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प्रिये साथियो


प्रिये साथियो.....

देश मे फिर आंतकवाद ने कितने घरो के चिराग भुजा दिए यह आप हम नहीं जानते ऐसा कर उन को क्या मिला पर दोस्तों ,साथियो उन माँ से पूछो जो अपने बच्चो को खोने का दर्द सहती है उन बहनों से पूछो जो सारी उम्र टक टकी लगाए इंतजार करती रहती है ...माँ बहने जीवन संगनी ,बच्चे ,कितने रिश्ते खत्म हो जाते है कितना अकेला पन से होता इनके जाने के बाद ...कोई उनको समझाए ...की उनके भी रिश्ते ऐसा ही उनके जाने के बाद दर्द पैदा करते है वो भी रिश्तो की डोर से बंधे होंगे ..क्यूँ ...मानवता का चहेरा भयानक होता है उसका दूसरा रूप क्यूँ नहीं बना रहता ...हम शर्मिंदा है आज ...उन रिश्तो के आगे जो इस पीडा के शिकार बने ..उन व्यक्तितव के आगे जो शहीद हुवे ..आज हम सब भाई ,दोस्त ,साथी ,उन सब के लिए भगवान् से प्राथना करे की उनको अपने चरणों मे स्थान दे शान्ति दे व् उनके परिवार ,रिश्तो को हिम्मत दे !हम सब का फ़र्ज़ बनता है की हम उनके आत्मा के लिए एक दिया जला उनको समर्पित करे व् दुआ करे जरुर यह मेरी आप सब दोस्तों साथियो से हाथ जोड़ प्राथना है ..एक दिया एक प्राथना ...जय साई राम

संजय सेन सागर

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आपका बहुत - बहुत शुक्रिया जो आप यहाँ आए और अपनी राय दी,हम आपसे आशा करते है की आप आगे भी अपनी राय से हमे अवगत कराते रहेंगे!!
--- संजय सेन सागर

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डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे अभी चार घंटा पहले प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था तथा उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध संग्रह प्रकाशित हुआ है और कविताएं भी उन्होंने लिखी हैं हालांकि उनका संग्रह नहीं आया है। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति ऐसा समर्पित व्यक्ति और भोजपुरी के एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई ...

ग़ज़ल

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