुंबई का वो गुंडा नपुसक है जी हाँ राज ठाकरे !!! और देश को कायर या नपुंसक न तो मिटा सकते है न ही बचा सकते है इशलिये !! अपने पवित्र मन् में इनकी बात लाना भी गोबर खाना है !!!हमारे देश के वीर सिपाही सीने पर गोली खाते है हिंदुस्तानिओं की रक्षा के लिए और साला ये राज उन में भी उत्तर भारतीय और अन्य लोगों में अंतर और नफ़रत पैदा करता है !! इसकी में अगर इतनी दम होती तो अपनी लुगाई के पल्ले में मुह छिपाकर न बैठा होता वो और उसकी कायर सेना लोगो की रक्षा में सामने आ सकती थी ..पर हम लोगों को ही इन गांडू की रक्षा करनी पड़ेगी !!! अगर अब ये साले जयादा मुंबई में उचल कूंद करते नजर आये तो सालो को नंगा करके मारना चाहिए !! माफ़ कीजिये यसवंत जी गुस्से में कुछ जायदा गलत शब्द बोल गया par इन सालों के लिए तो वो भी कम है ...सहीदों को श्रधांजलि ...और इन आतंकवादियों को भगवन अकल बख्शे!!

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ग़ज़ल

गज़ब का हुस्नो शबाब देखा ज़मीन पर माहताब देखा खिजां रसीदा चमन में अक्सर खिला-खिला सा गुलाब देखा किसी के रुख पर परीशान गेसू किसी के रुख पर नकाब देखा वो आए मिलने यकीन कर लूँ की मेरी आँखों ने खवाब देखा न देखू रोजे हिसाब या रब ज़मीन पर जितना अजाब देखा मिलेगा इन्साफ कैसे " अलीम" सदकतों पर नकाब देखा

डॉ.प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे -केदारनाथ सिंह

डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...